भारत में राष्ट्रीय आय की धीमी वृद्धि के कारण क्या हैं? | Bharat me rashtriya aay ki dhimi gati ke karan kya hain?

भारत की राष्ट्रीय आय में धीमी वृद्धि के कारण (Causes of slow growth of national income in hindi)




किसी भी देश की राष्ट्रीय आय में वृद्धि की दर तब धीमी रह जाती है जब देश के अंदर कुछ विशिष्ट सुविधाओं में कमी रह जाती हैं। जिस कारण देश में कृषि और औद्योगिक क्षेत्र में उत्पादन की गति धीमी रह जाती है। परिणामस्वरूप राष्ट्रीय आय में वृद्धि की दर कम हो जाती है। 

भारत में राष्ट्रीय आय की वृद्धि दर में कमी होने के प्रमुख कारण (bharat me rashtriya aay ki vraddhi dar me kami ke karan) निम्नांकित हैं -

(1) पूंजी की कमी - 
भारत में राष्ट्रीय आय में धीमी गति का एक प्रमुख कारण पूंजी की कमी है। भारत में विभिन्न परियोजनाओं को समय पर शुरू करना एवं पूरा करना पूंजी की कमी के कारण संभव नहीं हो पाता है।। इसके कारण उत्पादन और रोज़गार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। भारत में लोगों में बचत करने की इच्छा शक्ति और विनियोग की प्रेरणा का अभाव भी उनकी की कमी के कारण पाया जाता है।

(2) जनसंख्या में वृद्धि - 
भारत में जनसंख्या की वृद्धि दर बहुत ज़्यादा है। 1951 की जनगणना में भारत की जनसंख्या 36.1 करोड़ थी, जो कि 2001 में 102.7 करोड़ हो गई। जनसंख्या में इस तरह तीव्र वृद्धि के कारण राष्ट्रीय आय में वृद्धि की दर धीमी रह जाती है। क्योंकि तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या के कारण उत्पादन का अधिकांश भाग उनके भरण-पोषण पर ही व्यय हो जाता है। परिणामस्वरूप उत्पादन में वृद्धि हेतु पूंजी ही नहीं बचती है।

(3) कृषि पर निर्भरता -
भारत में जनसंख्या का लगभग 70 प्रतिशत भाग कृषि पर निर्भर है। साथ ही राष्ट्रीय आय का लगभग 25 प्रतिशत भाग कृषि से ही प्राप्त होता है। लेकिन भारतीय कृषि के पिछड़ेपन के कारण उत्पादकता बहुत धीमी की है। जिस करना राष्ट्रीय आय की गति भी धीमी है।

(4) तकनीकी पिछड़ापन -
भारत में पूंजी की कमी के कारण कृषि हो या औद्योगिक क्षेत्र हो, दोनों ही क्षेत्रों में तकनीकी पिछड़ापन पाया जाता है। दरअसल भारत में अधिकतर उत्पादन परंपरागत विधियों से ही होता है। परिणामस्वरूप उत्पादकता तथा आय में कमी रह जाती है।

(5) अपर्याप्त औद्योगिक विकास - 
औद्योगिक विकास की बात करें तो आप पाएंगे कि भारत में भारी तथा आधारभूत उद्योग जैसे - लोहा और इस्पात उद्योग, उर्वरक उद्योग, सीमेंट उद्योग आदि ठीक प्रकार से विकसित नहीं हो सके हैं। सार्वजनिक उद्योगों का निष्पादन भी  संतोषजनक नहीं रहा है। जिसका परिणाम यह हुआ है कि राष्ट्रीय आय तेज़ी से नहीं बढ़ पायी है।

(6] आय व संपत्ति असमान वितरण -
उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि न होने का कारण भारत में आय व संपत्ति के असमान वितरण होना भी पाया जाता है। यह समस्या सरकार की वित्तीय एवं अन्य नीतियों में दोष के कारण होती है।

(7) आधारभूत संरचनाओं का अपर्याप्त विकास -
भारत में परिवहन, संचार, विद्युत, लोहा, कोयला आदि क्षेत्रों का विकास, आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं हो सकता है। जैसे - किसी क्षेत्र विशेष में उद्योग तो विकसित हो गए किन्तु वहां विद्युत और परिवहन आदि का विकास, मांग के  अनुरूप नहीं हो सकता है। जिस कारण उत्पादन क्षमता का पूर्ण प्रयोग नहीं हो पाता है। परिणामस्वरूप राष्ट्रीय आय वृद्धि धीमी रह जाती है।

(8) कुशल श्रमिकों का अभाव -
भारत में कुशल श्रमिकों का अभाव पाया जाता है। और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यहां शिक्षा व प्रशिक्षण का उचित विकास नहीं हो पाता है। परिणामस्वरूप कुशल श्रमिकों के अभाव में उत्पादन कार्य भी सही नहीं चल पाता है। जिसका विपरीत प्रभाव राष्ट्रीय आय पर पड़ता है।

(9) रूढ़िवादी व भाग्यवादी होना -
भारत में ज़्यादातर लोग रूढ़िवादी व भाग्यवादी विचारधारा के होते हैं। जिसका परिणाम यह होता है कि लोग एकाएक नई विधियों, नियमों को अपनाने और नए नए उद्योगों को स्थापित करने का साहस नहीं कर पाते। इन्हीं विचारधाराओं का परिणाम यह होता है कि देश में उत्पादन और राष्ट्रीय आय की गति धीमी रह जाती है।

(10) वित्तीय संस्थाओं का अभाव - 
किसी भी देश कृषि व उद्योग तभी फलते फूलते हैं जब देश में इन क्षेत्रों को आर्थिक सहायता, तकनीकी एवं उचित प्रशिक्षण देने वाली संस्थाएं मौजूद हों। किन्तु भारत में ऐसी संस्थाओं की कमी है। जिस कारण राष्ट्रीय आय व उत्पादन की गति धीमी रह जाती है।

(11) प्रशासन की अकुशलता -
किसी भी देश की राजनैतिक एवं प्रशासनिक कुशलता का सीधा प्रभाव उस देश के उत्पादन पर पड़ता है। भारत में भ्रष्टाचार, प्रशासनिक अकुशलता एवं लालफीताशाही के उत्पादन संबंधी परियोजनाएं सही सही लागू नहीं हो पातीं। जिसका परिणाम यह होता है कि राष्ट्रीय आय की गति धीमी रह जाती है।

उम्मीद है यह अंक "भारत में राष्ट्रीय आय की धीमी वृद्धि के कारण (bharat me rashtriya aay ki dhimi vraddhi ke karan)" आपके अध्ययन में अवश्य सहायक होगा। अर्थशास्त्र संबंधी ऐसे ही महत्वपूर्ण टॉपिक्स पढ़ने के लिए जुड़े रहिये हमारी वेबसाइट study boosting के साथ।

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