राष्ट्रीय आय लेखांकन क्या है | राष्ट्रीय आय लेखा प्रणाली की विशेषताएं एवं महत्व बताइए।

राष्ट्रीय आय लेखांकन से आप क्या समझते हैं? | (राष्ट्रीय आय लेखांकन का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं महत्व, National Income Accounting in hindi, Properties & Importance of national income accounting in hindi, National income accounting in economics in hindi)

किसी देश की अर्थव्यवस्था के अंतर्गत होने वाली आर्थिक क्रियाओं को एक लेखा वर्ष में कुल आय तथा वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य द्वारा मापना ही राष्ट्रीय आय लेखा प्रणाली (rashtriya aay lekha pranali) अथवा राष्ट्रीय आय लेखांकन (rashtriya aay lekhankan) कहा जाता है। 


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विश्व के प्रत्येक देश का प्रमुख उद्देश्य उनका अपना आर्थिक विकास करना ही होता है। उस पर भारत जैसे अल्प-विकसित देशों के लिए तो आर्थिक विकास एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण उद्देश्य बन जाता है। आर्थिक विकास में वृद्धि की दर को एक निश्चित अवधि में राष्ट्रीय आय में वृद्धि के रूप में मापा जाता है। किसी देश की राष्ट्रीय आय के आंकड़ों का अध्ययन करके ही उस देश की आर्थिक प्रगति को समझा जा सकता है। अतः प्रत्येक देश को उनकी राष्ट्रीय आय से संबंधित आँकड़े तैयार रखना पड़ता है। जिसे राष्ट्रीय आय लेखा प्रणाली या राष्ट्रीय आय लेखांकन (National Income Accounting) कहते है।


भारत में राष्ट्रीय आय लेखांकन प्रणाली का विकास कैसे हुआ?

स्वतंत्रता के पूर्व अर्थशास्त्रियों द्वारा राष्ट्रीय आय के अनुमान लगाए तो जाते थे लेकिन वे आंकड़े पूर्णतः विश्वसनीय नहीं होते थे। जिस कारण अनुमानों व अवधारणाओं में अनेक त्रुटियां पायी जाती थीं। इन्हीं त्रुटियों से बचने के लिए पहली बार राष्ट्रीय आय समिति का गठन किया गया। जिसके अंतर्गत सुव्यवस्थित ढंग से राष्ट्रीय आय की गणना का कार्य देश में पहली बार शुरू किया गया।



राष्ट्रीय आय से संबंधित अतिरिक्त सूचनाओं को एकत्र करने के लिए सन 1950 में 'राष्ट्रीय आदर्श सर्वेक्षण निदेशालय' की स्थापना की गई। इसके बाद सन 1955 में राष्ट्रीय आय की गणना का कार्य 'केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन' के हाथों में सौंप दिया गया। 

शुरुआत में राष्ट्रीय आय की गणना के लिए आधार-वर्ष 1948-49 को माना गया था। बाद में इसकी संशोधित श्रृंखला में 1960-61 और 1970-71 को आधार वर्ष माना गया। साथ ही नई श्रृंखला के निर्माण में 2011-12 को आधार वर्ष बनाया गया है। केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन (C.S.O) प्रतिवर्ष राष्ट्रीय आय तथा प्रति व्यक्ति आय के अनुमानों के लिए एक 'श्वेत पत्र' प्रकाशित करता है। जिसे राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी भी कहा जाता है। 

राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी- 'देश में राष्ट्रीय आय से संबंधित आंकड़ों को 'राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी' कहा जाता है। इस राष्ट्रीय लेेेखा सांख्यिकी अर्थात श्वेत पत्र के ज़रिये देश की अर्थव्यवस्था में विभिन्न क्षेत्रों में होने वाली आर्थिक क्रियाओं की विस्तृत विवेचना करने में आसानी होती है।

राष्ट्रीय आय लेखांकन (rashtriya aay lekhankhan) को समझने से पहले हम 'राष्ट्रीय आय' को समझने का प्रयास करते हैं। राष्ट्रीय आय किसी देश में एक वर्ष में उत्पादित सम्पूर्ण वस्तुओं एवं सेवाओं के मौद्रिक मूल्य का योग होती है। इसे किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के विकास का सूचक माना जा सकता है। जो कि उस देश की अर्थव्यवस्था का स्पष्ट चित्र प्रदर्शित करती है।

वहीं राष्ट्रीय आय लेखा प्रणाली (rashtriya aay pranali) किसी भी देश के निर्माण की विधि एवं तकनीक मानी जा सकती है। जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय आय के आंकड़ों को तैयार कर उन्हें व्यवस्थित करना सुनिश्चित किया जाता है।


राष्ट्रीय आय लेखा प्रणाली की परिभाषा एवं अर्थ

राष्ट्रीय आय लेखांकन प्रणाली को यदि हम सरल भाषा में समझना चाहें तो यह कह सकते हैं कि किसी देश की अर्थव्यवस्था के अंतर्गत होने वाली आर्थिक क्रियाओं को एक लेखा वर्ष में कुल आय तथा वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य द्वारा मापना ही राष्ट्रीय आय लेखा प्रणाली अथवा राष्ट्रीय आय लेखांकन कहा जाता है। 

वैसे तो राष्ट्रीय आय तथा राष्ट्रीय आय लेखांकन शाब्दिक रूप में एक समान प्रतीत होते हैं लेकिन असल में ये दोनों अलग हैं। राष्ट्रीय आय का अर्थ किसी अर्थव्यवस्था में एक वर्ष में उत्पादित अंतिम वस्तुओं व सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के योग से होता है। जबकि राष्ट्रीय आय का लेखांकन (rashtriya aay ka lekhankhan) किसी अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं के कुल मूल्य, विभिन्न उत्पादन साधनों के बीच राष्ट्रीय आय का अन्तरप्रवाह तथा अर्थव्यवस्था के अंतिम उपभोग व्यय के क्रमबद्ध सांख्यिकीय वर्गीकरण एवं विश्लेषण से संबंधित होता है।

राष्ट्रीय आय लेखा प्रणाली के लिए कुछ प्रमुख परिभाषाएं जिन्हें कुछ प्रमुख अर्थशास्त्रियों द्वारा दी गयी हैं हम बताने जा रहे हैं -

फ्रेंकजान के अनुसार- "राष्ट्रीय आय प्रणाली वह प्रणाली है जिसके अंतर्गत सामूहिक आर्थिक क्रियाओं को समझा तथा मापा जाता है।"

पॉल स्टूडेंसकी के अनुसार- "राष्ट्रीय आय लेखांकन किसी देश की अर्थव्यवस्था के जटिल वित्तीय सौदों की प्रकृति, संव्यवहारों की प्रकृति और अंतरसंबंधों को निर्धारित करने की एक विधि है।"

रग्लस के अनुसार- "राष्ट्रीय आय लेख प्रणाली अर्थात वर्गीकरण की वह प्रणाली जो अर्थव्यवस्था में होने वाली आर्थिक क्रियाओं का वर्णन तथा कार्यमूलक विवरण करने के लिए आवश्यक है।"

ऐडे, पिकॉक एवं कूपर के अनुसार- "राष्ट्रीय आय लेखा एक निर्दिष्ट क्षेत्र की आर्थिक क्रियाओं से संबंधित आंकड़ों की सुव्यवस्थित व्यवस्था है।"


राष्ट्रीय आय लेखांकन की विशेषताएँ (Properties of national income accounting in hindi)

राष्ट्रीय आय लेखा प्रणाली की विशेषताएँ (rashtriya aay lekha pranali ki visheshtayein) निम्नलिखित हैं -

(1) राष्ट्रीय आय लेखा प्रणाली किसी अर्थव्यवस्था की आर्थिक गतिविधियों का लेखा-जोखा तैयार करने की एक विधि मानी जाती है।

(2) राष्ट्रीय आय लेखांकन को हम राष्ट्रीय आय की गणना से संबंधित एक क्रमबद्ध सांख्यकीय विवरणों का समूह कह सकते हैं।

(3) राष्ट्रीय आय लेखा प्रणाली, दोहरी लेखा प्रणाली पर आधारित कही जाती है।

(4) राष्ट्रीय आय लेखा प्रणाली में केवल उत्पादक गतिविधियों को ही शामिल किया जाता है। अनुत्पादक गतिविधियों को नहीं।

(5) उत्पादक क्रियाओं का समूहों तथा क्षेत्रों में कार्यात्मक वर्गीकरण किया जाता है।



राष्ट्रीय आय लेखांकन का महत्व (Importance of national income accounting in hindi)

किसी अर्थव्यवस्था को समझने की दृष्टि से राष्ट्रीय आय लेखांकन का बहुत महत्व होता है। राष्ट्रीय आय लेखांकन  प्रमुख महत्व निम्नलिखित है -

(1) आर्थिक प्रगति की जानकारी -
राष्ट्रीय आय लेखांकन से न केवल राष्ट्रीय आय की बल्कि बचत, निवेश, उत्पादन, उपभोग आदि के बारे में भी जानकारी प्राप्त होती है। देश की आर्थिक योजना के निर्माण में इन्हीं सब आंकड़ों की आवश्यकता होती है। एक  निश्चित समयावधि में किसी देश ने कितनी प्रगति की है या कितना विकास अभी बाक़ी है? इन बातों कि जानकारी के लिए राष्ट्रीय आय लेखा का ज्ञान आवश्यक है।

(2) राष्ट्रीय आय के वितरण की जानकारी -
राष्ट्रीय आय लेखांकन से इस बात का पता लगाया जा सकता है कि अर्थव्यवस्था में विभिन्न वर्गों के मध्य राष्ट्रीय आय का वितरण किस प्रकार हो रहा है। लोगों के रहन सहन का स्तर और उपभोग का स्वरूप किस प्रकार का है।

(3) नीति निर्धारण में महत्व -
राष्ट्रीय आय लेखांकन से किसी फर्म को यह ज्ञात करने में सरलता होती है कि वह फर्म जिस उद्योग का अंग है उसका उत्पादन कितना है? उस उत्पादन में फर्म का हिस्सा कितना है? किन वस्तुओं की मांग घट या बढ़ रही है? राष्ट्रीय आय का व्यय किस प्रकार हो रहा है। इन सभी बातों के आधार पर वह फर्म अपनी नीतियों का निर्धारण करती है।

(4) श्रम संघों के लिए महत्व -
राष्ट्रीय आय लेखांकन श्रम संघों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। श्रम संघों को राष्ट्रीय आय लेखा (rashtriya aay lekha) से आसानी से यह पता चल जाता है कि राष्ट्रीय आय में उनका योगदान कितना है? साथ ही प्रतिफल के रूप में उन्हें कितना हिस्सा प्राप्त होगा। इस बात की जानकारी मिल जाती है।

(5) अन्य अर्थव्यवस्थाओं से तुलना -
राष्ट्रीय आय लेखांकन से ही विभिन्न देशों की आर्थिक प्रगति की तुलना करने में सहायता मिलती है। इस तरह अन्य अर्थव्यवस्थाओं की आर्थिक प्रगति का मूल्यांकन करके कोई देश अपनी अर्थव्यवस्था के विकास हेतु उचित कार्यक्रम बना सकती है।


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