आर्थिक नियोजन का क्या अर्थ है? | भारत के आर्थिक नियोजन की विशेषताएं | Bhartiya Arthik Niyojan ki kya visheshtayen hain?
किसी भी अल्पविकसित देश के आर्थिक विकास हेतु वहां की पिछड़ी हुई कृषि तथा औद्योगिक व्यवस्था को एक आधुनिक औद्योगिक शक्ति के रूप में बदलकर विकास के रास्ते पर अग्रसर होने के लिए सरकार द्वारा जो योजनाएं चलाई जाती हैं। उस पूरी प्रक्रिया को आर्थिक नियोजन (arthik niyojan) कहा जाता है।
आर्थिक नियोजन का अभिप्राय (arthik niyojan ka abhipray) एक ऐसी प्रक्रिया से है जिसमें किसी देश के संसाधनों को ध्यान में रखते हुए एक निश्चित समय में आर्थिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त किया जाता है। आइए और भी आसान भाषा में समझने का प्रयास करते हैं कि आर्थिक नियोजन किसे कहते हैं (arthik niyojan kise kahate hain?)
किसी भी देश के विकास के लिए सरकार द्वारा कुछ विशिष्ट योजनाएं बनाई जाती हैं। एक निश्चित समय सीमा के अंदर उन विशेष लक्ष्यों को प्राप्त करने की प्रक्रिया प्रारंभ की जाती है। ध्यान रखा जाता है कि उन लक्ष्यों को पाने में देश के अंदर उपलब्ध संसाधनों का उनकी प्राथमिकता के आधार पर बेहतर उपयोग किया सके। ये योजनाएं देश के भावी विकास हेतु क्रियान्वित की जाती हैं। इन योजनाओं का नियमन एवं संचालन केंद्रीय सत्ता द्वारा किया जाता है।
सरल शब्दों में हम कह सकते हैं कि "किसी देश के आर्थिक विकास हेतु एक निश्चित समय में, निर्धारित किए गए लक्ष्यों को पाने के लिए, उस देश की सरकार द्वारा अपनाए गए विशिष्ट आर्थिक कार्यक्रमों को आर्थिक नियोजन (arthik niyojan) अथवा विकास योजनाएं (vikas yojnayen) कहा जाता है।"
आर्थिक नियोजन की विशेषताएं (Arthik Niyojan ki visheshtayen)
आर्थिक नियोजन (arthik niyojan) अथवा विकास योजनाओं की प्रमुख विशेषताएं (vikas yojnao ki pramukh visheshtayen) निम्नलिखित हैं -
1) निश्चित उद्देश्य -
आर्थिक नियोजन किसी निश्चित उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाता है। नियोजन का उद्देश्य भिन्न भिन्न देशों में भिन्न भिन्न हो सकता है। परन्तु कुछ निश्चित उद्देश्यों के ध्यान में रखकर ही आर्थिक नियोजन अपनाया जाता है। जैसे - उत्पादन में वृद्धि, आर्थिक जीवन में स्थायित्व तथा वितरण में समानता।
2) साधनों का अधिकतम उपयोग -
आर्थिक नियोजन की एक विशेषता यह है कि उपलब्ध साधनों का विवेकपूर्ण ढंग से किस प्रकार अधिकतम उपयोग किया जा सकता है। इस प्रकार योजनान्तर्गत सीमित साधनों का सचेत ढंग से वितरण अनिवार्य है।
3) केंद्रीय नियोजन सत्ता -
नियोजन अर्थव्यवस्था का संचालन केंद्रीय नियोजन अधिकारी द्वारा किया जाता है। भारत की अर्थव्यवस्था को नियोजित रूप से चलाने के लिए 15 मार्च सन् 1950 को एक योजना आयोग का गठन किया गया था। जिसके अन्तर्गत आयोग के अधिकारी, देश की प्राथमिकताओं को निर्धारित करते हुए विभिन्न आर्थिक क्रियाओं में समन्वय स्थापित करने का कार्य करते हैं।
4) दीर्घकालीन प्रक्रिया -
आर्थिक नियोजन की प्रक्रिया एक दीर्घकालीन प्रक्रिया है। दरअसल किसी भी देश के समुचित विकास के लिए चलायी जाने वाली योजनाएं दीर्घकालीन ही होती हैं। देश में चलायी जाने वाली अल्पकालीन योजनाएं भी किसी महत्वपूर्ण दीर्घकालीन योजना का हिस्सा होती है। दुनिया के अधिकांश देशों में दीर्घकालीन नियोजन ही लागू किए जाते हैं।
5) निश्चित समय -
देश के समुचित विकास हेतु चलाई जाने वाली योजनाएं एक निश्चित अवधि के लिए चलाई जाती हैं। ताकि एक निश्चित अवधि के अंदर ही निर्धारित किए गए लक्ष्यों एवं प्राथमिकताओं को पूरा करने का प्रयास किया जाता है।
6) सरकारी उपक्रम -
आर्थिक नियोजन की प्रक्रिया एक सरकारी प्रक्रिया होती है। इसे पूर्णतः सरकारी देखरेख और मार्गदर्शन के तहत अपनाया जाता है। यह पूर्णतः सरकारी उपक्रम की योजना होती है।
7) सरकार का नियंत्रण -
आर्थिक नियोजन की प्रक्रिया में देश में उत्पादन, विनियोग, उपभोग, मूल्य इत्यादि पर पूर्णतः सरकार का नियंत्रण होता है। देश में संचालित निजी उद्योगों और संस्थाओं को भी सरकारी निर्देशों का पालन करना होता है। बल्कि सरकार स्वयं भी नए नए उद्योगों एवं संस्थाओं की स्थापना कर सकती है।
8) सामाजिक लाभ हेतु प्रोत्साहन -
आर्थिक नियोजन की प्रक्रिया में व्यक्तिगत लाभ के स्थान पर सामाजिक लाभ को ज़्यादा महत्व दिया जाता है। ऐसे कार्य किए जाते हैं जिनसे किसी व्यक्तिगत व्यक्ति अथवा संस्था को फ़ायदा मिलने के बजाय सामाजिक रूप से सभी को इसका फ़ायदा मिल सके।
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