बजट की विशेषतायें बताइए | सरकारी बजट की विशेषताएँ क्या होती हैं?
गत वर्ष तथा चालू वर्ष की वित्तीय गतिविधियों तथा सरकार की प्रस्तावित आर्थिक नीतियों का विस्तृत ब्यौरा और साथ ही आगामी वर्ष के लिये सरकारी आय-व्यय के अनुमानित आँकड़ों का ब्यौरा बजट (Budget) कहलाता है। बजट क्या है? इसके प्रकार क्या हैं? इसकी विस्तृत व्याख्या हमने पिछले अंक में की है। आप इस लिंक पर click कर पढ़ सकते हैं।
बजट एक ऐसा शब्द है जो हम सभी की ज़िंदगी में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आप अपने हर छोटे-बड़े काम या कोई भी घरेलू ख़र्चे या बाहरी निवेश करने का फ़ैसला अपना बजट बना कर ही करते हैं। ठीक इसी प्रकार सरकार भी अपने दायरे में आने वाले कार्यों को, आय-व्यय का लेखा-जोखा, बजट बनाकर ही सम्पन्न करती है। हर वर्ष सरकार, जनता के सामने अपना बजट प्रस्तुत करती है। इसीलिए बजट, सरकार के साथ-साथ प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का अत्यंत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
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सरकारी बजट बनाते समय इसी बात का ध्यान ज़्यादा रखा जाता है कि बजट का उद्देश्य देश के आर्थिक हित में हो। ना कि सरकार या किसी विशेष व्यक्ति के हित में। इसीलिये बजट विशिष्ट विशेषताओं को समाहित करते हुए बनाया जाता है। तो चलिए हम बजट की विशेषताएँ क्या है? जानते हैं।
बजट की विशेषताएँ | Characteristics of a budget in hindi | Features of a budget in hindi
बजट को विशेष अवधि, आय-व्यय, नीति-नियमों, आर्थिक दशाओं का ध्यान रखते हुए बनाया जाता है। इसीलिए बजट विशेषताओं से परिपूर्ण होता है। सरकारी बजट की प्रमुख विशेषताएँ budget ki visheshtayein निम्नलिखित हैं-
(1) बजट का आधार रोकड़ राशि-
इसके अंतर्गत बजट को बहीखाते के आधार पर तैयार न करते हुए नकदी के आधार पर बनाया जाता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो बजट के समस्त आय व्यय रोकड़ राशि में होते हैं। क्योंकि इससे सरकार को वास्तविक स्थिति का पता चल जाता है।
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(2) सकल राशि -
बजट के अंतर्गत आय-व्यय की सकल राशि दिखाई जाती है। सामान्य शब्दों में कहा जाए तो आय प्राप्त करने के लिए किए गए व्यय को आय में से घटाकर नहीं दिखाया जाता। इसमें कुल आय एक ओर तथा कुल व्यय एक ओर दिखाया जाता है। परिणामस्वरूप बजट का निर्माण करते समय तथा क्रियान्वयन करते समय समन्वय बना रहता है।
(3) समस्त क्रियाओं में एक बजट-
देश की वास्तविक आर्थिक दशा का सही अनुमान लगाया जा सके इसके लिए उस देश की सरकार को चाहिए कि वह आर्थिक क्रियाओं के लिए एक ही बजट बनाना सुनिश्चित करे।
(4) व्यय समाप्ति नियम-
बजट में जो राशि जिस कार्य के लिए आवंटित की जाती है। इस बात का ध्यान रहे कि वह राशि उसी वित्तीय वर्ष में उस कार्य के लिये व्यय किया जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। यदि ऐसा संभव नहीं होता या पिछले वित्तीय वर्ष के लिए आवंटित राशि मे से कुछ राशि बच जाती है तो उसे अगले वित्तीय वर्ष में समायोजित न करते हुए समाप्त कर दिया जाता है। अगले वित्त वर्ष के लिए पुनः योजना तैयार कर ली जाती है।
(5) अनुमान वास्तविकता के निकट-
बजट जो भी अनुमान लगाए जाते हैं। वे अनुमान वित्तीय वर्ष समाप्त होने पर वास्तविकता के समीप होने चाहिए। यदि बजट का अनुमान वास्तविकता के अनुरूप नहीं होता है तब अनेक समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।
(6) बजट अवधि-
बजट की एक निश्चित समयावधि होनी ही चाहिए। जैसा कि अब तक चला आ रहा है। क्योंकि इससे जनप्रतिनिधियों द्वारा सरकार के कार्यों का प्रतिवर्ष अवलोकन किया जा सकता है।
(7) लेखों की समानता-
संघीय वित्तीय व्यवस्था में केंद्र व राज्यों के लेखों में समानताएं होनी चाहिए। इससे सरकार को विभिन्न राज्यों का तुलनात्मक ढंग से अध्ययन करना व नियंत्रण रखना आसान हो जाता है।
(8) मदों के प्रकार-
बजट की आय-व्यय की मदों को आगम व पूँजीगत मदों में विभाजित करके दर्शाया जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
आज इस अंक में आपने बजट की मुख्य विशेषताओं के बारे में जाना। उम्मीद है बजट की विशेषता पर हमारा यह अंक आपके अध्ययन में अवश्य ही सहायक होगा। इसे आप अपने दोस्तों को Share कर सकते हैं। साथ ही हमें भी कमेंट कर अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।
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