किसी भी विषय को परिभाषित करने के लिए उसके क्षेत्र, उसकी विषय सामग्री तथा प्रकृति का ज्ञान होना आवश्यक होता है। तभी हम अनुमान लगा सकते हैं कि वह विषय असल रूप में क्या है। अर्थशास्त्र कला है या विज्ञान। इसकी जानकारी हम तभी लगा सकते हैं जब हम यह पता लगा सकें कि अर्थशास्त्र की प्रकृति क्या है?
अर्थशास्त्र की प्रकृति (Nature of Economics in hindi)
आइये हम अर्थशास्त्र की प्रकृति का अध्ययन करते हैं। इसके अंतर्गत अर्थशास्त्र विज्ञान है या कला (arthashastra vigyan hai ya kala)? इस तथ्य का अध्ययन करते हैं।
क्या अर्थशास्त्र एक विज्ञान है? | is economics a science in hindi
अर्थशास्त्र एक विज्ञान है या नहीं। kya arthashastra ek vigyan hai? इस तथ्य को समझने के लिए हमें सबसे पहले विज्ञान के अर्थ को समझना ज़्यादा आवश्यक होगा। तभी हम यह जान सकते हैं कि kya arthashastra vigyan hai? क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है?
विज्ञान एक ऐसी शाखा है जिसके अंतर्गत किसी तथ्य का कारण व परिणाम के बीच पारस्परिक संबंध का एक क्रमबद्ध तरीके से अध्ययन किया जाता है। विज्ञान की विशेषता है कि इसमें क्रमबद्धता आवश्यक है। जहाँ तथ्य स्वयं स्पष्ट हो सके। केवल तथ्यों को एकत्रित किये रहना ही विज्ञान नहीं है।
क्या अर्थशास्त्र को विज्ञान की पदवी दी जा सकती है?
हम संक्षेप में समझें तो हम यह कह सकते हैं कि तथ्यों का क्रमबद्ध रूप, विश्लेषण के परिणामस्वरूप कुछ नियमों व सिद्धांतों का प्रतिपादन, नियमों या सिद्धांतों का कारण और परिणाम के संबंध पर आधारित होना तथा इन नियमों का सार्वभौमिक होना ही यह तय कर सकता है कि arthashastra kala hai ya vigyan अर्थशास्त्र कला है या विज्ञान।
अर्थशास्त्र के विज्ञान होने के पक्ष में तर्क (Arthashastra ke vigyan hone ke paksh mein tark)
अर्थशास्त्र एक विज्ञान है। Arthashastra ek vigyan hai. हम निम्नलिखित तथ्यों के आधार पर अवश्य कह सकते हैं-
1. तथ्यों का क्रमबद्ध अध्ययन-
अर्थशास्त्र को विज्ञान कहे जाने का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि इसमें आर्थिक तथ्यों का क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है। सामान्य शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि इसमें वैज्ञानिक रीति का प्रयोग किया जाता है।
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2. नियमों का निरूपण-
विज्ञान होने के पक्ष में यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि इसमें मुद्रा रूपी पैमाने का प्रयोग करके निरीक्षण द्वारा नियमों का निरूपण किया जाता है।
3. आर्थिक नियमों का प्रतिपादन-
विज्ञान की ही तरह अर्थशास्त्र में भी अनेक नियम व सिद्धांत होते हैं। जो कि कारण व परिणाम के बीच संबंध व्यक्त करते हैं। जैसे माँग का नियम, क्रमागत उपयोगिता नियम ह्रास नियम आदि।
4. भविष्यवाणी करने की शक्ति-
अर्थशास्त्र में गणित, सांख्यिकी तथा अर्थमिति आदि रीतियों का प्रयोग किये जाने के कारण इसमें विज्ञान की भाँति भविष्यवाणी की जा सकती है। सीधे शब्दों में कहें तो इसमें आर्थिक व्याख्या करने की शक्ति है। जिसकी भविष्यवाणी की जा सकती है।
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5. सार्वभौमिकता का प्रतिपादन-
जिस तरह विज्ञान में प्रयोग किये जाने वाले नियम व सिद्धांत सवभौमिक होते हैं। उसी प्रकार अर्थशास्त्र में भी ऐसे नियम या सिद्धांत होते हैं जो सार्वभौमिक सत्य होते हैं। मानवीय प्रकृति पर आधारित ये नियम विश्व की सभी सभी जगहों यानि कि सभी देशों में समान रूप से लागू होते हैं। जैसे क्रमागत उपयोगिता ह्रास नियम, उत्पत्ति ह्रास नियम आदि।
अर्थशास्त्र के विज्ञान होने के विपक्ष में तर्क (Arthashastra ke vigyan hone ke vipaksh mein tark)
कुछ विद्वान अर्थशास्त्र को विज्ञान मानने के लिए तैयार नहीं हैं। ये अर्थशास्त्र के विज्ञान होने के विपक्ष में अपने तर्क प्रस्तुत करते हैं। जो कि निम्नलिखित हैं-
1. अर्थशास्त्रियों के विचारों में मत भिन्नता-
अर्थशास्त्रियों के तर्कों के अनुसार इनमें बहुत ज़्यादा मतभिन्नता पायी जाती है जिस कारण इसे विज्ञान मानना सही नहीं है। क्योंकि विज्ञान में मतभिन्नता नहीं पायी जाती।
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2. अर्थशास्त्र भविष्यवाणी करने में असमर्थ-
जिस तरह प्राकृतिक विज्ञान अपनी सटीक भविष्यवाणी के लिए जाना जाता है। उस तरह अर्थशास्त्र भविष्यवाणी करने में सक्षम नहीं है। क्योंकि अर्थशास्त्र एवं प्राकृतिक विज्ञान की विषय-सामग्री में अंतर होता है।
3. मुद्रा आर्थिक क्रियाओं की सही मापक नहीं-
अर्थशास्त्र में यह देख जाता है कि मुद्रा, आर्थिक क्रियाओं की सही-सही माप करने में असमर्थ होती है। इसका कारण है मुद्रा के मूल्य में बार-बार पररिवर्तन होना।
4. आर्थिक तथ्यों व आंकड़ों का वास्तविक न होना-
यह माना जाता है कि अर्थशास्त्र में एकत्रित किये गए आंकड़े या तथ्य वास्तविक नहीं होते। इसीलिये इन अवास्तविक तथ्यों या आंकड़ों को विज्ञान की तरह प्रयोग करना असंभव होता है।
निष्कर्ष- उपर्युक्त तथ्यों और तर्कों के आधार पर निष्कर्ष के रूप में यह कहा जा सकता है कि अर्थशास्त्र निश्चित रूप से विज्ञान की श्रेणी में रखने लायक है। बस इतना ही कह सकते हैं कि यह प्राकृतिक विज्ञान की तुलना में ज़रा कम अनुमान कर पाता है।
क्या अर्थशास्त्र एक कला है? | is economics an art in hindi
अर्थशास्त्र को विज्ञान मानने के बाद एक प्रश्न उठता है कि Kya arthashastra ek kala hai? क्या अर्थशास्त्र एक कला भी हो सकता है? अगर इसे समझना है तो हमे पहले कला को सझना होगा। कला शब्द का आशय किसी भी अध्ययन के व्यवहारिक पक्ष से लगाया जाता है। अर्थात कला किसी उद्देश्य को प्राप्त करने की सर्वोत्तम विधि बताती है।
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इसे यदि सरल और सीधे शब्दों में समझा जाये तो हम कह सकते हैं कि- "विज्ञान द्वारा जहाँ तथ्यों व सिद्धांतों की व्याख्या की जाती है। तो वहीं कला द्वारा इन्हीं तथ्यों और सिद्धांतों को व्यवहारिक रूप प्रदान किया जाता है।"
अर्थशास्त्र के कला होने के पक्ष में तर्क (Arthashastra ke kala hone ke paksh me tark)
अर्थशास्त्र एक कला है। arthashastra ek kala hai इसके पक्ष में आइये हम निम्न तर्कों का अध्ययन करते हैं-
1. अर्थशास्त्र मानव-कल्याण में वृद्धि के उपाय बताता है-
अर्थशास्त्र को आप सामाजिक विज्ञान भी कह सकते हैं। यानि कि यह एक ऐसा विज्ञान, जो कि मानवीय आदर्शों और उनके उद्देश्यों की अच्छाई-बुराई बताते हुए समाज में उत्पन्न होने वाली आर्थिक समस्याओं का हल बताता है।
2. अनेक आर्थिक समस्याएं केवल अर्थशास्त्र से ही सुलझती हैं-
अर्थशास्त्र में अनेक समस्याए हैं जैसे- बैंक दर, विनिमय दर, मुद्रा एवं साख संबंधी समस्याओं का निराकरण विशुद्ध रूप से कोई अर्थशास्त्री ही बता सकता है। वास्तव में, आर्थिक समस्याओं के निराकरण हेतु अर्थशास्त्री ही योग्यतम व्यक्ति होता है।
3. अर्थशास्त्र का वैज्ञानिक पक्ष सशक्त होना-
आर्थिक समस्याओं का हल ढूंढते समय अर्थशास्त्र का वैज्ञानिक पक्ष कमज़ोर न होकर सशक्त होता है। अर्थशास्त्र केवल ज्ञानदायक न होकर फलदायक भी है। इसलिए इसे कला का नाम देना भी उचित जान पड़ता है।
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4. व्यवहारिक अर्थशास्त्र का बढ़ता हुआ महत्व-
वर्तमान समय में 'व्यवहारिक अर्थशात्र' का महत्त्व बढ़ गया। और यह आर्थिक नियोजन सभी देशों में किसी न किसी रूप में स्वीकार किया जाता है।
अर्थशास्त्र के कला होने के विपक्ष में तर्क (Arthashastra ke kala hone ke vipaksh me tark)
अर्थशास्त्र कला न होकर एक विशुद्ध विज्ञान है। इस आधार को पुख़्ता करने के लिए हम निम्न तर्कों पर नज़र डालते हैं-
1. वैज्ञानिक आधार के लिए आवश्यक-
अर्थशास्त्र के वैज्ञानिक आधार को मज़बूत बनाये रखने के लिए यह आवश्यक है कि अर्थशास्त्री नीति निर्माण के कार्यों से खुद को अलग रखें।
2. आर्थिक समस्याएं विशुद्ध आर्थिक नहीं होती-
सामाजिक समस्याएं चाहे वो आर्थिक ही क्यों न हों, राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक पक्षों का भी प्रभाव होता है। इसीलिए कोई भी अर्थशास्त्री आर्थिक समस्याओं के निराकरण के लिए कोई निश्चित नीति नहीं दे सकता।
3. अर्थशास्त्र एक अपूर्ण कला का रूप-
हम आपको बता दें की अर्थशास्त्र पूर्ण कला न होकर एक अपूर्ण कला है। यहाँ अर्थशास्त्री का कार्य नीति निर्धारण करना न होकर समस्या का विश्लेषण करना मात्र होता है।
निष्कर्ष- अर्थशास्त्र क्या है? कला या विज्ञान? उपर्युक्त विवेचनों व तर्कों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि अर्थशास्त्र विज्ञान व कला दोनों ही है। परंतु अर्थशास्त्र को विज्ञान कहने के लिए उद्देश्यों को दिया हुआ मानकर ही, अर्थशास्त्रियों को नीति-निर्धारण का प्रयास करना चाहिए।
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