भारत में राष्ट्रीय आय की वृद्धि हेतु आवश्यक सुझाव क्या हो सकते हैं | Bharat ki rashtriya aay me vraddhi ke upay kya hain?



किसी भी देश की राष्ट्रीय आय में वृद्धि करने के लिए उस देश की अर्थव्यवस्था में कुछ आधारभूत बदलाव जैसे कृषि, उद्योग के क्षेत्र में विकास,, शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, प्राकृतिक संसाधनों का उचित दोहन, पूंजी निर्माण की तकनीक में बदलाव आदि आवश्यक सुधार करना आवश्यक हो जाता है।

अर्थात स्पष्ट तौर पर यह कहा जा सकता राष्ट्रीय आय में वृद्धि को बाधित करने वाली उन समस्याओं का निराकरण कर निश्चित तौर पर उस देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ साथ राष्ट्रीय आय में भी वृद्धि की सकती है।

इस अंक में हम भारत की राष्ट्रीय आय में वृद्धि के उपाय (bharat ki rashtriya aay me vraddhi ke upay) के बारे में चर्चा करेंगे। उन सुझावों के बारे में चर्चा करेंगे जिन्हें प्रयोग में लाकर देश में उत्पादन की दर को बढ़ाया जा सकता है साथ ही राष्ट्रीय आय में वृद्धि की दर को भी बढ़ाया जा सकता है।

तो चलिए बिना देर किए भारत की राष्ट्रीय आय में वृद्धि हेतु क्या सुझाव हो सकते हैं? (rashtriya aay me vraddhi hetu kya sujhav ho sakte hain?) जानते हैं। भारत में राष्ट्रीय आय में वृद्धि हेतु आवश्यक सुझाव निम्नांकित हैं -

(1) पूंजी निर्माण में वृद्धि - 
भारत की राष्ट्रीय आय में वृद्धि तभी हो सकती है जब उत्पादकों के लिए आवश्यकतानुसार पूंजी की व्यवस्था संभव हो। क्योंकि पूंजी उचित निर्माण से ही उत्पादन में वृद्धि संभव है। इसके लिए सरकार द्वारा घरेलू बचतों को बढ़ाने व संग्रह की उचित व्यवस्था करने का प्रयास किया जाना चाहिए।


(2) शिक्षा एवं प्रशिक्षण की व्यवस्था -
राष्ट्रीय आय को बढ़ाने में शिक्षा एवं उचित प्रशिक्षण का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसलिए देश में शिक्षा व युवाओं के उचित प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए। इससे श्रमिकों की कार्यकुशलता बढ़ती है जिसके फलस्वरूप देश की राष्ट्रीय आय में वृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।

(3) धन एवं आय के वितरण में सुधार -
सरकार द्वारा कर नीति, व्यय नीति इस प्रकार बनाई जानी चाहिए कि धन एवं आय के वितरण में सुधार हो सके। इसके लिए अमीरों पर प्रगतिशील दर लागू की जानी चाहिए तथा ग़रीबों पर ऐसे व्यय किए जाने चाहिए जिससे कि उत्पादकता बढ़ायी जा सके।

(4) अनुकूल पृष्ठभूमि का निर्माण -
देश की राष्ट्रीय आय में वृद्धि तभी संभव है जब देश के नागरिकों में आर्थिक विकास हेतु चेतना जाग्रत की जाए। और यह शिक्षा से ही संभव है। शिक्षा से ही रूढ़िवादिता, भाग्यवादिता, अंधविश्वास आदि बुराइयों को ख़त्म किया जा सकता है।

(5) आधारभूत संरचनाओं का विकास -
देश में अधः संरचनाओं जैसे- परिवहन, विद्युत, संचार आदि क्षेत्रों का पर्याप्त तथा उचित रूप से विकास किया जाना चाहिए। तभी औद्योगिक व कृषि उत्पादन में वृद्धि संभव हो सकेगी। परिणास्वरूप राष्ट्रीय आय में भी वृद्धि की जा सकती है।

(6) निवेश के लिए उपयुक्त ढांचा -
राष्ट्रीय आय में वृद्धि के लिए यह आवश्यक है कि देश में कृषि व उद्योग दोनों ही क्षेत्रों पर पर्याप्त बल दिया जाना चाहिए। कृषि में विकास होने पर जनसंख्या के जीवन स्तर में सुधार होगा। इसके लिए सरकार द्वारा बीज, खाद, पानी आदि की उचित व्यवस्था पर ध्यान देने के अलावा भूमि सुधार कार्यक्रमों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

(7) प्राकृतिक संसाधनों का उचित विकास -
देखा जाए तो भारत में प्राकृतिक संसाधनों की कोई कमी नहीं है। प्रमुख समस्या, प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले इन प्राकृतिक संसाधनों के सही उपयोग की है। इसके लिए सरकार द्वारा देश के हित में उचित नीति बनाई जानी चाहिए।


(8) विशिष्ट वित्तीय संस्थाओं का विकास - 
राष्ट्रीय आय में उचित वृद्धि के लिए उद्योग तथा कृषि क्षेत्र का विकास अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए वित्त, तकनीक संबंधी सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा विशिष्ट वित्तीय संस्थाओं का विकास किया जाना चाहिए।

(9) परिवार नियोजन कार्यक्रमों पर विशेष ज़ोर -
देश में लगातार बढ़ती जनसंख्या, राष्ट्रीय आय में वृद्धि में रुकावट पैदा करती है। इसके लिए सरकार द्वारा परिवार नियोजन पर ज़ोर देते हुए देश की बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण का प्रयास किया जाना चाहिए। जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण के फलस्वरूप ही पूंजी निर्माण, उत्पादन तथा राष्ट्रीय आय में वृद्धि संभव हो सकती है।

(10) प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार -
राष्ट्रीय आय में वृद्धि के लिए प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार लाना बहुत आवश्यक है। क्योंकि ईमानदार व कुशलतम प्रशासन ही विभिन्न नीतियों को प्रभावशाली ढंग से लागू करने में सक्षम होता है।


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