भारतीय कर प्रणाली एक विकसित संरचना है। जिसमें केंद्र सरकार व्यक्ति और संस्थाओं से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर वसुलती है। जिसमें प्रत्यक्ष कर के अंतर्गत व्यक्तिगत आयकर, संपत्ति कर और निगम कर शामिल किये जाते हैं। जबकि अप्रत्यक्ष कर में बिक्री कर, उत्पाद शुल्क, कस्टम ड्यूटी (राजस्व शुल्क) और सर्विस टैक्स (सेवा कर) शामिल किए जाते हैं।
भारत में कर संरचना तीन स्तरीय संघीय संरचना है। केंद्र सरकार, राज्य सरकारें और स्थानीय नगर निकाय। संविधान के अनुच्छेद 256 के अनुसार '"क़ानून के अधिकार के बाहर कोई भी कर नहीं लगाया जा सकता या एकत्र किया जा सकता है।" इसलिए एकत्र किए गए प्रत्येक कर को एक साथ कानूनी समर्थन देने की आवश्यकता होती है।
करों के प्रकार (Types of taxes) | Karo ke prakar likhiye
भारत सरकार, भारत में कर प्रणाली के अंतर्गत 2 प्रकार के करों को अनुमति प्रदान करती है। जो कि निम्न हैं-
(1) प्रत्यक्ष कर (Direct Tax)
(2) अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax)
(1) प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) - प्रत्यक्ष कर वह कर है जिसे व्यक्ति से सीधे तौर पर वसूला जाता है। यानि कि direct उस व्यक्ति विशेष पर आरोपित किया जाता है। प्रत्यक्ष कर व्यक्तियों की संपत्ति और आय पर तत्काळ कर लगाए जाते हैं और करदाताओं द्वारा सीधे सरकार को भुगतान किए जाते हैं। जैसे आय कर, संपत्ति कर, मृत्यु कर, उपहार कर, धन कर आदि।
इस कर के अन्तर्गत इनकम टैक्स income tax सबसे लोकप्रिय टैक्स है। आमय के अलग-अलग स्तर के लिए अलग-अलग टैक्स स्लैब के साथ अर्जित आय पर, व्यक्तियों पर छूट के आधार पर वसूले जाते हैं। व्यक्तियों का तात्पर्य, कोई परिवार, कंपनी, फर्म, सहकारी समितियाँ, ट्रस्ट आदि शामिल की जाती हैं।
(2) अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) -
अप्रत्यक्ष कर ऐसे कर होते हैं जो वस्तुओं और सेवाओं के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से जनता पर लगाये जाते हैं। इसके अंतर्गत वस्तुओं और सेवाओं के विक्रेता उस कर को इकट्ठा करते हैं। जो सरकारी निकायों द्वारा वसूल कर लिया जाता है। अप्रत्यक्ष करों की निगरानी कार्य केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड करता है।
चूँकि भारत को लंबे समय तक कर प्रणाली बड़ी ही जटिल थी। जीएसटी लागू हो जाने के उपरांत अब कर प्रणाली सरल हो गयी है। यह एक सर्व समावेशी अप्रत्यक्ष कर के रूप में कार्य करता है। जिसने कसर के व्यापक प्रभाव को समाप्त करने में मदद की है।
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हमें सरकार को कर क्यों देना चाहिए?
कर करदाता द्वारा दिया जाने वाला एक ऐसा अनिवार्य अंशदान है जिसे सामाजिक उद्देश्य जैसे आय व संम्पत्ति की असमानता को कम करके उच्च रोज़गार स्तर प्राप्त करने तथा आर्थिक स्थिरता व वृद्धि प्राप्त करने में सहायता हेतु दिया जाता है। जो कि आवश्यक रूप से सरकार को उसके बनाये कानूनों के अनुसार दिया जाना सुनिश्चित किया जाता है।
शुल्क और कर में क्या अंतर है?
शुल्क किसी निश्चित सेवा के लिए दिया जाता है। जबकि कर केवल सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है। यह किसी निश्चित सेवा के लिए नहीं होता। हम इसे इस तरह समझ सकते हैं कि कर एक अनिवार्य सेवा है जिसे सरकार के आदेशानुसार अनिवार्यतः हमें देना होता है। आइये हम कर प्रणाली की कमियां समझने का प्रयास करते हैं।
भारतीय कर प्रणाली के गुण (Features of Indian Tax System in hindi)
भारतीय कर प्रणाली के गुण Bhartiya kar pranali ke gun निम्नलिखित हैं -(1) बहु कर प्रणाली का होना -
भारतीय कर प्रणाली की एक प्रमुख विशेषता है करों की विविधता। अर्थात प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दोनों ही करों को शामिल कर बहु प्रणाली को साकार रूप दिया गया है।
(2) अधिकतम सामाजिक लाभ प्रदान करना -
आमतौर पर करों का अर्थ यही समझा जाता है कि कर लगाए ही इसीलिए जाते हैं ताकि जनता से सीधे-सीधे आय प्राप्त की जाये। लेकिन वास्तव में इसका प्रमुख उद्देश्य जनता से आय अर्जित करना नहीं होता बल्कि इसका प्रमुख उद्देश्य अधिकतम सामाजिक लाभ प्रदान करना भी होता है।
(3) कर प्रणाली का लोचपूर्ण होना -
चूँकि सरकार द्वारा प्रतिवर्ष करों की दरों में लगातार परिवर्तन करते हुए राजस्व में परिवर्तन किये जाते हैं। अर्थात यह कहा जा सकता है कि भारतीय कर प्रणाली लोचपूर्ण है।
(4) समता के सिद्धांत पर आधारित होना -
देश की कर प्रणाली का ढाँचा इस प्रकार तैयार किया जाता है कि धनी व्यक्ति पर कर का भार अधिक तथा निर्धन व्यक्ति पर कर का भार कम पड़े।
(5) सरलीकृत कर प्रणाली का होना -
हमेशा यह प्रयास किया जाता है कि कर की प्रणाली इतनी सरल व सीधी हो कि साधारण व्यक्ति भी अपना कर का नियोजन आसानी से कर सके।
भारतीय कर प्रणाली के दोष (Defects of Indian Tax System in hindi)
भारतीय कर प्रणाली के गुण Bhartiya kar pranali ke dosh निम्नलिखित हैं -
(1) भारतीय कर प्रणाली अव्यवस्थित है। इसका विकास वैज्ञानिक आधार पर नहीं किया गया है।
(2) भारतीय कर व्यवस्था असंतुलित है। क्योंकि इसमें करारोपण से प्राप्त कुल आय में प्रत्यक्ष करों की तुलना में अप्रत्यक्ष करों का योगदान अधिक है।
(3) भारतीय कर प्रणाली न्यायशीलता का कड़ाई से पालन नहीं करती। जिस कारण धनी वर्ग के अपेक्षा कारों का भार निर्धन वर्गों पर अधिक पड़ता रहता है।
(4) भारतीय कर व्यवस्था में अनिश्चितता का गुण विद्यमान है। भारत में इसके बजट को मानसूनी जुआ माना जाता है।
(5) भारतीय कर प्रणाली कार्यकुशल नहीं है। इसी कारण भारत में ज़्यादातर बड़े पैमाने पर करों की चोरियाँ होती हैं।
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