भारतीय कृषि की विशेषताओं का वर्णन | भारतीय कृषि की प्रमुख समस्याएँ क्या हैं समझाइये | bhartiya krishi ki visheshta in hindi
भारतीय कृषि की बात करें तो भारत में कृषि का एक विशेष स्थान है। भारत में कृषि प्रमुख रूप से की जाती है। यहाँ की कृषि सम्पूर्ण देश में अधिक से अधिक भाग यानि कि लगभग 80% हिस्से में की जाती है। जहाँ खाद्यान्न फसलों का उत्पादन ज़्यादातर किया जाता है।
विचारणीय स्थिति यह है कि भारत में कृषि की प्रधानता होने के बावजूद यहाँ की कृषि अपने पिछड़ेपन को दर्शाती है। भारतीय कृषि की विशेषताओं का अध्ययन करें। तो सहज रूप से उसका पिछड़ापन व उसकी कमज़ोरियाँ मुख्य रूप से सामने आ जाती हैं। जिन्हें हम भारतीय कृषि की समस्याएँ भी कह सकते हैं। भारतीय कृषि की प्रमुख विशेषताएँ bhartiya krishi ki pramukh visheshtayen निम्न हैं-
(1) मानसून पर निर्भरता -
भारत में लगभग 70% भाग में मानसून के सहारे ही कृषि की जाती है। प्रायः देखा जाता है कि यदि वर्षा सही समय में हो जाए तो उत्पादन भरपूर हो जाता है। अन्यथा खाद्यान्न संकट की स्थिति आ जाती है।
(2) जीविका का साधन -
भारतीय कृषि व्यावसायिक न होकर जीविका के साधन के रूप ज़्यादा प्रचलित है। करोड़ों कृषकों के जीविका का साधन सिर्फ़ कृषि है। करोड़ों कृषक मज़दूर सिर्फ कृषि को ही अपने पेट पालने का आधार बनाये हुए है।
(3) खाद्यान्न फसलों की प्रमुखता -
खाद्यान्न फसलों की आवश्यकता जनसंख्या बढ़ने के कारण बढ़ गयी है। अतः इतनी विशालतम जनसंख्या के लिए अनाज जुटाना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। अतः लगभग 75% भाग पर मुख्य रूप से खाद्यान्न फसलें जैसे- गेहूँ, चावल, चना आदि उगायी जाती हैं तथा शेष भाग पर व्यापारिक फसलें जैसे- जूट, कपास आदि उगायी जाती हैं।
(4) क्षेत्रीय विविधताएं -
भारतीय कृषि की यह भी एक ख़ासियत है कि यहाँ अलग-अलग क्षेत्रों में जलवायु व मिट्टी की विविधता पायी जाती है। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भूमि की उत्पादकता, सिंचाई सुविधाएं, भू-धारण व्यवस्था आदि में अंतर होने के कारण उत्पादकता का स्तर भी भिन्न-भिन्न होता है। फलस्वररूप भारतीय कृषि में क्षेत्रीय असमानताएँ पायी जाती हैं।
(5) जोतों का छोटा आकार -
भारतीय कृषि में जोतों का आकार छोटा होता है। लगभग 58% जोतों यानि कि खेतों का आकार छोटा होता है। दरअसल पारिवारिक या सामाजिक कारणों से कृषि योग्य भूमि छोटे-छोटे भागों में बाँट दी जाती है। ऐसे छोटे खेतों से कृषकों को आय भी सीमित ही होती है। अतः ये कृषक पूँजी निवेश द्वारा भूमि की उत्पादकता बढ़ाने में समर्थ नहीं हो पाते हैं।
(6) छिपी बेरोज़गारी की स्थिति -
भारत में अधिक मात्रा में छोटे किसान व मज़दूर पाए जाते हैं। जिन्हें वर्ष में केवल 4-5 महीने ही रोज़गार मिल पाता है। फ़सल बुवाई व कटाई के वक़्त ही ये मज़दूर या छोटे किसान रोज़गार प्राप्त कर पाते हैं। बाक़ी समय में बेरोज़गार रह जाते हैं। इस तरह ये छिपी बेरोज़गारी के शिकार होते हैं।
(7) कृषि स्वामित्व का असमान वितरण -
भारत में कृषि के स्वामित्व का असमान वितरण की समस्या होती है। केवल 10% प्रतिशत लोगों के पास कृषि का 49 प्रतिशत भाग होता है। तो वहीं 58 प्रतिशत लोगों के पास कृषि का केवल 13 प्रतिशत भाग ही है।
(8) निम्न श्रेणी की तकनीक -
भारतीय कृषि की एक विशेषता यह भी है कि यहाँ की अधिकांश कृषि आज भी पुरानी विधियों द्वारा की जाती है। नयी मशीनों के बजाय अधिकांश कृषक आज भी परम्परागत तरीकों से ही खेती करते है। परिणाम स्वरूप कृषि उत्पादन को पर्याप्त गति नहीं मिल पाती है।
(9) वित्त की व्यवस्था कम होना -
अधिकतर कृषकों के पास पर्याप्त वित्त का इंतज़ाम नहीं हो पाता। कृषि करने योग्य भूमि हो तब भी कृषक पर्याप्त पूँजी के अभाव में पिछड़ा ही एह जाता है।
(10) निम्न उत्पादकता व पिछड़ापन -
भारतीय कृषि निम्न उत्पादकता व पिछड़ेपन का शिकार होती रहती है। क्योंकि भारतीय कृषि की छोटी जोत, निम्न श्रेणी की तकनीक मानसून पर ज़्यादा निर्भरता, सिंचाई साधनों का अभाव आदि भारतीय कृषि के पिछड़ेपन का कारण रहे हैं।
उपरोक्त बिंदुओं से हमने जाना कि भारतीय कृषि पूरे देश में एक बड़े भाग पर की जाती है। जितने बड़े स्तर पर भारतीय कृषि की जाती है। शायद ही कोई ऐसा देश हो जहाँ इतने विशाल भाग पर कृषि की जाती हो। किंतु भारतीय कृषि की विशेषता bharatiya krishi ki visheshta अथवा समस्या यही है कि यहाँ कृषि का पिछड़ापन व कृषि का निम्नस्तर, छोटे जोत, निम्न तकनीक आदि की समस्या ज़्यादातर पायी जाती है। सीधे शब्दों में कहें तो यही भारत की कृषि की विशेषता है।
यहाँ आवश्यकता है तो कृषि के स्तर को बढ़ाने के सुझाव की। ताकि उचित दिशा में सही क़दम उठाकर कृषि के पिछड़ेपन के कारणों को दूर किया जा सके। साथ ही विश्व पटल पर भारतीय अर्थव्यवस्था को एक विशिष्ट मुक़ाम पर पहुँचाया जा सके।
उम्मीद है यह अंक 'भारतीय कृषि की मुख्य विशेषताएँ | bhartiya krishi ki visheshta kya hai?' आपके अध्ययन में अवश्य ही सहायक साबित होगा। यदि आप और भी किसी topic पर लेख चाहते हैं। तो बेझिझक मुझे कमेंट कर बता सकते हैं।
अन्य टॉपिक्स पर आर्टिकल पढ़ें👇
● खुली अर्थव्यवस्था और बंद अर्थव्यवस्था क्या है? खुली अर्थव्यवस्था और बंद अर्थव्यवस्था के बीच का अंतर
● माँग की लोच किसे कहते हैं? माँग की लोच का महत्व। माँग की लोच को प्रभावित करने वाले तत्वों को बताइए।
● स्थिर लागत व परिवर्तनशील लागत किसे कहते हैं | स्थिर लागत एवं परिवर्तनशील लागत में अंतर स्पष्ट कीजिए।
● व्यापार संतुलन व भुगतान संतुलन।Difference between Balance of Trade and Balance of Payment in hindi