यद्यपि व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र के बीच एक निश्चित रेखा खींचना अत्यंत ही कठिन है। क्योंकि विश्लेषणों से यह पता चलता है कि व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र दोनों एक दूसरे के प्रतियोगी नहीं, बल्कि पूरक हैं। ये दोनों ही आर्थिक विश्लेषण एक दूसरे पर आश्रित होते हैं। सीधी भाषा मे यदि हम कहें तो एक दूसरे के अभाव में ये विश्लेषण प्रायः अधूरे ही रह जाते हैं।
(1) व्यष्टि अर्थशास्त्र में छोटी-छोटी व्यक्तिगत आर्थिक इकाइयों के अध्ययन किया जाता है। जैसे-एक व्यक्ति, एक परिवार, एक फर्म, एक उद्योग आदि। जबकि समष्टि अर्थशास्त्र में समग्र इकाईयों का अध्ययन किया जाता है, जैसे- कुल राष्ट्रीय आय, कुल रोज़गार, कुल उपभोग, कुुुल उत्पादन इत्यादि।
(2) व्यष्टि अर्थशास्त्र के अंतर्गत सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के किसी एक अंश का अध्ययन किया जाता है। जबकि समष्टि अर्थव्यवस्था की बात करें तो इसके अंतर्गत सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था का अध्ययन किया जाता है।
(3) व्यष्टि अर्थशास्त्र मुख्यतः 'क़ीमत सिद्धांत' अर्थात कीमत विश्लेषण से संबंध रखता है। जबकि समष्टि अर्थशास्त्र मुख्यतः राष्ट्रीय आय व रोज़गार के विश्लेषण से संबंध रखता है।
(4) यह उपभोक्ता या फर्म को सर्वोत्तम शिखर तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जबकि यह सम्पूर्ण अर्थशास्त्र को सर्वोत्तम बिंदु तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
(5) व्यष्टि अर्थशास्त्र केवल व्यक्तिगत समस्याओं का विश्लेषण करते हुए उसका समाधान प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। जबकि समष्टि अर्थशास्त्र सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था की समस्याओं का विश्लेषण कर समाधान प्रस्तुत करता है।
(6) व्यष्टि अर्थशास्त्र केवल एक स्थान विशेष अर्थात सीमित दायरे के लिए ही उपयोगी माना जाता है। जबकि समष्टि अर्थशास्त्र का दायरा विस्तृत है अर्थात इसकी अंतर्राष्ट्रीय उपयोगिता है।
(7) इसके अंतर्गत रोज़गार, उत्पादन तथा आय वितरण को विभिन्न क्षेत्रों के बीच परिवर्तनशील माना जाता है। जबकि समष्टि अर्थशास्त्र के अंतर्गत रोज़गार, उत्पादन तथा आय के वितरण को स्थिर मान लिया जाता है।
(8) इसमें सामान्य क़ीमत को स्थिर मानते हुए वस्तुओं के सापेक्षिक मूल्यों को परिवर्तनशील माना जाता है। जबकि इसमें सामान्य क़ीमत को स्थिर मानते हुए वस्तुओं के सापेक्षिक मूल्यों को परिवर्तनशील माना जाता है।
इस प्रकार हम निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र में कुछ प्रमुख अंतर तो पाए जाते हैं किंतु अंततः ये दोनों ही विश्लेषण एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। या हम यह कह सकते हैं कि राष्ट्रीय विकास के लिए व्यष्टि एवं समष्टि दोनों ही विश्लेषण अति आवश्यक हैं।