हम आपको बता दें कि समंकों (आँकड़ों) को एकत्रित करने एवं उनका विश्लेषण करने तक जितनी भी प्रक्रिया होती है। इसमें सांख्यिकी का प्रयोग प्रमुख रूप से होता है। या यूँ कहें कि सांख्यिकी के बिना यह सब संभव ही नहीं। और सांख्यिकी में 'त्रुटि' शब्द का प्रयोग एक विशेष अर्थ में लिया जाता है।
साधारण भाषा में त्रुटि का तात्पर्य उन गणितीय ग़लतियों से होता है जो योग, गुणा, भाग आदि करते समय हो जाया करती हैं। जबकि सांख्यिकी में त्रुटि से तात्पर्य वास्तविक व अनुमानित संख्याओं के अंतर से होता है।
उदाहरण के रूप में, यदि किसी कक्षा के औसत प्राप्तांक प्राप्त करते समय कोई विद्यार्थी 53 को 35 पढ़ ले। तो निश्चित रूप से वह त्रुटि कहलाएगी। ठीक वहीं दिल्ली के स्कूलों के अध्यापकों का प्रति व्यक्ति मासिक ख़र्च ज्ञात करने के लिए स्तरित निदर्शन विधि के स्थान पर दैव निदर्शन विधि का प्रयोग किया जाए। तो परिणाम अशुद्ध होने की संभावना बनी रहेगी जो कि सांख्यिकी त्रुटियां (Statistical errors) कहलाएगी।
ये सांख्यिकी त्रुटियाँ कुछ अलग-अलग त्रुटियों से मिलकर बनती हैं। आइये इन त्रुटियों को हम निम्न बिंदुओं के आधार पर संमझते हैं-
1. मूल त्रुटि (Errors of origin)- ये वह त्रुटि है जो आँकड़ों के पक्षपातपूर्ण एकत्रिकरण व दोषपूर्ण तरीके को अपनाने के परिणामस्वरूप होती है। जैसे कि आँकड़ें एकत्रित करते समय सूचनाओं का एकत्रीकरण पक्षपातपूर्ण करना, दोषपूर्ण प्रश्नावली होना आदि। क्योंकि यदि दोषपूर्ण प्रश्नावली अथवा सूचनाएँ एकत्रित करने या देने में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया जाए तो इसमें त्रुटि संभव है। ये मूल त्रुटियाँ Errors of origin कहलाती हैं।
2. जोड़ तोड़ त्रुटि (Errors of manipulation)- ऐसी त्रुटि जो गणना, माप माध्यमों या प्रतिशतों के ग़लत प्रयोग करने के फलस्वररूप हुई हो। ऐसी त्रुटियाँ जोड़-तोड़ त्रुटियाँ कहलाती हैं।
3. अपर्याप्तता के कारण त्रुटियाँ (Errors of inadequacy)- जब एकत्रीकरण या सांख्यिकी विश्लेषण हेतु अपूर्ण सूचनाएँ प्राप्त हों। तब ऐसी त्रुटियाँ Errors of Inadequacy कहलाती हैं।
4. निर्वचन संबंधी त्रुटियाँ (Errors of interpretation)- जब विश्लेषित आँकड़ों से निष्कर्ष निकालते समय त्रुटि होती है। तब ऐसी त्रुटियों को निर्वचन संबंधी त्रुटियाँ कहा जाता है। चूँकि निर्वचन का कार्य जटिल होता है।
आइये सांख्यिकी त्रुटियों के अंतर्गत आने वाली निदर्शन व ग़ैर निदर्शन त्रुटि (Sampling and Non sampling errors) को समझने का प्रयास करते हैं। इन त्रुटियों को प्रतिचयन व अप्रतिचयन त्रुटि (Sampling and Non-sampling Errors) भी कहा जाता है।
प्रतिचयन एवं अप्रतिचयन त्रुटियाँ | Sampling Errors and Non Sampling Errors in hindi | निदर्शन एवं गैर निदर्शन त्रुटियाँ
सांख्यिकीय त्रुटियों को निदर्शन तथा ग़ैर-निदर्शन त्रुटियों में बाँटा जाता है-
(1) प्रतिचयन त्रुटियाँ (Sampling Errors)
(2) अप्रतिचयन त्रुटियाँ (Non sampling errors)
(1) निदर्शन त्रुटियाँ अथवा प्रतिचयन त्रुटियाँ (Sampling Errors) | निदर्शन विभ्रम
एक प्रतिदर्श सर्वेक्षण में समग्र का अध्ययन न करते हुए किसी छोटे से भाग का अध्ययन किया जाता है। इसलिए समग्र का अध्ययन कर निकाले गये निष्कर्ष में त्रुटियाँ हो सकती हैं। इसके विपरीत संगणना रीति (Census method) के अंतर्गत निकाले गये निष्कर्षों में ऐसी त्रुटियों की संभावना न के बराबर होती है।
निदर्शन त्रुटियाँ यानि कि समग्र विधि द्वारा प्राप्त किये गये परिणामों तथा संगणना रीति द्वारा प्राप्त परिणामों के बीच अंतरों को कहा जाता है। जहाँ इन्हें प्राप्त किये जाने की रीति एक जैसी हो। हालांकि ये त्रुटियाँ समग्र के अधिक होने के साथ-साथ कम होती चली जाती हैं।
इस प्रकार समान परिस्थितियों में प्रतिदर्श निष्कर्ष व संगणना निष्कर्ष में अंतर को निदर्शन त्रुटि यानि कि प्रतिचयन त्रुटि कहते हैं। प्रतिदर्श के चुनाव में विशेष ध्यान रखने के बावजूद भी ये त्रुटियाँ अवश्य उत्पन्न होती हैं। इसीलिये कहा जाता है कि प्रतिदर्श से निकाले गए निष्कर्ष पूर्णतया सही नहीं होते।
प्रतिचयन त्रुटि की गणना-
प्रतिचयन त्रुटि की गणना निम्न प्रकार से की जाती है-
निदर्शन त्रुटि = वास्तविक मूल्य - निदर्शन मूल्य
(अर्थात प्रतिदर्श त्रुटि, प्रतिदर्श आंकलन तथा वास्तविक मूल्य में अंतर को इंगित करता है।)
उदाहरणार्थ-
मानाकि किसी गाँव के 5 कृषकों की आमदनी क्रमशः 500, 550, 600, 650, 700 रुपये है। यदि हम इन कृषकों की औसत आमदनी ज्ञात करें तो,
500+550+600+650+700=3000
औसत आमदनी 3000/5=600 होगी।
अब मान लीजिये हम 2 कृषकों का एक ऐसा प्रतिदर्श चुनते हैं जहाँ 2 कृषकों की आमदनी 500 व 600 है।
500+600=1000
इसलिए 2 कृषकों की औसत आमदनी 1100/2=550 है।
अतः आंकलन की प्रतिचयन त्रुटि होगी-
600 (वास्तविक मान} - 550(आंकलन)= 50
निदर्शन त्रुटियाँ/प्रतिचयन त्रुटियाँ दो प्रकार की होती हैं-
(1) पक्षपातपूर्ण त्रुटियाँ- ये त्रुटियाँ प्रगणकों अथवा सूचना देने वालों के पक्षपाती रवैये के कारण उत्पन्न होती हैं।
(2) अपक्षपातपूर्ण त्रुटियाँ- ये त्रुटियाँ किसी पक्षपात या जानबूझकर नहीं कि जातीं। बल्कि संयोग से हो जाती हैं। फ़िर जैसे-जैसे प्रतिदर्श का आकार बढ़ता जाता है। त्रुटियों का आकार भी छोटा होता जाता है।
(2) ग़ैर निदर्शन त्रुटियाँ अथवा अप्रतिचयन त्रुटियाँ (Non Sampling errors) | ग़ैर निदर्शन विभ्रम
ये त्रुटियाँ किसी भी तरह के सर्वेक्षण में उत्पन्न हो सकती हैं। चाहे फ़िर वह संगणना हो या निदर्शन सर्वेक्षण। इसमें सभी प्रकार की गलतियाँ, पक्षपात शामिल रहते हैं।अप्रतिचयन त्रुटियाँ, प्रतिचयन त्रुटियों की अपेक्षा अधिक गंभीर होती है। ये सूचकों की लापरवाही, ज्ञान की कमी, भूल हो जाना आदि से उत्पन्न होती हैं। बड़े आकार का प्रतिदर्श देकर भी इन्हें कम नहीं किया जा सकता।
इस प्रकार की त्रुटियाँ ग़लत उत्तरों के रिकार्ड में रखने से होती है। उदाहरण के लिए, मान लीजिए किसी कक्षा के विद्यार्थियों को किसी मेज की लंबाई को मापने के लिए कहा जाए। ऐसी स्थिति में अलग-अलग छात्रों द्वारा ली गयी माप में अंतर हो सकता है। ये अंतर, उनके फीते में अंतर अथवा उनकी लापरवाही आदि के कारण हो सकते हैं।
इसी तरह की और भी गलतियाँ हो जाया करती हैं। जब जब अनुसंधानकर्ता ग़लत आँकड़े रिकार्ड कर लेता है। या लिख लेता है। जैसे कि यदि वह 31 को गलती से 13 लिख कर रिकार्ड में रख ले। ऐसी त्रुटियों को आँकड़ा अर्जन त्रुटियाँ कहा जाता है।
अनुत्तर सम्बन्धी त्रुटियों की संभावना तब रहती है जब अनुसंधानकर्ता प्रतिदर्श अनुसूची में सूचिबद्ध उत्तरदाता से संपर्क स्थापित नहीं कर पाता। अथवा सूची के उत्तर देने से कोई व्यक्ति मना कर देता है। इस तरह के आँकड़े या प्रेक्षणों को प्रतिनिधि प्रतिदर्श नहीं माना जा सकता है। इस त्रुटि को अनुत्तर संबंधी त्रुटियाँ कहा जाता है।
कभी-कभी प्रतिचयन योजना के अंतर्गत समष्टि से कुछ ऐसे सदस्य को शामिल करने की बिल्कुल भी संभावना नहीं होती है। जिन्हें निश्चित तौर पर प्रतिदर्श में शामिल किया जाना चाहिए था। इस प्रकार की स्थिति को प्रतिदर्श अभिनीति Sampling Bias कहा जाता है। और ये सभी स्थितियाँ या त्रुटियाँ अप्रतिचयन त्रुटि के अंतर्गत आती हैं।
अन्य टॉपिक्स पर भी आर्टिकल्स पढ़ें 👇
• खुली अर्थव्यवस्था और बंद अर्थव्यवस्था क्या है? खुली अर्थव्यवस्था और बंद अर्थव्यवस्था के बीच का अंतर
• माँग की लोच किसे कहते हैं? माँग की लोच का महत्व। माँग की लोच को प्रभावित करने वाले तत्वों को बताइए।