बिंदुरेखीय विधि द्वारा सहसंबंध का प्रदर्शन | बिंदुरेखीय विधि से दो चर मूल्यों के बीच सहसंबंध का अनुमान कैसे लगाया जाता है समझाइए।
सामान्य तौर पर बिंदुरेखीय विधि (bindu rekhiya vidhi) का तात्पर्य एक ऐसी विधि से होता है जिसके अंतर्गत विभिन्न सांख्यिकीय समंकों (आंकड़ों) के रूप में दिए गए चर मूल्यों का अध्ययन बिंदुरेखीय प्रदर्शन के रूप में किया जाता है। इस अंक में हम बिदुरेखीय विधि के द्वारा सहसंबंध को कैसे प्रर्दशित किया जाता है? (bindurekhiya vidhi ke dvara sahsambandh ko kaise prasarshit kiya jata hai?) जानेंगे।
बिन्दुरेखीय रीति, सह-सम्बन्ध को प्रदर्शित करने की एक सरल रीति है जिसके द्वारा दो चर मूल्यों के बीच सह- सम्बन्ध का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है। इसके अंतर्गत किन्हीं दो चरों के मूल्यों को बिंदुरेख के रूप में प्रदर्शित कर उन दोनों चर मूल्यों के उच्चावचन का अध्ययन करते हुए उनके बीच सहसंबंध का अनुमान लगा लिया जाता है।
यदि दो चर मूल्यों के बिन्दुरेख एक ही दिशा में उच्चावचन को प्रदर्शित करते हैं, इस स्थिति में धनात्मक सह-सम्बन्ध होगा। किंतु इसके विपरीत, यदि दो चर मूल्यों के बिन्दुरेख दो विपरीत दिशाओं में उच्चावचन को प्रदर्शित करते हैं, तो ऐसी स्थिति में ऋणात्मक सह-सम्बन्ध होगा।
बिन्दुरेख की रचना करते समय, समय (Time), वर्ष, दिन, व स्थान आदि को X-अक्ष रेखा पर तथा चर मूल्यों को Y- अक्ष कोटि पर दिखाया जाता है। रही बात चर मूल्यों के मापदंड की, तो चर मूल्यों के मापदंडों को इस तरह से व्यवस्थित किया जाता है कि दोनों चर मूल्यों के वक्र एक- दूसरे के निकट हों ताकि उन दोनों के बीच सम्बन्ध भी सरलता से देखा जा सके।
बिंदुरेखीय विधि द्वारा सह-सम्बन्ध का अनुमान (bindu rekhiya vidhi dvara sahsambandh ka anuman) इन बिंदुरेखीय रेखाओं के आधार पर निम्नानुसार लगाया जा सकता है -
(1) यदि चर मूल्यों की दोनों रेखाएँ एक ही दिशा में साथ-साथ आगे बढ़ती हैं, तो उनकी यह प्रवृत्ति धनात्मक सह-सम्बन्ध का संकेतक होती है। दोनों रेखाओं के बीच में जितना कम विचलन होता है, उतना ही अधिक सह-सम्बन्ध पाया जाता है।
(2) यदि दोनों चर मूल्यों की रेखाएँ एक दूसरे की विपरीत दिशा की ओर बढ़ती दिखाई देती है, तो दोनों चर-मूल्यों की यह प्रवृत्ति ऋणात्मक सह-सम्बन्ध का संकेतक होती है।
(3) यदि दोनों चर मूल्यों की रेखाओं की प्रवृति धनात्मक अथवा ऋणात्मक किसी भी सहसंबंध का संकेत प्रदर्शित नहीं करती है, तो यह स्थिति शून्य सह-सम्बन्ध का परिचायक होती है।
आइए हम बिंदुरेखीय विधि से सहसंबंध का अनुमान (bindu rekhiya vidhi se sahsambandh ka anuman) निम्न उदाहरण के द्वारा लगाने का प्रयास करते हैं -
पति की आयु- 18 19 20 25 27 30 31 35
पत्नी की आयु- 16 17 19 23 24 24 30 30
उपरोक्त आंकड़ों का प्रयोग करते हुए बिंदुरेखीय रीति से सहसंबंध का प्रदर्शन हम निम्नानुसार कर सकते हैं,
बिंदुरेखीय विधि से सहसंबंध प्रर्दशित करना |
उपरोक्त चित्र से स्पष्ट है कि पति-पत्नी की आयु के रुप में दिए गए आंकड़ों को बिंदुरेखीय विधि से प्रर्दशित कर बड़ी ही आसानी से दोनों चर मूल्यों के बीच सहसंबंध का अनुमान लगाया जा सकता है।
उम्मीद है इस अंक से आपने बिंदुरेखीय विधि से सहसंबंध कैसे प्रदर्शित किया जाता है? (bindu rekhiya vidhi se sahsambandh kaise prasarshit kiya jata hai?) समझ लिया होगा।
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