बजट बनाने की प्रक्रिया क्या होती है? | What is the budget making process in hindi

जानकारी के तौर पर हम आपको बता दें कि बजट निर्माण की प्रक्रिया (budget nirman ki prakriya) को जितना आसान माना जाता है। यह उतना आसान नहीं है। तो फ़िर बजट प्रक्रिया क्या है (budget prakriya kya hai?) इस अंक में हम जानने वाले हैं। 


Budget banane ki prakriya

बजट के लिए लंबे समय से तैयारी होती है। हजारों लोग दिन-रात एक करके पूरा हिसाब-किताब लगाते हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार, "बजट किसी वर्ष सरकार की अनुमानित आमदनी और ख़र्च का लेखा-जोखा होता है।"

बजट बनाने की इस सम्पूर्ण प्रक्रिया में वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और सरकार के अन्य मंत्रालय शामिल होते हैं। वित्त मंत्रालय प्रत्येक वर्ष ख़र्च के आधार पर नई-नई गाइडलाइन जारी करता है। इसके बाद मंत्रालयों को अपनी-अपनी मांग स्पष्ट करना होता है।

बजट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे समझना हर किसी के लिए आवश्यक है। देश के हर नागरिक को "बजट कैसे तैयार किया जाता है?" यह पता होना चाहिए। चलिये जानते है बजट प्रक्रिया के  चरणों को, जो कि निम्न हैं -

(1) बजट की तैयारी -
एक प्रश्न आपके ज़ेहन में उठता है कि कैसे तैयार होता है बजट? तो आपको बता दें कि इसे बनाने से पूर्व बजट की तैयारी की जाती है। वित्त मंत्रालय के द्वारा विभिन्न मंत्रालयों से अनुमानित आय-व्यय के लेखों को मांगा जाता है। भारत में संघीय शासन होने के कारण राज्य व केन्द्र में अलग-अलग बजट पेश किये जाते हैं। 

(2) बजट पेश करना -
बजट बन जाने के बाद उसे राज्य व सांसद के द्वारा पारित किया जाता है। यह तब तक प्रभावी नहीं माना जाता जब तक यह पूर्ण रूप से स्वीकृत नहीं हो जाता। लोकसभा द्वारा बजट पेश करना अनिवार्य माना जाता है। संसद में वित्त मंत्री द्वारा बजट का लेखा जोखा पेश किया जाता है। बजट प्रस्तुत करते समय वित्त मंत्री अपना बजट भाषण भी देता है। जिसमें उसके द्वारा पूरे वर्ष की आर्थिक नीतियों की समीक्षा की जाती है। पेश किये गए बजट बचत (आधिक्य) अथवा घाटे में से कोई भी हो सकते हैं। 

(3) सामान्य बहस का होना -
चूँकि पहले वित्त मंत्री द्वारा बजट का लेखा-जोखा अपने भाषण के साथ पेश किया जाता है जिसे संसद में पक्ष-विपक्ष के सभी सदस्यों द्वारा इत्मीनान से सुना जाता है। इसके बाद पेश किये गए बजट पर सामान्य बहस के लिए अलग से दिन तय किया जाता है। जिस पर संसद में पक्ष-विपक्ष के सदस्यों द्वारा सामान्य बहस (चर्चा) की जाती है।

(4) मतदान की प्रक्रिया -
बजट पर सामान्य बहस के बाद विभिन्न विभागों से संबंधित मंत्री अपने-अपने विभागों के लिए अनुदान की माँग रखते हैं और इन पर अलग-अलग बहस होती है। व्यय की कुछ मदें ऐसी होती हैं जिसके लिए संचित कोष से प्रत्यक्ष माँग की जाती है। इन मदों पर सदस्यों को मतदान करने का अधिकार नहीं होता है। कुछ मदें ऐसी भी होती हैं जिनके व्यय पर यदि सदस्य संतुष्ट नहीं होते तब अनुदान की मांगों में कटौती लाने का प्रस्ताव भी किया जाता है। 

अगर वित्तमंत्री के स्पष्टीकरण से सदस्य संतुष्ट न हों तो वे इस पर मतदान कर सकते हैं। यदि सदस्य संतुष्ट हो तो मतदान की कोई ज़रूरत नहीं होती। जब मांगों पर वोटिंग पूरी हो जाती हैं तब केन्द्र में राष्ट्रपति व राज्यों में राज्यपाल की स्वीकृति ली जाती है।

(5) बजट का क्रियान्वयन -
जब बजट की मांगों पर बहस समाप्त हो जाती है। तब एक विनिमय बिल रखा जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य, की गई मांगों को क़ानून रूप प्रदान करना व संचित कोष में से धन निकालने का अधिकार प्राप्त करना होता है। भारत में करों से प्राप्त आय को संचित कोष में रखा जाता है और बाद में उन राशि को ज़रूरत के हिसाब से निकाला जाता है।

वित्त विधेयक पारित हो जाने के बाद वित्त मंत्रालय के अधीन सेंट्रल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू सरकार के विभिन्न विभागों से कर प्राप्त करता है। करों से प्राप्त राशि सरकारी कोषागार (RBI या SBI) में जमा होती है। स्वीकृत की गई राशि को विभिन्न विभाग व मंत्रालयों द्वारा उस वित्तीय वर्ष में ज़िम्मेदारी के साथ व्यय किया जाता है। 

बजट के अंतर्गत आने वाले सभी डॉक्युमेंट्स को विशेष रूप से चयनित अधिकारी ही तैयार करते हैं। इस प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले सभी कंप्यूटर्स को दूसरे नेटवर्क से डीलिंक (Disconnect) कर दिया जाता है। बजट पर काम कर रहा लगभग 100 लोगों का स्टाफ़ करीब 2 से 3 सप्ताह तक नॉर्थ ब्लॉक ऑफिस में ही रहता है। कुछ दिनों तक उनको आने की इजाज़त भी नहीं होती। अधिकारियों के पास केवल एक फ़ोन होता है जिस पर वे सिर्फ़ कॉल रिसीव कर सकते हैं।

इस वित्त के नियंत्रण का कार्य इन संस्थाओं द्वारा किया जाता है जैसे- अनुमान समिति, अंकेक्षण विभाग, सार्वजनिक या लोक लेखा समिति तथा सार्वजनिक उपक्रम समिति। अंकेक्षण विभाग द्वारा सरकारी जांच पड़ताल की जाती है। अनुमान समिति बजट पर दिए गए प्रस्तावों का अध्ययन करके परामर्श देती है और साथ ही सार्वजनिक सेक्टरों पर वित्तीय नियंत्रण का कार्य करती है। 

उम्मीद है आपको हमारा यह अंक "बजट बनाने की प्रक्रिया क्या होती है? | What is the budget making process in hindi" आपके अध्ययन में अवश्य ही मददग़ार साबित होगा।साथ ही अब यह जान चुके होंगे कि भारत में बजट किस प्रकार बनाया जाता है (bharat me budget kis prakar banaya jata hai?) आशा है आप इस जानकारी को ज़रूर साझा (Share) करना चाहेंगे। ताकि बजट प्रक्रिया (bajat prakriya) को समझने में सभी को आसानी हो।


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