किसी भी सांख्यिकीय अनुसंधान के लिए योजना बनाते समय अनुसंधानकर्ता को यह निर्णय लेना होता है। कि वह अनुसंधान की कौन सी रीति अपनाए? दूसरे शब्दों में कहें, तो उसके सामने एक समस्या होती है कि समंकों के संकलन के लिए किस रीति का चुनाव करे?
चूँकि आँकड़ों के संकलन के लिए सांख्यिकी अनुसंधान की दो रीतियाँ होती हैं। संगणना रीति तथा निदर्शन रीति।संगणना रीति में किसी भी अन्वेषणकर्ता द्वारा समस्त समूह का अध्ययन करना होता है। बात करें निदर्शन रीति या प्रतिचयन रीति या न्यादर्श रीति का।
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तो निदर्शन रीति के अंतर्गत अन्वेषण करते समय अनुसंधानकर्ता को पूरे समूह का अध्ययन करने के बजाय समूह में से केवल कुछ इकाइयों को चयनित करने के बाद उन चयनित इकाइयों का अध्ययन करना होता है। तथा उनके द्वारा निकाले गये निष्कर्षों को पूरे समूह पर लागू कर देना होता है।
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वैसे तो ये दोनों ही रीतियाँ अपनी-अपनी जगह उपयुक्त हैं। यदि एक जैसा समूह हो तो निदर्शन रीति उपयुक्त होती है। ताकि कुछ ही इकाइयों के सैंपल लेकर आसानी से अध्ययन किया जा सके। और यदि समूह के अंदर अलग-अलग प्रकार की विशेषताएँ हों तो ऐसी स्थिति में संगणना रीति ही उपयुक्त होती है। ताकि समूह की प्रत्येक इकाइयों के अध्ययन करने के बाद किसी निष्कर्ष पर पहुँचा जा सके।
आपने जाना कि संगणना रीति (Census Method) सम्पूर्ण इकाइयों अर्थात सामूहिक रूप से अनुसंधान करने के लिए होती है तो वहीं प्रतिचयन रीति या निदर्शन रीति (Sampling method) समग्र में से कुछ प्रतिनिधि इकाइयों का चुनाव कर उन पर अनुसंधान करने के लिए होती है। आइये संगणना रीति तथा निदर्शन रीति में क्या अंतर है? जानते हैं-
संगणना रीति | निदर्शन रीति |
---|---|
1. समग्र की प्रत्येक इकाइयों के बारे में शुद्ध जानकारी प्राप्त की जाती है। | 1. समग्र में से कुछ विशिष्ट इकाइयों को चुनकर अध्ययन किया जाता है। |
2. इस रीति में समय, धन व परिश्रम अधिक लगता है। | 2. इस रीति में समय, धन व परिश्रम कम लागत है। |
3. यह रीति वहाँ पर उपयुक्त होती है जहाँ पर समग्र की इकाइयाँ भिन्न-भिन्न विशेषताओं वाली हों। यानि कि विजातीय हों। | 3. यह रीति वहाँ पर उपयुक्त होती है जहाँ समग्र की इकाइयाँ एक जैसी हों, समान विशेषताओं यानि कि सजातीय हों। |
4. इस रीति के लिए अनुसंधान का क्षेत्र सीमित होना चाहिए। | 4. इस रीति में विस्तृत क्षेत्र से भी आँकड़े प्राप्त कर अनुसंधान किया जा सकता है। |
5. समग्र का अध्ययन करने के कारण, इस रीति में समग्र अथवा समूह की प्रत्येक इकाई के संबंध में विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकती है। | 5. इस रीति में समग्र की प्रत्येक इकाई के संबंध में जानकारी प्राप्त नहीं की जा सकती। सिर्फ़ प्रतिनिधि मदों की सूचना ही प्राप्त की जा सकती है। |
6. इस रीति में प्रत्येक इकाई का अध्ययन होने के कारण प्राप्त परिणामों में विश्वसनीयता बनी रहती है। | 6. इस रीति में शुद्धता नहीं पायी जाती। इसलिए इससे प्राप्त परिणामों में विश्वसनीयता का अभाव होता है। |
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