वर्गीकरण का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, लक्षण और उद्देश्य | वर्गीकरण की विशेषताएँ व विधियाँ क्या हैं?

अनुसंधानकर्ता अपने उद्देश्य के लिए जब भी समंकों का संकलन यानि कि आँकड़ों का एकत्रिकरण करते हैं। तो शुरुआत में उन्हें उन एकत्रित आँकड़ों को आसानी से समझने योग्य बनाने के लिए व्यवस्थित करने की अत्यंत आवश्यकता होती है। जिसे व्यवस्थितिकरण अथवा वर्गीकरण कहते हैं।

Classification meaning in hindi

आँकड़ों के वर्गीकरण से तात्पर्य, उन सभी प्रक्रियाओं से होता है जिनकी सहायता से एकत्रित किये गए आँकड़ों को सुव्यवस्थित रूप में प्रस्तुत किया जाता है ताकि उन्हें सरलता से समझने योग्य बनाया जाये। इसके लिए अनुसंधानकर्ताओं को ख़ासी मशक्क़त करनी पड़ती है। तभी आँकड़ों का वर्गीकरण संभव हो पाता है।

वर्गीकरण की आवश्यकता क्यों होती है? आइये इसे सरल शब्दों में समझते हैं। खोज अथवा अनुसंधान हेतु जब कोई अनुसंधानकर्ता द्वारा समंक यानि कि आँकड़े एकत्रित किये जाते हैं। तो ये आँकड़े शुरू में इतने अव्यवस्थित और विशाल मात्रा में होते हैं कि उन्हें सरलता से समझना अथवा किसी निष्कर्ष पर पहुँचना लगभग असंभव सा लगने लगता है। इसीलिये यह बेहद ज़रूरी हो जाता है कि इन सम्पूर्ण आँकड़ों को सरल व एक निश्चित रूप दे दिया जाए ताकि ये आँकड़े किसी भी व्यक्ति के समझने और निष्कर्ष निकालने लायक बन जायें।




वर्गीकरण क्या है इन हिंदी | Classification in hindi


समंकों को एकसमान विशेषताओं के आधार पर, अलग-अलग सजातीय वर्गों में बाँटने की प्रक्रिया को वर्गीकरण (Classification) कहते हैं। चूँकि एकत्रित समंक शुरुआत में अत्यंत जटिल एवं बेतरतीबी से भरे होते हैं। जिनका विश्लेषण या निर्वचन के लिए प्रयोग में लाना तब तक असंभव होता है जब तक उन्हें उनके सजातीय गुणों के आधार पर विशिष्ट वर्गों में बाँट नहीं दिया जाता।

आज हम इस लेख में वर्गीकरण का अर्थ, वर्गीकरण की परिभाषा, वर्गीकरण के प्रकार के साथ-साथ आँकड़ों का वर्गीकरण किस प्रकार किया जाता है? विस्तार से जानेंगे।


वर्गीकरण का अर्थ एवं परिभाषा-
वर्गीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें एकत्रित समंको को उनकी विभिन्न विशेषताएंओं के आधार पर अलग-अलग समूहों, वर्गों या उपवर्गों में क्रमबद्ध किया जाता हैं। एकत्रित समंकों को विशेष समूहों अथवा वर्गो में इस तरह विभक्त किया जाता है कि इससे इकाईयों की विविधता के बीच में पाए जाने वाले गुणों की एकता व्यक्त होती है।

दूसरे शब्दों में- "संकलित समंकों को उनके गुणों, स्वभावों व प्रकृति समानता के आधार पर विभिन्न वर्गों में विभाजित करने की सम्पूर्ण प्रक्रिया को समंकों का वर्गीकरण (Classification of Data) कहते हैं।"


वर्गीकरण की परिभाषाएं (Definition of data in hindi)


आइये हम वर्गीकरण से संबंधित कुछ परिभाषाओं (Vargikaran ki paribhasha) का अध्ययन करते हैं। जिनसे यह स्पष्ट हो जाएगा कि वर्गीकरण के लक्षण व महत्व क्या है?

एल. आर. कार्नर के अनुसार- "वर्गीकरण वस्तुओं को समूह अथवा वर्गों में उसकी समानता और सजातीयता के आधार पर व्यवस्थित करने की प्रक्रिया को कहा जाता है। जिससे व्यक्तिगत इकाइयों की विविधता में एकता व्यक्त की जा सकती है।"

स्पूर एवं स्मिथ के अनुसार- "संबंधित तथ्यों को व्यवस्थित करके, विभिन्न वर्गों में प्रस्तुत करने की क्रिया को वर्गीकरण कहा जाता है।"

होरेक्स सेक्राइस्ट के अनुसार- "वर्गीकरण समंकों को उनकी सामान्य विशेषताओं के आधार पर क्रम या समूहों में क्रमबद्ध तथा संबंधित विभिन्न भागों में अलग-अलग करने की प्रक्रिया है।"

शुक्ल और सहाय के अनुसार, "समंकों के अव्यवस्थित विशाल ढेर को, वर्गीकरण के द्वारा एक व्यवस्थित रूप दिया जाता है ताकि भविष्य का कार्य सरल हो सके।"

ग्रेगरी एवं वार्ड के अनुसार- "वर्गीकरण संकलित किये गए समूह के अंतर्गत अलग-अलग पदों को संबंधित करने की प्रक्रिया है।"


वर्गीकरण के लक्षण | Main features of classification in hindi


समंकों के वर्गीकरण के निम्नलिखित लक्षण या आँकड़ों के वर्गीकरण की मुख्य विशेषताएँ (Vargikaran ki visheshtayen) निम्न हैं-

1. संकलित समंकों (एकत्रित आँकड़ों) को विभिन्न वर्गों में विभक्त किया जाता है।
2. वर्गीकरण आँकड़ों की समानता, सादृश्यता या उनके गुणों के आधार पर होता है।
3. यह पदों की विभिन्नता के बीच में भी उनकी एकता को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त करता है।
4. वर्गीकरण समूह की इकाइयों को भिन्न-भिन्त्र वर्गो में विभाजित करने की एक युक्ति है।
5. वर्गीकरण अथवा समंकों का विभाजन वास्तविक अथवा काल्पनिक दोनों रूप में हो सकता है।




वर्गीकरण के उद्देश्य (Objects of Classification in hindi)


आँकड़ों के वर्गीकरण के उद्देश्य (Vargikaran ke uddeshya) निम्नलिखित  हैं-

1. वर्गीकरण का उद्देश्य जटिल व बिखरे हुए तथ्यों को सरल व संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया जाना होता है।
2. समान गुण रखने वाले तथ्यों को एक वर्ग में रखा जाता है। जिससे तथ्यों में पायी जाने वाली समानता व असमानता स्पष्ट हो जाती है। जैसे- साक्षर-निरक्षर, पुरुष-स्त्री आदि।
3. वर्गीकरण से समंकों को नियमित व बोधगम्य बनाने का प्रयास किया जाता है।
4. वर्गीकरण से निष्कर्षों के तहत निर्णय लेने में सहायता मिलती है।
5. वर्गीकरण सांख्यिकीय के लिए आधार स्पष्ट करने में सहायता करता है।
6. वर्गीकरण, सारणीयन तथा विश्लेषण जैसी क्रियाओं के लिए आधार प्रस्तुत करता है।
7. एकत्रित किये गए आँकड़ों को विभिन्न उद्देश्यों हेतु तुलना योग्य बनाना होता है।




आदर्श वर्गीकरण की विशेषताएँ (Characteristics of Ideal Classification in hindi)


किसी भी आदर्श वर्गीकरण में होने वाली विशेषताएँ (Adarsh vargikaran ki visheshtaen) निम्नलिखित होनी चाहिए। जिससे यह पता लगाया जा सके कि एकत्रित समंकों को विशेष सजातीयता के आधार पर विभक्त किया गया है। आइये हम वर्गीकरण की विशेषताएं (vargikaran ki visheshtayen) जानते हैं-

1. उद्देश्य की अनिरुपता- वर्गीकरण का रूप, अनुसन्धान के रूप में और उद्देश्य के अनुरूप होना चाहिए। वर्गीकरण का आधार, वर्गों के गुण, उनकी संख्या आदि को इस तरह निर्धारित करना चाहिए ताकि उस अनुसंधान विशेष के उद्देश्य की पूर्ति हो।

2. स्पष्ट रूप- वर्गीकरण की योजना कुछ इस प्रकार होनी चाहिए कि वह भ्रामक, जटिल न होकर स्पष्ट व सरल हो। किस पद को किस वर्ग में रखा जाए? इस बात के लिए कोई संदेह न हो।

3. सजातीयता- वर्गीकरण करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक वर्ग विशेष में रखे जाने वाले पदों के गुण एक समान ही हों। यानि कि भिन्न-भिन्न वर्गों के गुण एक दूसरे से भिन्न हों।

4. स्थिरता- एक आदर्श वर्गीकरण में यह विशेषता होनी चाहिए कि उसमें स्थिरता का गुण हो। इनमें प्रयोग किये जाने वाले विभिन्न आधारों व गुणों की परिभाषा स्थायी रखी जानी चाहिए। इन्हें परिवर्तित नहीं करना चाहिए। अन्यथा वर्गीकृत सूचनाओं के तुलात्मक अध्ययन में कठिनाई होती है।

5. लोचशीलता- आदर्श वर्गीकरण लोचशील होना चाहिए। ताकि भविष्य में परिस्थितियों के अनुसार ढाला जा सके। यानि कि आवश्यकतानुसार नए वर्गों को जोड़ा जा सके। साथ ही अनावश्यक वर्गों को हटाया जा सके।

6. व्यापकता- एक आदर्श वर्गीकरण में व्यापकता का गुण तो होना ही चाहिए। अर्थात किसी भी मद के लिए कोई न कोई ऐसा वर्ग अवश्य होना चाहिए जिसमें वह मद आसानी से सम्मिलित कर लिया जाये। 

7. उचित आकार- आदर्श वर्गीकरण में प्रत्येक वर्ग एक निश्चित आकार में होना चाहिए। वर्ग न ज़्यादा छोटा न ज़्यादा बड़ा होना चाहिए। यानि कि ऐसा होना चाहिए कि इसे समझना आसान हो।



वर्गीकरण की विधियाँ (Methods of classifications in hindi)


आँकड़ों को उनकी विशेषताओं के आधार पर निम्न 4 प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है। आँकड़ों के वर्गीकरण की विधियाँ (aankdon ke vargikaran ki vidhiyan) निम्न हैं-

(1) समयानुसार वर्गीकरण (2) भौगोलिक वर्गीकरण (3) गुणात्मक वर्गीकरण (4) संख्यात्मक वर्गीकरण


(1) समयानुसार वर्गीकरण (Chronological Classification)

जब समय पर आधारित समंकों (आँकड़ों) को समय पर आधारित वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है तो उसे समयानुसार वर्गीकरण कहते हैं। उदाहरणार्थ- भारतीय जनसंख्या संबंधी आँकड़ों को हम समयानुसार वर्गीकरण कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर हम भारतीय जनसंख्या के आँकड़ों को निम्न प्रकार वर्गीकृत कर सकते हैं-

भारत की जनसंख्या (करोड़ों में)-
जनगणना के वर्ष  जनसंख्या
1951                                 36.1
1961 48.8
1971 55.8
1981 67.8
1991 84.9
2001 102.8
2011 121.10


(2) भौगोलिक वर्गीकरण (Geographic Classification)

ऐसे समंक, जिन्हें कि भौगोलिक अथवा स्थान विशेष से संबंधित भिन्नता के आधार पर वर्गीकृत किया जाता हो। अर्थात एकत्रित आँकड़ों को राज्य, ज़िला आदि क्षेत्रीय आधार पर वर्गीकृत करना ही भौगोलिक वर्गीकरण कहलाता है। उदाहरणार्थ- भारत में भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में उत्पादित खाद्यान्न के आँकड़ों को भौगोलिक वर्गीकरण के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है।

भारत के कुछ राज्यों में साक्षरता की दरें-
राज्य साक्षरता की दर%
हिमाचल प्रदेश            84.76
पंजाब 77.78
हरियाणा 76.55
दिल्ली 87.66
बिहार 63.87
केरल 94.90
छत्तीसगढ़ 72.13


(3) गुणात्मक वर्गीकरण ((Qualitative Classification)

एकत्रित समंकों (आँकड़ों) को उनके गुणों के आधार पर वर्गीकरण करना ही गुणात्मक वर्गीकरण कहलाता है। जैसे ईमानदारी, शिक्षा आदि। ऐसे गुणों को हम संख्यात्मक रूप में व्यक्त नहीं कर सकते।

गुणात्मक वर्गीकरण 2 प्रकार के होते हैं। आइये हम गुणात्मक वर्गीकरण के इन 2 प्रकारों को समझने का प्रयास करते हैं।

(अ) सरल वर्गीकरण- जब एक गुण को रखने वाले तथा न रखने वाले तथ्यों को 2 वर्गों में विभाजित किया जाता है।दूसरे शब्दों में- "जब एक गुण की उपस्थिति या अनुपस्थिति के आधार पर तथ्यों को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है तो ऐसे विभाजन को सरल वर्गीकरण कहा जाता है।"


उदाहरण के लिए देखा जाये तो, गुणों की उपस्थिति को बड़े अक्षर (A, B, C, ...) द्वारा तथा गुणों की अनुपस्थिति को छोटे अक्षर (a, b, c, ...) द्वारा प्रकट किया जाता है। जैसे- साक्षर के लिए (A) और निरक्षर के लिये (a) अक्षर का प्रयोग किया जा सकता है।




(ब) बहुगुण वर्गीकरण- जब तथ्यों को एक से अधिक गुणों के आधार पर अनेक वर्गों में विभाजित किया जाता है। तब उसे बहुगुण वर्गीकरण कहा जाता है। इसे वर्गीकरण करने के लिए सर्वप्रथम दो वर्ग बनाये जाते हैं। फ़िर प्रत्येक वर्ग के अन्य गुणों के आधार पर 2 उपवर्ग बनाये जाते हैं। इसी तरह विभिन्न गुणों के आधार पर 2 से अधिक वर्ग व उनके उपवर्ग बनाये जाते हैं।


उदाहरणार्थ- किसी 'A' कॉलेज के विद्यार्थियों को कला व विज्ञान के 2 वर्गों में बाँट दिया जाये। फ़िर विज्ञान और कला के विद्यार्थियों को स्नातक व स्नातकोत्तर में बाँट दिय्या जाये। फ़िर प्रत्येक समूहों में छात्र और छत्राओं को अलग-अलग वर्गों में बाँट दिया जाये। तो इस प्रकार का वर्गीकरण बहुगुण वर्गीकरण कहलाता है।

(4) संख्यात्मक वर्गीकरण (Quantitative Classification)

यदि समंकों का संकलन मापन योग्य विशेषता; जैसे- आयु, प्राप्तांक, आय आदि के आधार पर संभव होता है। तो उसे संख्यात्मक आधार पर वर्गों में विभक्त किया जाता है। इस प्रकार का वर्गीकरण सांख्यिकीय श्रेणियों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

दूसरे शब्दों में- "ऐसे तथ्यों का समावेश करना, जिन्हें संख्यात्मक रूप में व्यक्त किया जा सके। संख्यात्मक वर्गीकरण कहलाता है।"

जैसे- प्राप्तांक, वज़न, ऊँचाई, मज़दूरी आदि। इसमें समंकों के आधार पर कई वर्ग बना लिए जाते हैं। तथा समंकों को उनके संख्यात्मक विशेषताओं के आधार पर अलग-अलग वर्गों में बाँट दिया  जाता है। उन सभी अलग-अलग वर्गों में समान अंतर रखा जाता है। कुछ वर्गों में असमान अंतर भी रखा जा सकता है। 

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