माध्यिका किसे कहते हैं? अर्थ एवं परिभाषा | माध्यिका के गुण व दोष | Madhyika ki visheshtayen

माध्यिका (median) in hindi | माध्यिका का अर्थ एवं परिभाषा | madhyika ka arth definition | माध्यिका की विशेषताएँ, गुण एवं दोष




किसी भी श्रेणी के पद मूल्यों को घटते या बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करने के बाद उस श्रेणी के लगभग मध्य के पद को उस श्रेणी की माध्यिका या मध्यका (madhyika) कहा जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो माध्यिका किसी भी समंक श्रेणी के बीच के पद मूल्य को कहा जा सकता है।

सांख्यिकी या गणित के अंतर्गत, केंद्रीय प्रवृत्ति की माप (kendriya pravritti ki map) ज्ञात करने के लिए जिन माध्यों का प्रयोग किया जाता है। उनमें समांतर माध्य, माध्यिकाबहुलक का ही प्रयोग ज़्यादातर किया जाता है। विशेषकर ऐसे मौक़ों में जब दी गयी समंक श्रेणी छोटी, सरल व घटते-बढ़ते क्रम में व्यवस्थित की जा सकती हो। माध्यिका का प्रयोग बहुतायत में किया जाता है।

माध्यिका समंक श्रेणी के मध्य का पद मूल्य होता है। जहाँ पड़ मूल्यों को आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित किया जाता है। फ़िर उसे इस तरह विभाजित किया जाता है कि उसके एक तरफ़ छोटे पद मूल्य होते हैं तो दूरी तरफ़ बड़े पद मूल्य होते हैं। इसलिए माध्यिका को 'स्थितिक सम्बन्धी माध्य भी कहा जाता है।

इसे यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि यह माध्य की तरह समान समंक श्रेणी के प्रत्येक पद मूल्यों पर आधारित न होकर, समंक श्रेणी के बीच में स्थित होता है। 

आइये इसे उदाहरण से समझते हैं- किसी कक्षा के 7 छात्रों के सांख्यिकी विषय के प्राप्तांक क्रमशः 44, 56, 58, 63, 67, 70, 76 हैं तो इन प्राप्तांकों की माध्यिका 63 होगी। क्योंकि 63 इस श्रेणी के बीच मे स्थित है।

यदि इस श्रेणी को बदल दिया जाए - 76, 70, 67, 63, 58, 56, 44 तो भी इस श्रेणी की माध्यिका 63 ही होगी। अतः हम कह सकते हैं कि माध्यिका (Median) किसी भी समंक श्रेणी के मध्य का पद-मूल्य होता है।

अर्थात किसी भी श्रेणी के पद मूल्यों को घटते या बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करने के बाद उस श्रेणी के लगभग मध्य के पद को उस श्रेणी की माध्यिका या मध्यका कहा जाता है। आइये माध्यिका की परिभाषाएँ जानते हैं -


माध्यिका की परिभाषाएँ | madhyika ki paribhasha 

क्राक्सन एवं कॉउडेन के अनुसार - "माध्यिका एक ऐसा मूल्य है जो किसी समंक श्रेणी को इस प्रकार विभाजित करता है कि उस श्रेणी के आधे पद इस मूल्य के बराबर या कम होते हैं तथा आधे पद इस मूल्य के बराबर या अधिक होते हैं।"

कौनर के अनुसार - "माध्यिका, समंक श्रेणी का वह पद मूल्य होता है जो उस दी हुई समंक श्रेणी को दो समान भागों में विभाजित करता है। 

सेक्रिस्ट के अनुसार - "माध्यिका किसी समंक श्रेणी का अनुमानित या वास्तविक पद का वह मूल्य होता है जो उस श्रेणी को क्रमबद्ध किये जाने पर दो भागों में विभक्त करता है।"

प्रो. बाउले के अनुसार - "यदि किसी समूह के सभी पदों को उनके मूल्यों के अनुसार व्यवस्थित किया जाए तब उस दी हुई श्रेणी के लगभग मध्य का पद मूल्य ही माध्यिका कहलाता है।"

इस प्रकार उपरोक्त परिभाषाओं से हम यह कह सकते हैं कि माध्यिका समंक श्रेणी के बीच में स्थित वह पद-मूल्य होता है। जब समंक श्रेणी क्रम के अनुसार व्यवस्थित की जाती है।


माध्यिका की विशेषताएँ (Characteristics of Median in hindi)

माध्यिका की प्रमुख विशेषताएँ (madhyika ki visheshtayen) निम्नलिखित हैं -

(1) यदि श्रेणी के समंक अपूर्ण भी दिए हुए हों, तब भी माध्यिका की गणना करना संभव होता है।
(2) माध्यिका की बीजगणितीय विवेचना करना संभव नहीं है।
(3) माध्यिका से विचलन लेने पर माध्यिकाओं के निरपेक्ष शब्दों का योग कम से कम होता है।
(4) माध्यिका, मूल्यों के आकार से प्रभावित नहीं होता है, यह समंक श्रेणी में मूल्यों की स्थिति से प्रभावित होता है। 
(5) माध्यिका की एक ओर के सभी पद उससे छोटे यानि कि घटते क्रम में होते हैं। तो वहीं दूसरी ओर के सभी पद उससे बड़े यानि कि बढ़ते क्रम में होते हैं।


माध्यिका के गुण (Merits of the Median in hindi) | माध्यिका के गुण क्या हैं?

माध्यिका के प्रमुख गुण (madhyika ke gun) निम्नलिखित हैं -

(1) मध्यका को समझना व ज्ञात करना अत्यंत सरल होता है।
(2) माध्यिका पर चरम मूल्यों यानि कि अति सीमान्त मूल्यों (पदों) का प्रभाव नहीं पड़ता है।
(3) इसे बिंदु-रेखाचित्र यानि कि ग्राफ़ द्वारा भी ज्ञात किया जा सकता है। 
(4) माध्यिका एक निश्चित एवं स्पष्ट माध्य होता है।
(5) यदि समंक श्रेणी छोटी हो, तो माध्यिका की गणना निरीक्षण से भी संभव है। 
(6) ऐसे तथ्य जैसे- सुंदरता, बौद्धिक स्तर, स्वास्थ्य आदि को संख्यात्मक रूप में व्यक्त नहीं किया जा सकता। तब ऐसी परिस्थिति में उन्हें क्रमानुसार व्यवस्थित करने के बाद माध्यिका का प्रयोग किया जा सकता है।



माध्यिका के दोष (Demerits of the Median in hindi)

माध्यिका के प्रमुख दोष (madhyika ke dosh) निम्नलिखित हैं -

(1) माध्यिका की बीजगणितीय विवेचना संभव नहीं होती है।
(2) माध्यिका की गणना करनी हो तो व्यक्तिगत श्रेणी में समंक श्रेणी को आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित करने अनिवार्य होता है। जो कि असुविधाजनक होता है।
(3) यदि चर-मूल्यों का वितरण अनियमित हो तो ऐसी परिस्थिति में माध्यिका के भ्रमात्मक निष्कर्ष प्राप्त होते हैं। अर्थात सीधे शब्दों में कहा जाए तो यह अनियमित आँकड़ों के लिए उपयुक्त नहीं है।
(4) माध्यिका सीमान्त मूल्यों को महत्व नहीं देता है। अर्थात जहाँ इन मूल्यों का महत्व ज़्यादा होता है वहीं पर यह अनुपयुक्त होता है।
(5) माध्यिका केवल संभावित/अनुमानित माप होती है। वास्तविक होने की संभावना कम होती है।
(6) माध्यिका में प्रतिनिधित्व का अभाव पाया जाता है। क्योंकि यह प्रत्येक पदों पर आधारित नहीं होती।

उम्मीद है इस अंक "माध्यिका से आप क्या समझते हैं? (madhyika se aap kya samajhte hain?)" पढ़कर आप ठीक तरह समझ गए होंगे। माध्यिका के गुण एवं दोष (madhyika ke gun evam dosh) भी हमने इस अंक में सरल व स्पष्ट शब्दों में बताने का प्रयास किया है। जो कि आपके अध्ययन में अवश्य ही सहायक होगा।


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