बाजार मूल्य- अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएँ | बाजार मूल्य का निर्धारण
बाज़ार मूल्य (bazar mulya) किसी वस्तु का वह मूल्य है जो बाज़ार में अति अल्पकाल के लिए प्रचलन में होता है। अति अल्पकाल में इतना कम समय होता है कि केवल माँग के आधार पर ही बाज़ार में बेची जाने वाली वस्तुओं की क़ीमत तय कर ली जाती है। यानि कि अति अल्पकाल में वस्तु की पूर्ति लगभग स्थिर रहती है।
इतना ही नहीं, बल्कि दिन के अलग अलग भागों में क़ीमतें भी अलग-अलग होती हैं। जैसे दिन के प्रथम प्रहर में क़ीमतें थोड़ी ज़्यादा होती हैं तो वहीं दिन के अंतिम समय में बाज़ार के मूल्य कम होते नज़र आते हैं। बाज़ार में क्रेता ज़्यादा संख्या में आ जाएं तो बाज़ार मूल्य (bazar mulya) तेज़ हो जाता है। कम आ जाएं तो बाज़ार मूल्य भी कम हो जाता है।यानि कि बाज़ार मूल्य में, एक ही दिन में अनेक बार परिवर्तित होने की प्रवृत्ति पायी जाती है।
अतः हम स्पष्ट शब्दों में कह सकते हैं कि 'अति अल्पकालीन मूल्य (क़ीमत) को बाज़ार मूल्य कहा जाता है।' आइये बाज़ार मूल्य (market value) को पारिभाषिक रूप में समझने का प्रयास करते हैं।
बाज़ार मूल्य क्या है (Bazar mulya kya hai) | Bazar kimat kya hai?
बाज़ार मूल्य किसी वस्तु का वह मूल्य होता है जो बाज़ार में अति अल्पकाल के लिए प्रचलन में होता है। वस्तु की क़ीमत पर माँग का अत्यधिक प्रभाव होता है। माँग जिस दिशा में परिवर्तित होती है। क़ीमत भी उसी दिशा में मुड़ जाती है। अर्थात बाज़ार क़ीमत, माँग और पूर्ति के अस्थायी साम्य के फलस्वरूप निर्धारित होती है। जो कि क्षणिक होती है।
प्रो. मार्शल के अनुसार - "बाज़ार की समयावधि जितनी लंबी होगी। क़ीमत पर पूर्ति का प्रभाव उतना ही अधिक पड़ेगा। इसी प्रकार बाज़ार की समयावधि जितनी कम होगी, क़ीमत पर माँग का उतना ही ज़्यादा प्रभाव पड़ेगा।"
किसी विशेष समय में वस्तु की जो क़ीमत, बाज़ार में प्रचलित होती है वह बाज़ार क़ीमत (market price) कहलाती है।
दूसरे शब्दों में - 'किसी स्थान व समय विशेष पर बाज़ार में किसी वस्तु के वास्तविक प्रचलित मूल्य को बाज़ार मूल्य कहा जाता है।'
बाज़ार मूल्य का निर्धारण (Bazar mulya ka nirdharan)
अति अल्पकाल में समय इतना कम होता है कि पूर्ति को बढ़ाना संभव नहीं हो पाता है। पूर्ति को उसके वर्तमान स्टॉक से ज़्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता। यदि वस्तु टिकाऊ है तो पूर्ति केवल गोदामों में रखे स्टॉक तक ही सीमित होती है। इसलिए बाज़ार मूल्य निर्धारण (bazar mulya nirdharan) में प्रमुख रूप से माँग का प्रभाव पड़ता है।
सीधे शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि बाज़ार मूल्य के निर्धारण में माँग सक्रिय रूप से प्रभावशील रहता है। इसके विपरीत पूर्ति निष्क्रिय रहती है। अर्थात पूर्ति का प्रभाव बाज़ार मूल्य में नगण्य के बराबर होता है।
यदि माँग बढ़ जाती है तो मूल्य भी बढ़ जाता है। और यदि माँग कम हो जाती है तो मूल्य भी घट जाता है। अतः यह कहा जा सकता है। कि बाज़ार मूल्य (bazar mulya), माँग एवं पूर्ति के अस्थायी संतुलन के परिणामस्वरूप निर्धारित होता है। पूर्ण प्रतियोगी दशाओं में बाज़ार मूल्य की प्रवृत्ति सदैव सामान्य मूल्य की ओर जाने की होती है।
बाज़ार मूल्य की विशेषताएँ | Characteristics of market value in hindi
अति अल्पकालीन समयावधि के लिए लगने वाले बाज़ार में बाज़ार मूल्य की प्रमुख विशेषताएँ (bazar mulya ki visheshatyen) निम्नलिखित हैं-
1) बाज़ार मूल्य अल्पकालीन मूल्य होता है जो लगातार घटता बढ़ता रहता है।
2) बाज़ार मूल्य का निर्धारण वस्तुओं की माँग और पूर्ति के अस्थायी संतुलन संतुलन द्वारा होता है।
3) वस्तु के सीमांत उत्पादन व्यय से बाज़ार मूल्य का कोई विशेष संबंध नहीं होता है।
4) बाज़ार मूल्य वस्तुओं की पूर्ति से नहीं बल्कि उनकी माँग से अधिक प्रभावित होता है।
5) अनेक अस्थायी कारण होते हैं जिनकी वजह से बाज़ार मूल्य प्रभावित होता है।
6) बाज़ार मूल्य में सामान्य मूल्य के आसपास घूमते रहने की प्रवृत्ति पायी जाती है।
7) बाज़ार मूल्य वस्तुओं का वास्तविक मूल्य होता है।
8) बाज़ार मूल्य पर क्रेता व विक्रेता दोनों ही संतुष्ट होते हैं।
9) बाज़ार मूल्य, पुनरुत्पादनीय एवं निरुत्पादनीय दोनों ही प्रकार की वस्तुओं का होता है।
इस अंक में आपने बाज़ार मूल्य क्या होता है (Bazar mulya kya hota hai?) | बाज़ार मूल्य की प्रमुख विशेषताएँ (Characteristics of market value in hindi) सरल व स्पष्ट शब्दों में जाना। उम्मीद है यह लेख आपके अध्ययन के लिए अवश्य ही सहायक साबित होगा। आप हमें comments के माध्यम से टॉपिक्स suggest कर सकते हैं। ताकि इसी तरह आपको, आपके मनपसंद टॉपिक्स पर लेख दे सकें।
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