बाज़ार मूल्य और सामान्य मूल्य के बीच में अंतर | Bazar mulya aur samanya mulya ke bich mein antar
बाज़ार एक ऐसी व्यवस्था है जहाँ क्रेता व विक्रेता क्रय और विक्रय करने का कार्य करते हैं। यहाँ वस्तुओं व सेवाओं के मूल्यों का निर्धारण माँग और पूर्ति की शक्तियों के द्वारा ही होता है।
स्वतंत्र बाज़ार में वस्तुओं के ये मूल्य दो प्रकार के होते हैं जिन्हें बाज़ार मूल्य (market price) और सामान्य मूल्य (normal price) कहा जाता है। हमारे पिछले अंकों में आपने इन दोनों ही मूल्यों 'बाज़ार मूल्य तथा सामान्य मूल्य' के बारे में स्पष्ट व आसान शब्दों में जाना।
बाज़ार मूल्य (bazar mulya) किसी वस्तु का वह मूल्य है जो बाज़ार में अति अल्पकाल के लिए प्रचलन में होता है। अति अल्पकाल में इतना कम समय होता है कि केवल माँग के आधार पर ही बाज़ार में बेची जाने वाली वस्तुओं की क़ीमत तय कर ली जाती है। यानि कि अति अल्पकाल में वस्तु की पूर्ति लगभग स्थिर रहती है।
सामान्य मूल्य किसी वस्तु का वह मूल्य है जो वस्तु की माँग व पूर्ति की दीर्घकालीन स्थायी शक्तियों द्वारा तय किया जाता है। दीर्घकाल में इतना पर्याप्त समय होता है कि बाज़ार में वस्तुओं की पूर्ति को परिवर्तित करने के लिए प्लांट में वृद्धि या कमी की जा सकती है।
आइये इस लेख में हम बाज़ार मूल्य और सामान्य मूल्य में अंतर क्या है जानेंगे। तो चलिये जानते हैं कि बाज़ार मूल्य और सामान्य मूल्य में क्या अंतर है? (Bazar mulya aur samanya mulya me kya antar hai?)
बाज़ार मूल्य तथा सामान्य मूल्य में अंतर (Bazar mulya tatha samanya mulya mein antar)
बाज़ार मूल्य (Market price) | सामान्य मूल्य (Normal price) |
---|---|
1. अति अल्पकालीन मूल्य को बाज़ार मूल्य कहा जाता है। | 1. दीर्घकालीन मूल्य को सामान्य मूल्य कहा जाता है। |
2. माँग एवं पूर्ति की शक्तियों के अस्थायी संतुलन (साम्य) द्वारा ही बाज़ार मूल्य का निर्धारण होता है। | 2. माँग और पूर्ति की शक्तियों के स्थायी संतुलन (साम्य) द्वारा सामान्यमूल्य का निर्धारण होता है। |
3. बाज़ार मूल्य परिवर्तनशील होता है। यह दिन में कई बार बदल सकता है। | 3. सामान्य मूल्य परिवर्तनशील नहीं होता है। यह दीर्घकाल तक स्थायी बना रहता है। |
4. बाज़ार मूल्य के निर्धारण में माँग का प्रभाव, प्रमुख व सक्रिय रूप से होता है। जबकि पूर्ति निष्क्रिय होती है। | 4. सामान्य मूल्य के निर्धारण में माँग की अपेक्षा पूर्ति का प्रभाव अधिक सक्रिय होता है। |
5. बाज़ार मूल्य, सभी प्रकार की वस्तुओं का होता है। चाहे फ़िर वे पुनरुत्पादनीय हों या निरुत्पादनीय वस्तुएँ हों। | 5. सामान्य मूल्य केवल पुनरुत्पादनीय वस्तुओं का होता है। क्योंकि पूर्ति को माँग की परिस्थितियोंके अनुरूप तभी किया जा सकता है जब वस्तुएँ पुनरुत्पादनीय हों। |
6. बाज़ार मूल्य किसी समय विशेष में प्रचलित वास्तविक मूल्य होता है। | 6. सामान्य मूल्य व्यवहारिक जीवन में कभी देखने में नहीं आता है। इसलिए यह काल्पनिक होता है। किंतु इसकी एक वास्तविकता यह है कि यह बाज़ार मूल्य के लिए एक केंद्र बिंदु की भांति कार्य करता है। अर्थात इसके चारों ओर बाज़ार मूल्य चक्कर लगाता रहता है। वह सामान्यमूल्य के बराबर होने का प्रयास करता रहता है। |
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