बिंदुरेखीय प्रदर्शन के सामान्य नियम | बिंदु-रेख बनाने के सामान्य नियम | General Rules for graphing data in hindi
कोई भी बिंदुरेखीय प्रदर्शन आकर्षक, रुचिकर सरल एवं प्रभावपूर्ण तभी बन सकता है। जब दिए गए सांख्यिकीय आंकड़ों (समंकोंं) को बिंदु रेख में प्रदर्शित करते समय कुछ आवश्यक नियमों का ध्यान रखा जाए।
आइए जानते हैं कि बिन्दु-रेख का निर्माण करते समय किन किन नियमों को ध्यान में रखना आवश्यक है -
1. शीर्षक (Title) -
बिन्दुरेखीय प्रदर्शन से पहले एक उपयुक्त शीर्षक दिया जाना चाहिए। यह संक्षिप्त, पूर्ण तथा स्पष्ट होना चाहिए। जिससे बिन्दु-रेख में प्रदर्शित तथ्यों की विषय-सामग्री का भलीभांति ज्ञान हो सके।
2. बिन्दुओं का प्रांकन (Plotting of Points) -
बिन्दुओं को अंकित करते समय यह देखना आवश्यक है कि वे किन मूल्यों (धनात्मक या ऋणात्मक) से सम्बन्धित हैं। प्रायः X एवं Y दोनों के मूल्य धनात्मक होते हैं तथा वे प्रथम चरण में प्रदर्शित किये जाते हैं। स्वतन्त्र चर (Independent variables), जैसे— समय, स्थान, वर्ग सीमाओं इत्यादि को X-अक्ष पर (OX-axis) तथा आश्रित चर (Dependent variables), जैसे — आय, उत्पादन, आयात आदि को Y-अक्ष (OY-axis) पर प्रदर्शित किया जाता है।
3. पैमाने का चुनाव (Choice of Scale) -
पैमाने का चुनाव अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कार्य होता है। पैमाने का चुनाव इस प्रकार किया जाना चाहिए कि प्रदर्शित किये जाने वाले सम्पूर्ण आँकड़े बिन्दु-रेख पत्र (graph paper) में आ सकें। इसके लिए कोई ठोस नियम नहीं हैं। इसके लिए केवल उदग्र और क्षैतिज पैमाने के अनुपात को ध्यान रखना ही पर्याप्त है। भुजाक्ष की लम्बाई कोटि अक्ष के डेढ़ गुना होना चाहिए।
4. रेखा खींचना (Drawing a Line) -
स्वतन्त्र एवं आश्रित चरों (variables) के मूल्यों से सम्बन्धित बिन्दुओं को बिन्दु-रेख पत्र पर अंकित करने के बाद उन्हें एक सीधी रेखा द्वारा परस्पर मिलाना आवश्यक है, जिससे एक ऐसी रेखा अंकित हो जाये जो अनेक बिन्दुओं से मिली हुई हो। एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक सीधी हो तथा सम्पूर्ण रेखा एक जैसी हो। ये रेखाएँ तीन तरह की हो सकती हैं, जैसे– (i) सरल रेखा, (ii) बिन्दु रेखा एवं (iii) टूटी हुई रेखा।
5. संकेत (Index) -
पैमाने को बताने के लिए संकेत ऊपर की ओर दे देना चाहिए। साथ ही विभिन्न रेखाओं के अर्थ भी संकेत में देने चाहिए। इस तरह विभिन्न पैमानों को प्रदर्शित करने के लिए संकेतों के इस्तेमाल से यह और भी स्पष्ट और समझनेवमे आसान हो जाता है।
6. उप-शीर्षक (Caption) -
भुजाक्ष OX के लिए उपशीर्षक क्षैतिज रेखा के नीचे मध्य में लिखा जाता है, जबकि Y-अक्ष का उप-शीर्षक Y-अक्ष के मध्य में लिखा जाता है। बिंदुरेखीय प्रदर्शन हेतु यह एक बेहतर तरीक़ा साबित होता है।
7. स्रोत (Source) -
यदि सम्भव हो तो आँकड़ों के प्राप्ति स्थान तथा आवश्यक टिप्पणी नीचे दे देनी चाहिए। इससे उनकी शुद्धता की जाँच सम्भव हो सकती है।
8. सारणी का प्रदर्शन (Presentation of Tables) -
बिन्दु-रेखाचित्र के साथ ही पास में ही आंकड़ों की सारणी भी दे देनी चाहिए। ताकि यदि कोई व्यक्ति चाहे तो इसका विस्तृत अध्ययन कर सकता है अथवा शुद्धता की जाँच भी कर सकता है।
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