खुली अर्थव्यवस्था और बंद अर्थव्यवस्था क्या है? | खुली अर्थव्यवस्था और बंद अर्थव्यवस्था के बीच का अंतर

किसी देश की अर्थव्यवस्था के बारे में आप जब भी कुछ सोचते हैं। आपके ज़हन में कुछ तस्वीरें ज़रूर उभरती होंगी। यही की उस देश में उद्योगों की स्थिति कैसी है? उस देश के नागरिकों का जीवन स्तर कैसा है। क्या उस देश के लोग व्यापार करते हैं? वहाँ राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की स्थिति कैसी है।


यदि उस देश में राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय व्यापार हो रहा है, तो क्या आयात-निर्यात को पर्याप्त प्रोत्साहन मिल रहा है या सरकारी नियमों के अंतर्गत कुछ बंदिशें लागू हैं? सीधे शब्दों में कहें तो मन में यही प्रश्न उठता है कि उस देश में अर्थव्यवस्था किस प्रकार की है। खुली अर्थव्यवस्था या बंद अर्थव्यवस्था? आइये हम खुली अर्थव्यवस्था और बंद अर्थव्यवस्था के बारे में और भी आसान शब्दों में जानने का प्रयास करते हैं।



खुली अर्थव्यवस्था (Open Economy in hindi)

किसी देश में व्यापार की ऐसी स्थिति जब किसी देश या समाज को किसी के साथ भी व्यापार यानि कि लेनदेन करने की छूट हो। खुली अर्थव्यवस्था कहलाती है। वैसे तो इस प्रकार के व्यापार में कोई सरकारी अंकुश या नियंत्रण नही होता। लेकिन सरकार ऐसी नीतियाँ अवश्य बनाती है ताकि व्यापारों को किसी भी प्रकार की बेईमानी से रोका जा सके। नियंत्रण को इतना भी कड़ा नही किया जाता, कि इन नियमों के तहत ईमानदार व्यापारियों को व्यापार करने में किसी प्रकार की असुविधा हो। 

ऐसी अर्थव्यवस्था में व्यापार को स्वतंत्र रूप से फलने-फूलने दिया जाता है। इस बात के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है कि आम लोगों के बीच उद्योगों व विभिन्न प्रकार के व्यापारों को सरलता से प्रारंभ किया जा सके। खुली अर्थव्यवस्था केवल उस समाज या देश के अंदर हो रहे व्यापार के लिये ही नहीं होती है बल्कि बाहरी व्यापार के लिए भी उतनी ही सक्रिय दिखाई देती है। एक खुली अर्थव्यवस्था वह है जो दुनिया भर की अन्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ स्वतंत्र रूप से संपर्क बनाए रखती है।

अर्थात- " ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें एक देश, दूसरे देशों या शेष विश्व के साथ आर्थिक लेन-देन के संबंध रखता हो। खुली अर्थव्यवस्था Open Economy कहलाती है। "

आज के समय में कोई भी अर्थव्यवस्था पूर्णतः आत्मनिर्भर नहीं हो सकती है। सामान्य रूप से देखा जाए तो एक देश को दूसरे देश से आयात-निर्यात, ऋण लेन-देन, उपहारों का आदान-प्रदान आदि का संबंध रखना ही पड़ता है।

भारत एक खुली अर्थव्यवस्था वाला देश है। जिसे अन्य देशों के साथ आर्थिक संबंध रखने होते हैं। खुली अर्थव्यवस्था में शेष विश्व के साथ निम्नलिखित संबंध रकह जाते हैं -

(1) विदेशों से वस्तुओं व सेवाओं का क्रय यानि कि आयात जारी रखा जाता है।
(2) विदेशों को वस्तुओं व सेवाओं का विक्रय यानि कि निर्यात जारी रकह जाता है।
(3) विदेशों से शेयर, बॉन्ड्स, ऋण-पत्रों आदि का क्रय करने जारी रकह जाता है।
(4) विदेशों को शेयर, बॉन्ड्स, ऋण-पत्रों आदि का विक्रय भी किया जाता है।
(5) विदेशों से ऋण प्राप्त करने की प्रक्रिया जारी रखा जाता है।
(6) विदेशों को यथासंभव ऋण देना भी जारी रखा जाता है।
(7) विदेशों के साथ उपहारों का आदान प्रदान जारी रखा जाता है।
(8) देश के नागरिकों द्वारा विदेशों में रोज़गार प्राप्त कर आय अर्जित करने की छूट दी जाती है।



बंद अर्थव्यवस्था (Closed Economy in hindi)

बंद अर्थव्यवस्था दुनिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ कोई भी बातचीत नहीं करती है। कोई निर्यात नहीं, कोई आयात नहीं, कोई पूँजी प्रवाह भी नहीं करती है। बंद अर्थव्यवस्था में व्यापार सिर्फ घरेलू सीमा के अंदर ही होता है। इसका संबंध अन्य देशों से नहीं होता है। सीधे-सीधे शब्दों में कहें तो ऐसी अर्थव्यवस्था को बंद अर्थव्यवस्था कहते हैं जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापारों में भाग नहीं लेती। ठीक खुली अर्थव्यवस्था के विपरीत।

दूसरे शब्दों में-  "जब कोई देश किसी भी दूसरे देश के साथ व्यापार अर्थात आयात-निर्यात का सम्बन्ध नहीं रखता है। तब ऐसी अर्थव्यवस्था बंद अर्थव्यवस्था कहलाती है। बंद अर्थव्यवस्था होने पर अन्य देशों को शेष विश्व की संज्ञा दी जाती है।"

राष्ट्रीय आय की गणना करते समय जब सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात किया जाता है तब वह बंद अर्थव्यवस्था की राष्ट्रीय आय होती है। वर्तमान समय में कोई भी अर्थव्यवस्था बंद नहीं है।

किंतु यदि बंद अर्थव्यवस्था लागू कर दी जाए तो बंद अर्थव्यवस्था के अंतर्गत निम्नलिखित गतिविधियाँ पूर्ण रूप से बंद कर दी जाती हैं -

(1) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार पूर्णतः संबंध विच्छेद कर लिया जाता है।
(2) शेष विश्व से कोई भी शुद्ध साधन की आय प्राप्त नहीं की जाती।
(3) कोई भी विदेशी खाता नहीं रखा जाता है।
(4) किसी भी देश के साथ अनुदानों, उपहारों का आदान- प्रदान नहीं किया जाता है।
(5) दस्तकारों की सेवाओं का किसी भी प्रकार से हस्तांतरण नहीं किया जाता है।



खुली अर्थव्यवस्था और बंद अर्थव्यवस्था में अंतर | Open economy and closed economy difference in hindi


खुली और बंद अर्थव्यवस्थाओं के बीच अंतर यही दर्शाता है कि कोई सरकार अपने नागरिकों को विश्व स्तर पर बाज़ार में भाग लेने की अनुमति देती है अथवा नहीं। यह वैश्विक बाज़ार में अर्थव्यवस्था के विकास के प्रयास के स्तर पर अंतर स्पष्ट करता है। आइये हम open economy and closed economy difference in hindi निम्न बिंदुओं के माध्यम से जानने का प्रयास करते हैं -

खुली अर्थव्यवस्था बंद अर्थव्यवस्था
1. जब किसी देश का अन्य देशों के साथ आर्थिक संबंध होता है तब उसे खुली अर्थव्यवस्था कहा जाता है।1. जब किसी देश का अन्य दूसरे देशों के साथ आर्थिक संबंध नहीं होता तब उसे बंद अर्थव्यवस्था कहा जाता है।
2. खुली अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय व घरेलू आय दोनों में अंतर होता है।2. बंद अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय व घरेलू उत्पाद दोनों में समानता होती है।
3. खुली अर्थव्यवस्था एक वास्तविक अर्थव्यवस्था है। 3. बंद अर्थव्यवस्था एक काल्पनिक अर्थव्यवस्था है।
4. खुली अर्थव्यवस्था में पूँजी निर्माण तथा विनियोग दोनों होते हैं। 4. बंद अर्थव्यवस्था में पूँजी निर्माण नगण्य यानि कि ना के बराबर होता है।
5. खुली अर्थव्यवस्था में देखा जाए तो यहाँ उपभोग तथा विनियोग का योग, उत्पादन से कम अथवा अधिक भी हो सकता है। 5. बंद अर्थव्यवस्था के अंतर्गत परिस्थिति अलग होती है। इसमें उपभोग तथा विनियोग, उत्पादन के बराबर होते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

आज की आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार ही यह सुनिश्चित कर पाता है कि कोई देश कम लागत पर कितनी कुशलतापूर्वक अपने आवश्यक उत्पादों और सेवाओं का उत्पादन कर, निर्यात कर सकता हैं और साथ ही अन्य उत्पादों और सेवाओं का आयात कर सकते हैं।

सीधे तौर पर देखा जाए तो एक बंद अर्थव्यवस्था का नुक़सान यह है कि एक देश को इस स्थिति में आवश्यक वस्तुओं का निर्माण करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। जिसका परिणाम यह होता है कि उस देश में अक्षमताएं उत्पन्न होने लगती हैं जो कि उत्पादन की लागत को बढ़ा सकती हैं। बंद अर्थव्यवस्थाएं एक बड़े बाज़ार में अपने द्वारा उत्पादित वस्तुओं या सेवाओं को बेचने का अवसर भी खो देती हैं।


इसके अलावा ज्ञान और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में भी प्रतिबंध होने के कारण सीमित उत्पाद से ग्रसित होकर, विकास के अनेक अवसर भी खो देती हैं। इन्हीं नुक़सानों से बचकर, वैश्विक स्तर पर विकास हेतु ऐसी अर्थव्यवस्थाएं अंततः खुली अर्थव्यवस्थाओं में परिवर्तित होकर चहुँमुखी विकास की ओर अग्रसर होने लगती हैं। अर्थात किसी भी देश के वैश्विक विकास के लिए खुली अर्थव्यवस्था का होना आवश्यक है।

उम्मीद है आप खुली अर्थव्यवस्था और बंद अर्थव्यवस्था क्या है? हमारे इस अंक के माध्यम से जान चुके होंगे। हम आशा करते हैं यह लेख आपके अध्ययन में अवश्य सहायक साबित होगा।

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