बजट किसे कहते हैं? | Budget kya hai in hindi | बजट के प्रकार बताइए | संतुलित बजट तथा असंतुलित बजट को समझाइये

गत वर्ष तथा चालू वर्ष की वित्तीय गतिविधियों तथा सरकार की प्रस्तावित आर्थिक नीतियों का विस्तृत ब्यौरा और साथ ही आगामी वर्ष के लिये सरकारी आय-व्यय के अनुमानित आँकड़ों का ब्यौरा बजट (Budget) कहलाता है।


बजट क्या है? बजट का अर्थ हिंदी में 

आज हम एक ऐसे टॉपिक topic पर चर्चा कर रहे हैं जिसका देश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। जी हाँ! हम बजट के बारे में बात कर रहे हैं। आपको बता दें कि सरकार अपना वित्तीय प्रशासन इसी माध्यम यानि कि बजट के माध्यम से ही करती है। बजट ही होता है जिसके द्वारा सरकार अपनी आय, व्यय एवं ऋण संबंधी नीति नियमों को व्यवहारिक रूप प्रदान करती है।


बजट क्या है? | बजट का अर्थ एवं परिभाषा | Meaning and definitions of budget in hindi

दरसअल बजट की व्युत्पत्ति फ्रांसीसी शब्द 'Bougette' (ब्युजे) से हुई है। जिसका अर्थ है 'चमड़े का एक छोटा सा थैला।' इंग्लैंड में बजट शब्द का प्रयोग उस थैले के लिए किया जाता था जिसमें सरकारी व्ययों को पूरा करने के प्रस्ताव होते थे। आज के समय में बजट का मतलब उस दस्तावेज से है जिसमें एक निश्चित समयावधि के लिए देश के आय-व्यय का अनुमानित ब्यौरा होता है। जहाँ मंत्री उसे संसद में स्वीकृति प्राप्त करने हेतु प्रस्तुत करता है। भारत में वित्तीय वर्ष की अवधि 1 अप्रैल से 31 मार्च तक तय की गई है।


रेन स्टोर्न के अनुसार- "बजट एक ऐसा प्रपत्र है जिसमें सार्वजनिक आय और व्यय की प्रारंभिक स्वीकृत की गई योजनाएँ निहित होती हैं।"

गेस्टन जेजी के अनुसार- "आधुनिक राज्य में बजट सभी सार्वजनिक आयों तथा व्ययों का एक अनुमान व एक भविष्यवाणी है। यह एक पूर्व कल्पना है। जहाँ विशिष्ट व्ययों तथा आयों के लिए धन एकत्रित करने व व्यय करने का आदेश है।"

विलोबो के अनुसार- "बजट एक ही साथ एक रिपोर्ट, एक अनुमान तथा एक प्रस्ताव होता है। यह एक ऐसा प्रपत्र है जिसके द्वारा वित्तीय प्रशासन की सभी प्रक्रियाओं को संबंधित किया जाता है। एक दूसरे की तुलना के साथ-साथ उंनके बीच समन्वय स्थापित किया जाता है।"

अर्थात हम सरल शब्दों में कह सकते हैं कि "बजट एक निश्चित समयावधि के लिए पूर्वानुमानित वित्तीय व पारिमाणिक विवरण होता है जिसमें उस निश्चित समयावधि के अंतर्गत निश्चित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए नीति अपनाई जाती है।"


बजट रेखा किसे कहते हैं?
बजट रेखा (Budget line) दो वस्तुओं के उन सभी संयोगों के ग्राफीय निरूपण को कहा जाता है जिन्हें उपभोक्ता दी हुई क़ीमतों तथा अपनी आय को व्यय करके ख़रीद सकता है।


बजट के प्रकार | Types of budget in hindi

जैसा कि आपने उपरोक्त पंक्तियों में जाना कि बजट आय एवं व्यय के ब्यौरे पर आधारित होता है। इसलिए हम यदि  बजट के प्रकारों को समझें तो आय और व्यय में संतुलन के आधार पर बजट को निम्नलिखित 2 भागों में बांट सकते हैं-

(1) संतुलित बजट (Balanced Budget)
(2) असंतुलित बजट ( Unbalanced budget)

चलिये हम इन बजट के प्रकारों को विस्तार से समझने का प्रयास करते हैं। 


(1) संतुलित बजट | संतुलित बजट किसे कहते हैं? | Balanced budget in hindi 

ऐसा बजट जिसमें अनुमानित आय (आगम) और व्ययों की राशि समान रूप से दिखाई जाती है उसे संतुलित बजट कहा जाता है। वास्तव में यह एक आदर्श व्यवस्था मानी जा सकती है। क्योंकि डाल्टन के अनुसार, संतुलित बजट में किसी एक समयावधि में आगम, व्यय से कम नहीं होते। संतुलित बजट में किसी प्रकार का घाटा या आधिक्य भी नहीं होता। 


वास्तव में ऐसी अवस्था सामान्य व्यवहार में दिख पाना असंभव है। वर्तमान समय में सरकार, चाहते हुए भी संतुलित बजटों को नहीं बना सकती। इसका कारण यह है कि सार्वजनिक व्ययों में वृद्धि, आगम की अपेक्षा अधिक होती है। इसीलिए व्यवहार में बजट को संतुलित रख पाना कठिन होता है। अतः हम कह सकते हैं कि संतुलित बजट एक सैद्धांतिक विचार है। 

बजट सेट किसे कहते है?
दो वस्तुओं के उन समस्त बंडलों के संग्रह को बजट सेट कहा जाता है जिन्हें कोई उपभोक्ता प्रचलित बाज़ार क़ीमतों पर अपनी आय से ख़रीद सकता है।

इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि सरकार द्वारा बजट को संतुलित करने का प्रयास किया ही नहीं जाना चाहिए। सरकार अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए बजट को संतुलित करने के लिए अपनी नीतियों में बदलाव लाने का प्रयास करती है। जिसके अपेक्षिक परिणाम भी प्राप्त होते हैं।

संतुलित करने के लिए क्या किया जा सकता है?

चूँकि संतुलित बजट में सरकार कर से प्राप्त राशि को व्यय कर कर देती है। यदि यह व्यय उत्पादन संबंधी कार्यों में किया जाय तो समग्र माँग बढ़ जाती जो कि पूर्ण रोज़गार की स्थिति लाने में सहायक होती है। संतुलित बजट की दशा में मुद्रा स्फीति एवं मुद्रा संकुचन से भी अर्थव्यवस्था बची रह सकती है।



(2) असंतुलित बजट | असंतुलित बजट किसे कहते हैं? | Unbalanced budget in hindi

जब बजट में अनुमानित आगम तथा व्यय में समानता का अभाव हो। अर्थात ऐसा बजट Budget जिसमें सरकार की आगम और व्ययों में समानता नहीं होती। असंतुलित बजट कहलाता है।

असंतुलित बजट दो प्रकार का होता है-
(अ) घाटे का बजट (Deficit budget)
(ब) आधिक्य का बजट (surplus budget)


(अ) घाटे का बजट (Deficit Budget in hindi)-

चलिये अब जानते हैं घाटे का बजट किसे कहते हैं? जब बजट में अनुमानित आगम की तुलना में व्यय अधिक दर्शाए जाते हैं तो उसे घाटे का बजट कहा जाता है। इस घाटे को पूरा करने के लिए सरकार या तो जनता से उधार लेती है या संचित कोषों का प्रयोग घाटे के बजट में करती है। इस प्रकार का घाटे का बजट सरकार की जिम्मेदारियों को बढ़ा देता है या उसके कोष में कमी कर देता है। साधारणतया मंदी को दूर करने के लिये घाटे का बजट बनाने की नीति बनाई जाती है।


(ब) आधिक्य का बजट (Surplus Budget in hindi)-

चलिये अब जानते हैं कि आधिक्य का बजट किसे कहते है? जब बजट में अनुमानित आगमों की तुलना में कम व्यय दर्शाये जाते हैं। तो इसे आधिक्य का बजट कहा जाता है। आधिक्य के बजट में सरकारी ऋणों में कमी हो जाती है।  अथवा सरकार के संचित कोष बढ़ जाते हैं। इस प्रकार आधिक्य का बजट लागू होने से सरकार का दायित्व कम हो जाता है। आधिक्य के बजट की नीति का समर्थन तब किया जाता है जब अर्थव्यवस्था में अतिस्फीति की दशा बन जाती है।


बजट के अन्य प्रकार -

(3) सामान्य बजट (Ordinary budget) -

ऐसे बजट जिनका निर्माण वार्षिक आधार पर सामान्य परिस्थितियों में किया जाता है। सामान्य बजट कहलाते हैं।

(4) पूंजीगत बजट (Capital budget)-

पूँजीगत बजट के अंतर्गत केवल पूँजीगत मदें ही शामिल की जाती हैं। इस बजट को सामान्य बजटों से बिल्कुल अलग रखा जाता है। इस बजट में व्यय की गई मदों को सार्वजनिक ऋणों के द्वारा पूरा किया जाता है।


(5) अंतरिम बजट (Interim Budget) -

उत्तर- किसी विशेष परिस्थिति में सरकार जब पूरे वर्ष के लिए आय और व्यय के अनुमान तैयार करने में असमर्थ होती है। तब वर्ष के कुछ महीनों हेतु आवश्यक आर्थिक व्यवस्था बनाये रखने के लिए ये व्यय के विशिष्ट प्रावधान किये जाते हैं। जिसे अंतरिम बजट कहा जाता है।

बजट बनाना क्यों आवश्यक है?

उत्तर- बजट का किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण स्थान होता है। बजट आर्थिक रूप से सहायक होने के साथ-साथ उस देश के निवासियों के सामाजिक कल्याण में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इसीलिये बजट बनाना आवश्यक है।


यदि बजट उचित रूप से तैयार किया जाए तो इससे सामाजिक कल्याण संबंधी अनेक उददेश्यों की पूर्ति होती है। जैसे- आय के वितरण की असमानताओं को कम करना, सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना एवं इससे संबंधित योजनाओं को लागू करना, पिछड़े हुए क्षेत्रों का विकास करना तथा निर्धन वर्गों के कल्याण हेतु व्यय करना।

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