प्रश्नावली क्या है? एक अच्छी प्रश्नावली के गुण बताइए | Questionnaire method in hindi

आपको बता दें कि प्रश्नावली विधि (Questionnaire method) प्राथमिक समकों के संकलन की एक विधि है। जब भी प्रश्नावली का नाम आता है तो सहज ही हमारे मन-मस्तिष्क में प्रश्न उमड़ पड़ता है कि एक अच्छी प्रश्नावली के गुण क्या होने चाहिए? तो आज हम इस अंक में प्रश्नावली क्या है? (prashnavali kya hai?) के साथ-साथ प्रश्नावली के गुण व दोष (prashnavali ke gun evam dosh) पर भी चर्चा करेंगे।

Prashnavali kise kahte hain?

आपने हमारा पिछला अंक "समंक क्या होते है? प्राथमिक व द्वितीयक समकों का संकलन" यदि पढ़ा होगा तो उसमें हमने समंक के अर्थ, उनके प्रकार प्राथमिक व द्वितीयक समकों के संकलन के विषय में महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी हैं। ऐसे समंक जिन्हें अनुसंधानकर्ता पहली बार एकत्रित करते हैं प्राथमिक समंक या प्राथमिक आंकड़े कहलाते हैं।इस तरह के संकलन में अनुसंधानकर्ता स्वयं नये सिरे से समंकों का संकलन, वर्गीकरण, विश्लेषण तथा प्रकाशन करता है।

दरअसल प्राथमिक समकों के संकलन अर्थात किसी भी अनुसंधान के लिए प्राथमिक आँकड़ों की आवश्यकता होती है तो वह अनुसंधानकर्ता अलग-अलग विधियों के द्वारा अपने उस अनुसंधान के लिए आँकड़े Data (समंक) एकत्रित करने में लग जाता है।

प्रश्नावली विधि उन अलग-अलग विधियों में से एक मानी जाती है। जो कि अनुसंधानकर्ता के लिए उन क्षेत्रों के लिए लाभदायक साबित होती है जहाँ स्वयं अनुसंधानकर्ता का पहुँच पाना कठिन होता है। ऐसे क्षेत्रों के लिए ज़्यादातर अनुसंधानकर्ता प्रश्नावली रीति (Questionnaire method) का ही प्रयोग करना बेहतर समझते हैं।


प्रश्नावली क्या है? ꘡ Prashnavali kya hai in hindi?


इस विधि के अंतर्गत एक प्रश्नावली तैयार कर ली जाती है। इस प्रश्नावली की सूची में उस विशेष अनुसंधान से संबंधित ही प्रश्न शामिल किए जाते हैं। इस सूची को डाक द्वारा संबंधित व्यक्तियों के पास भेज जाता है। साथ ही यह अनुरोध किया जाता है कि वे सभी इस अनुसूची में शामिल किए गए प्रश्नों के उत्तर लिखकर एक नियत समय में लौटा दें। उनको यह आश्वासन भी दिया जाता है कि उनके द्वारा दी गयी समस्त जानकारियाँ गुप्त रखी जायेगी। 

एक प्रकार से इसे आप Questionnaire survey (प्रश्नावली सर्वे) भी कह सकते है। इस विधि का प्रयोग ऐसे स्थानों के लिए उपयुक्त होता है जो विस्तृत हो। और जहाँ पहुँचना उस अनुसंधानकर्ता के लिए आसान ना हो और उस अनुसंधान क्षेत्र के लोग शिक्षित और समझदार हों। तो ऐसी परिस्थिति में यह प्राथमिक संकलन आसानी से कर लिया जाता है।


प्रश्नावली के गुण या विशेषताएँ (Properties of a good questionnaire in hindi)

प्राथमिक समकों के संकलन के लिए प्रश्नावली एक ऐसी विधि है जिसके लिए कुछ ख़ास गुणों का होना आवश्यक होता है। आइये जानते हैं एक अच्छी प्रश्नावली के गुण (ek achchi prashnavali ke gun) क्या होते हैं -

(1) प्रश्नावली में प्रश्नों की संख्या कम होनी चाहिए ताकि उन प्रश्नों के उत्तर देने वाले व्यक्तियों (सूचकों) को बिल्कुल भी बोरियत महसूस न हो। किन्तु ध्यान रहे कि प्रश्नों की संख्या इतनी भी कम न हो कि आवश्यक सूचना भी प्राप्त न की जा सके।

(2) प्रश्नावली में पूछे जाने वाले प्रश्न सरल व स्पष्ट होने चाहिए। ताकि सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी उन प्रश्नों को आसानी से समझ सके। लंबे या अस्पष्ट प्रश्नों को समझना कठिन होता है। कोशिश यह करना चाहिए कि प्रश्नों के उत्तर 'हां' या 'ना' में मांगे जाएं।

(3) प्रश्नावली में वर्जित प्रश्नों का समावेश नहीं करना चाहिए। अर्थात ऐसे प्रश्नों को शामिल नहीं करना चाहिए जिनसे उत्तर देने वालों के आत्मसम्मान या धार्मिक अथवा सामाजिक भावनाओं को ठेस पहुंचे।

(4) प्रश्नावली में पूछे गए प्रश्न अनुसंधान से संबंधित ही होने चाहिए। ताकि अनुसंधानकर्ता को अपने उद्देश्य के अनुरूप ही सूचकों द्वारा जानकारी प्राप्त हो सके।

(5) प्रश्नों के उत्तर देने वाले सूचकों के लिए कुछ विशिष्ट टिप्पणियां भी देनी चाहिए ताकि उनके लिए प्रश्नों को समझना आसान हो। और वे सरलता पूर्वक उत्तर दे सकें।

(6) प्रश्नावली का निर्माण करने के पश्चात एक बार उन सभी प्रश्नों की जांच कर लेनी चाहिए ताकि उनमें कोई कमी या अशुद्धि पाए जाने पर आवश्यकतानुसार संशोधन या उचित परिवर्तन किया जा सके। 


प्रश्नावली के दोष क्या हैं? (What are the faults of the questionnaire in hindi)

प्रश्नावली विधि (prashnavali vidhi) वैसे तो दूरस्थ क्षेत्रों के लिए अत्यंत ही लाभदायक साबित होती है। जहाँ विशेष प्रश्नों की प्रश्नावली तैयार कर उन क्षेत्रों में भेज दी जाती हैं। किन्तु इन विशिष्ट परिस्थितियों में समकों के संकलन में कुछ समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। आइये जानते हैं कि प्रश्नावली के दोष (prashnavali ke dosh) क्या हैं -

(1) प्रश्नावली रीति में एक दोष यह है कि इसके अंतर्गत भेजी गई प्रश्नावली को अधिकतर लोग वापस ही नहीं करते। जिस कारण अनुसंधान में बाधा पड़ती है।

(2) लोग यदि प्रश्नों का जवाब देते भी है तो उनमें से अधिकतर लोगों के जवाब अपूर्ण होते हैं। जिन्हें समझना उतना ही जटिल होता है।

(3) प्रश्नावली विधि का दोष यह भी है कि दूरस्थ क्षेत्रों में अनुसंधानकर्ता के स्वयं नहीं जा पाने के कारण लोग प्रश्नों का अर्थ ही नहीं समझ पाते। जिसका परिणाम यह होता है कि अनुसंधान के लिए उपयुक्त उत्तर नहीं मिल पाते और ना ही इतनी दूर से उन प्रश्नों को अनुसंधानकर्ता लोगों को प्रश्नों का अर्थ समझा पाता है।

(4) यदि उन दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले इन प्रश्नों के उत्तर पक्षपात पूर्ण देना चाहें तो अनुसन्धानकर्ता के लिए वे सभी निष्कर्ष ग़लत साबित हो जाते हैं। जिसके सहारे वह अपना अनुसंधान पूर्ण करता है।


प्रश्नावली भरवाते समय की जाने वाली सावधानियाँ (Precautions to be taken while filling the questionnaire in hindi)

इस रीति से समकों के संकलन के लिए कुछ विशेष सावधानियाँ बरती जानी चाहिए जिससे समक संकलन से संबंधित गलतियां ना के बराबर हों और अनुसंधानकर्ता को समस्याओं का सामना कम करना पड़े। ये सावधानियाँ निम्न हो सकती हैं-

(1) सूचना देने वालों के साथ सदभावपूर्ण एवं सक्रिय सहयोग के साथ जानकारी मांगी जाए। इस बात का सदैव ध्यान रखा जाए। इससे संभव है कि मांगी जाने वाली जानकारी विश्वसनीय व सरलता से प्राप्त हो।

(2) प्रश्नावली बनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रश्न कम, सरल व स्पष्ट रूप से बनाये गए हों। ताकि उन प्रश्नों के जवाब लिखते समय लोगों को बोरियत व कठिनाई का सामना न करना पड़े।

(3) प्रश्नावली बनाते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि पूछे जाने वाले प्रश्नों की भाषा सरल और समझने वाली हो। ताकि जवाब देने वालों का सक्रिय सहयोग प्राप्त हो सके।

(4) इस विधि की सफलता इसी बात पर निर्भर करती है कि लोग इसके अंतर्गत भेजी जाने वाली प्रश्नावली के प्रश्नों के उत्तर पक्षपात की भावना से देने का प्रयास ना करें।

(5) इस विधि में यह कोशिश करना चाहिए कि माँगी गयी सूचना कम समय में मिल जाए। क्योंकि अक़्सर यही होता है कि प्रश्नावली के जवाब अनुसंधानकर्ता तक पहुँचते-पहुँचते बहुत अधिक समय लग जाता है।


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