अल्पकाल एवं दीर्घकाल में अंतर स्पष्ट कीजिए | Alpkal aur dirghkal me antar in hindi

उत्पादन में अल्पकाल और दीर्घकाल | अल्पकालीन और दीर्घकालीन में क्या अंतर है?


Alpakal evam Dirghakal


स्वतंत्र बाज़ार में किसी भी वस्तु का मूल्य, माँग एवं पूर्ति की शक्तियों द्वारा निर्धारित होता है। लेकिन क़ीमत निर्धारण में माँग और पूर्ति में से कौन सी शक्ति अधिक प्रभावशाली होगी? यह इस बात पर निर्भर करता है कि इन दोनों ही शक्तियों के समायोजन में कितना समय लगना चाहिए।

यह अवधि मुख्य रूप से दो भागों में होती है जिसे अल्पकाल और दीर्घकाल कहते हैं। इस अंक में हम अल्पकाल तथा दीर्घकाल का अर्थ क्या है (alpkal tatha dirghakal ka arth kya hai?) जानेंगे और साथ ही अल्पकाल और दीर्घकाल में अंतर (alpkal aur dirghkal me antar in hindi) भी जानेंगे।



अल्पकाल का अर्थ (Alpkal kal ka arth) - 

अल्पकाल वह समयावधि होती है जिसमें उत्पादक के पास इतना समय नहीं होता है कि वह माँग के अनुरूप पूर्ति में परिवर्तन कर सके। अर्थात इतनी कम अवधि में उत्पादक, अपनी मशीनरी में परिवर्तन करके पूर्ति को ठीक माँग के अनुरूप करने में असमर्थ होता है।




दीर्घकाल का अर्थ (Dirghakal ka arth) - 

दीर्घकाल वह समयावधि है जिसमें उत्पादक के पास इतना समय होता है कि वह वस्तु की पूर्ति को ठीक माँग के अनुरूप कर सकता है। अर्थात इस अवधि में पूर्ति को उत्पादन में लगी मशीनों की क्षमता बढ़ाकर या नई फ़र्मों को शामिल कर बढ़ाया जा सकता है। इसी तरह इस अवधि में मशीनों की क्षमता को घटाकर या फ़र्मों के बहिर्गमन द्वारा पूर्ति को घटाया भी सकता है। 


इसलिए दीर्घकाल में जब भी क़ीमत का निर्धारण होता है माँग की अपेक्षा पूर्ति का प्रभाव सबसे अधिक होता है। जबकि अल्पकाल में माँग का प्रभाव, पूर्ति से ज़्यादा होता है। आइए अल्पकाल एवं दीर्घकाल में अंतर (Alpkal evam dirghakal me antar) निम्न बिंदुओं के आधार पर जानते हैं।


अल्पकाल एवं दीर्घकाल में भेद (Alpkal evam dirghkal me bhed)

अल्पकाल दीर्घकाल
1. अल्पकाल एक ऐसी समयावधि है, जो उत्पादन के स्थिर साधनों में परिवर्तन लाने के लिए आवश्यकता से कम होती है।        1. दीर्घकाल वह समयावधि है, जिसमें उत्पादक अपनी आवश्यकतानुसार उत्पादन के समस्त साधनों में परिवर्तन कर सकता है।
2. अल्पकाल में उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन, केवल परिवर्तनशील साधन की मात्रा को परिवर्तित कर, किया जा सकता है। 2. दीर्घकाल में उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन, स्थिर और परिवर्तनशील दोनों प्रकार के साधनों में परिवर्तन कर, किया जा सकता है।
3. अल्पकाल में उत्पादन के साधनों को दो भागों में बाँटा जा सकता है। 3. दीर्घकाल में स्थिर और परिवर्तनशील साधनों के बीच का अंतर समाप्त हो जाता है।
4. अल्पकाल में क़ीमत निर्धारण के समय माँग का प्रभाव पूर्ति की तुलना में अधिक रहता है।  4. दीर्घकाल में क़ीमत निर्धारण में माँग की तुलना में पूर्ति का प्रभाव अधिक रहता है।

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