प्रगणकों द्वारा अनुसूची तैयार करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? | अनुसूची के गुण व दोष बताइये | Anusuchi ke gun aur dosh kya hote hain?

अनुसूची क्या है?

आपने हमारे पिछले अंकों में समंक का अर्थ एवं इसके प्रकार क्या हैं? सरलतम रूप में जाना। दोबारा पढ़ने के लिए आप इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं। समंक संकलन की विधियों के अंतर्गत प्रश्नावली रीति क्या है? यह भी जाना। 

आइये इससे मिलती जुलती एक और रीति के बारे में जानते हैं। जिसे अनुसूची कहा जाता है। प्राथमिक समंक एकत्रित करने की यह भी एक महत्वपूर्ण विधि मानी जाती है। इस विधि के अंतर्गत एक प्रश्नावली तैयार कर, प्रगणक संबंधित व्यक्तियों के पास स्वयं जाकर उत्तर भरते हैं। दरअसल प्रत्येक प्रगणकों के लिये विशिष्ट क्षेत्र निर्धारित कर दिए जाते है साथ ही उन प्रगणकों को आवश्यक रूप से प्रशिक्षित भी किया जाता है।


सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर किये जाने वाले सर्वेक्षण इसी रीति द्वारा किया जाता है। जैसे राष्ट्रीय निदर्शन सर्वेक्षण संगठन (NSSO) इस रीति की सफलता इस बात पर निर्भर करती है। कि प्रगणक की योग्यता क्या है।


अनुसूची के गुण (Properties of Schedule in hindi)

आइये अनुसूची के विशिष्ट गुणों anusuchi ke gun को जानते हैं जो कि निम्नलिखित हैं-

(1) अनुसूची के विशेष गुणों में एक गुण यह है कि इस विधि द्वारा अधिक विस्तृत रूप से सूचना प्राप्त की जा सकती है।

(2) सूचना देने वालों से व्यक्तिगत संपर्क होने के कारण सर्वेक्षण संबंधी अनेक कठिनाइयों का निराकरण हो जाता है। जो कि किसी भी अनुसंधान के लिए लाभप्रद होता है।

(3) इसमें जटिल प्रश्नों के शुद्ध व विश्वसनीय उत्तर प्राप्त हो जाते हैं।

(4) योग्य प्रगणकों के पक्षपात की सम्भावना नहीं रहती है। क्योंकि प्रगणक सामान्यतः पक्ष व विपक्ष दोनों प्रकार से होते हैं।

(5) चूँकि इस रीति में सर्वेक्षक स्वयं संपर्क करते हुए अपने प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करते हैं। इसलिए इस रीति से शुद्ध व विश्वसनीय समंकों को प्राप्त किया जा सकता है।



अनुसूची के दोष (Schedule defects in hindi)

अनुसूची के दोष anusuchi ke dosh निम्नलिखित हैं - 

1. इस प्रणाली में सबसे बड़ा दोष यह है कि यह रीति खर्चीली ख़र्चीली बहुत है। इसीलिए इसे केवल सरकार द्वारा ही अपनाया जाना ज़्यादा सही है।

2. अनुसूची तैयार करते समय प्रगणकों में पक्षपातपूर्ण व्यवहार की संभावना बनी रहती है।

3. प्रगणकों को यदि प्रशिक्षण देना हो तो इनके लिए काफ़ी खर्च और परेशानी होती है।

4. यदि प्रगणक अकुशल हो तो त्रुटि व अशुद्धता फैलने का डर सदैव बना रहता है।



अनुसूची में सावधानियां | अनुसूची बनाते समय क्या- क्या सावधानियां रखनी चाहिए?

अनुसूची रीति समंक संकलन के लिए एक महत्वपूर्ण रीति है। किंतु यदि इस रीति का प्रयोग सावधानी से न किया जाए तो यह किसी भी अनुसंधान के लिए ख़तरा बन सकती है। आइये जानते हैं कि Anusuchi taiyar karte samay kaun kaun si savdhani rakhni chahie? अनुसूची तैयार करते समय कौन कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए?

(1) किसी भी अनुसंधान के लिए सही तथ्यों के संकलन हेतु प्रगणक को व्यवहार कुशल होना चाहिए।

(2) किसी एक प्रश्नावली को भरकर प्रगणक को नमूने के रूप में दे दिया जाना चाहिए।

(3) प्रश्नों की संख्या कम होना चाहिए। ये सरल व स्पष्ट होने चाहिए। 

(4) सर्वेक्षण करते समय जानकारियाँ प्राप्त करने में कोई अगर कोई संदेह हो तो उत्तर की पुष्टि की जाँच के लिए प्रश्न पूछ लेना चाहिए।

(5) प्रगणकों को अपने क्षेत्र से संबंधित समस्याओं का पूरा ज्ञान होना चाहिए। इसकी अनुसूची तैयार करते समय महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

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