सहसंबंध की डिग्री से आप क्या समझते हैं, सहसंबंध की मात्रा का निर्धारण, सहसंबंध गुणांक की माप, सह- संबंध गुणांक का मान, (sahsambandh gunank ki map in hindi, sahsambandh gunank ka mapan, sakaratmak evam nakaratmak sahsambandh)
सामान्यतया सहसंबंध दो चरों के बीच संबंध की एक सांख्यिकीय माप कहलाता है। जो कि दो चरों के बीच पारस्परिक निर्भरता को स्पष्ट करता है। सही मायने में इस माप का सबसे अच्छा उपयोग उन चरों में किया जाता है जो एक दूसरे के बीच रैखिक संबंध प्रदर्शित करते हैं। डेटा के फ़िट को स्कैटरप्लॉट में दृश्यमान रूप से दर्शाया जा सकता है। स्कैटरप्लॉट का उपयोग करके, हम आम तौर पर चरों के बीच संबंध का आकलन कर सकते हैं और यह निर्धारित कर सकते हैं कि वे आपस में संबद्ध हैं या नहीं।
सहसंबंध गुणांक एक ऐसा मान है जो चरों के बीच संबंधों की मज़बूती को दर्शाता है। गुणांक -1 से +1 तक कोई भी मान ले सकता है। मानों की व्याख्या इस प्रकार है -
गुणांक -1 : पूर्ण नकारात्मक सहसंबंध। चर विपरीत दिशाओं में चलते हैं (यानी, जब एक चर बढ़ता है, तो दूसरा चर घटता है)।
गुणांक 0 : कोई सहसंबंध नहीं। चरों का एक दूसरे से कोई संबंध नहीं है।
गुणांक 1 : पूर्ण सकारात्मक सहसंबंध। चर एक ही दिशा में चलते हैं (यानी, जब एक चर बढ़ता है, तो दूसरा चर भी बढ़ता है)।
वित्त में इस अवधारणा के प्राथमिक अनुप्रयोगों में से एक पोर्टफोलियो प्रबंधन है। सफल पोर्टफोलियो अनुकूलन के लिए इस सांख्यिकीय अवधारणा की गहन समझ आवश्यक है। आइए जानते हैं कि सह-सम्बन्ध गुणांक के आधार पर सह-सम्बन्ध की मात्रा का निर्धारण (sah-sambandh gunank ke adhar par sah-sambandh ki matra ka nirdharan) कैसे किया जाता है?
सहसंबंध का परिमाण (डिग्री) | Degree of Correlation in hindi
दो चर मूल्यों के बीच पारस्परिक संबंध की मात्रा की माप सहसंबंध गुणांक के संख्यात्मक माप द्वारा किया जाता है।यह सहसम्बन्ध गुणांक -1 एवं +1 की सीमाओं के अन्तर्गत पाया जाता है। सह-सम्बन्ध गुणांक के आधार पर सह- सम्बन्ध की मात्रा (धनात्मक या ऋणात्मक है) का निर्धारण निम्न प्रकार किया जाता है -
1. पूर्ण सह-सम्बन्ध (Perfect Correlation)
जब दो सम्बन्धित चरों में पूर्णतया समान अनुपात में परिर्वतन होता है, तब उनमें पूर्ण सह-सम्बन्ध पाया जाता है। जब यह समान आनुपातिक परिवर्तन एक ही दिशा में दोनों चरों में होता है, तब इसे पूर्ण धनात्मक सह-सम्बन्ध कहा जाता है। और इसके विपरीत, जब दो चरों में समान अनुपात में परिवर्तन विपरीत दिशाओं में होते हैं, तब इन दोनों चरों के बीच पूर्ण ऋणात्मक सह-सम्बन्ध होता है। पूर्ण धनात्मक सह-सम्बन्ध का गुणांक +1 एवं पूर्ण ऋणात्मक सह-सम्बन्ध का गुणांक -1 होता है।
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2. सीमित सह-सम्बन्ध (Limited degree of Correlation)
जब दो चरों में न तो सह-सम्बन्ध का अभाव होता है और न ही उनमें पूर्ण सह-सम्बन्ध होता है, तब दोनों चरों के बीच सीमित मात्रा में सह-सम्बन्ध पाया जाता है। यहां सहसम्बन्ध का गुणांक 0 एवं 1 के बीच पाया जाता है। यह सह-सम्बन्ध धनात्मक तथा ऋणात्मक हो सकता है।आर्थिक, व्यावसायिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में प्रायः सीमित मात्रा का सह-सम्बन्ध पाया जाता है। सामान्यतः 0 सह- सम्बन्ध का अर्थ चरों में सम्बन्ध का अभाव समझा जाता है। सीमित सह-सम्बन्ध की मात्रा उच्च, मध्यम तथा न्यून हो सकती है। इसे निम्न प्रकार से समझ सकते हैं -
(i) उच्च स्तर का सह-सम्बन्ध (High Degree of Correlation) —
जब दो चर मूल्यों में सह- सम्बन्ध की मात्रा बहुत अधिक हो, तो वह उच्च स्तर का सह-सम्बन्ध कहलाता है। यह सह-सम्बन्ध +0.75 से +1 के बीच में पाया जाता है । जो उच्च स्तर के धनात्मक सह-सम्बन्ध को बताता है तथा ऋण (-) चिन्ह के साथ होने पर उच्च स्तर का ऋणात्मक सह - सम्बन्ध कहलाता है । अर्थात् +0.75 से +1 उच्च धनात्मक सह- सम्बन्ध और -0.75 से -1 तक उच्च ऋणात्मक सह - सम्बन्ध।
(ii) मध्यम स्तर का सह-सम्बन्ध (Moderate Degree of Correlation) —
जब दो चरों के बीच सह-सम्बन्ध का गुणांक 0.5 और 0.75 के बीच होता है, तो यह मध्य स्तर का सह-सम्बन्ध कहलाता है । यह सह-सम्बन्ध धनात्मक अथवा ऋणात्मक हो सकता है ।
(iii) निम्न स्तर का सह-सम्बन्ध (Low Degree of Correlation) -
जब दो चर मूल्यों के बीच सह-सम्बन्ध गुणांक शून्य (0) से अधिक, लेकिन 0.5 से कम होता है, तब इसे निम्न स्तर का सह-सम्बन्ध कहा जाता है। यह भी धनात्मक अथवा ऋणात्मक हो सकता है।
3. सह-सम्बन्ध की अनुपस्थिति (Absence of Correlation)
जब दो चर मूल्यों में कोई पारस्परिक निर्भरता नहीं पायी जाती है अर्थात एक चर में होने वाले परिर्वतन का दूसरे पर कोई भी प्रभाव न पड़े तो यह कहा जा सकता है कि उन श्रृंखलाओं या चरों के बीच सह-संबंध का अभाव पाया जाता है। सह-सम्बन्ध की अनुपस्थिति में सह-सम्बन्ध गुणांक की मात्रा शून्य (0) होती है।
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