अच्छी सारणी के गुण | सारणीयन के सामान्य नियम | Sarniyan ke niyam in hindi

अच्छी सारणी के लक्षण, नियम व सावधानियां |सारणीयन के नियम क्या हैं?

सांख्यिकी के अंतर्गत संकलित किए गए समंकों का वर्गीकरण करने के बाद वर्गीकृत सामग्री को सरल, सुविधाजनक व संक्षिप्त रूप देने के लिए उसे उचित प्रस्तुतिकरण की आवश्यकता भी होती है। ताकि यथोचित निष्कर्ष निकाला जा सके। सांख्यिकीय समंकों को प्रदर्शित करने की इसी सुव्यवस्थित पद्धति को सारणीयन कहा जाता है। सारणीयन क्या है? इसके उद्देश्य, महत्व एवं सीमाएँ जानने के लिए क्लिक करें।



आज के इस अंक में हम सारणीयन के सामान्य नियम (sarniyan ke samanya niyam) और एक अच्छी सारणी के लक्षण (ek achchi sarni ke lakshan) क्या हैं? जानेंगे। तो चलिए बिना देर किए जानते हैं कि सारणी के नियम, लक्षण व सावधानियाँ क्या हैं?


अच्छी सारणी के लक्षण | सारणीयन की विशेषताएँ | (Characteristcs of a good table in hindi)

एक अच्छी सारणी में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए -

1. उद्देश्य के अनुकूल - एक सारणी जब भी बांयी जाए उसे उद्देश्य के अनुकूल ही बनाई जानी चाहिए।

2. सुनियोजित तथा स्पष्ट - सारणी का निर्माण सुनियोजित, स्पष्ट व सरलतम रूप में करना चाहिए। ताकि एक सामान्य व्यक्ति भी  उसे सरलता से समझ सके। 

3. पूर्ण व पर्याप्त शीर्षक - सारणी में संक्षिप्त, स्पष्ट व पूर्ण शीर्षक होना चाहिए। शीर्षकों की अधिकता नहीं होनी चाहिए। खानों व पंक्तियों में आवश्यकता के अनुरूप ही शीर्षकों का रखना सुनिश्चित करना चाहिए।

4. उपयुक्त आकार - सारणी बनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसका आकार न बहुत छोटा हो और न ही बड़ा हो। यदि ज़्यादा जानकारियाँ दिखानी हो तो बेहतर यही होगा कि छोटी-छोटी सारणियाँ बनाई जाए।

5. तुलना करना संभव - सारणी इस प्रकार बनायी जानी चाहिए कि उसके तथ्यों का तुलनात्मक अध्ययन करना सरल हो।

6. आकर्षक स्वरूप का होना - सारणी की रचना करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उसका स्वरूप आकर्षक हो।

7. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से परिपूर्ण - सारणीयन का निर्माण वैज्ञानिक ढंग से होना चाहिए। इसे बनाते समय समस्त सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए।

8. गणना की संभावना - तुलना करने की दृष्टि से जहाँ पर आवश्यक हो। वहाँ पर माध्य, प्रतिशत, अनुपात आदि की पर्याप्त रूप से गणना भी की जानी चाहिए।

समंक संकलन के बाद सारणीयन की रचना कैसे की जानी चाहिए? इसके लिए कोई विशेष नियम नहीं हैं। यह तो अनुभव के आधार पर ही बताया जा सकता है कि सारणी में क्या होना चाहिए और क्या नहीं। फ़िर भी सारणी का निर्माण करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिये। आइये जानते हैं कि सारणी बनाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?



सारणीयन के सामान्य नियम | सारणी की रचना कैसे की जाए? 

समंक संकलन और उनके वर्गीकरण के बाद एक सरल व स्पष्ट सारणीयन की रचना करना उतना ही महत्वपूर्ण होता है। अतः एक अच्छी सारणी बनाते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए-

1. सारणी की संख्या एवं शीर्षक -
सारणी में सबसे पहले सारणी की संख्या दी जानी चाहिए फ़िर सारणी के बीच में संक्षिप्त, स्पष्ट व पूर्ण शीर्षक होना चाहिए।

2. उचित उपशीर्षक -
सारणी के प्रत्येक खाने में उपशीर्षक (caption) दिए जाने चाहिए। जिसके नीचे संख्या की इकाइयां दी जाती हैं। यदि संख्या बढ़ी हो तो उसे हज़ार, या दस लाख के रूप में लिखकर छोटी बना लिया जाता है।

3. आँकड़ों की तुलना -
जिन समंक तुलनीय हैं उन्हें पास-पास के स्तम्भों में रखा जाना चाहिए। क्योंकि पंक्तियों के अपेक्षा स्तम्भों (कॉलमों) से तुलना करने में अधिक सुविधा होती है।

4. अनुपात, प्रतिशत आदि का सही प्रयोग - 
सारणी में अनुपात, प्रतिशत व माध्य का प्रयोग किया जाना चाहिए। इन्हें मूल समंकों के पास वाले खाने में रखा जाना चाहिए।

5. योग का होना आवश्यक -
सारणी में दिए गए आँकड़ों के प्रत्येक वर्ग का सही-सही उपयोग होना चाहिए। सारणी में जहाँ अनेक खाने हों वहाँ पर योग सामने या नीचे दोनों दिशाओं में किया जाता है।

6. टिप्पणी देना - 
सारणी के किसी विशेष तथ्य को स्पष्ट करना ज़रूरी हो तो सारणी के नीचे आवश्यक रूप से पाद टिप्पणी (footnote) किया जाना चाहिए। इससे किसी आम व्यक्ति को समझने में आसानी होती है।

7. स्रोतों का उल्लेख -
सारणीयन के लिए समंक अनेक स्थानों, माध्यमों से जुटाए जाते हैं। इसलिए समंक या आँकड़े कहाँ से लिए गए हैं? उनके स्रोतों का उल्लेख सारणी के नीचे 'स्रोत' लिखकर अवश्य करना चाहिए। इस करने से आँकड़ों के संबंध में कोई संदेह नहीं होता।

8. इकाइयों के मूल्य स्पष्ट -
सारणी में उपलब्ध समंकों (आँकड़ों) को जिस इकाई में व्यक्त किया जाता है। उनके मूल्यों का उल्लेख शीर्षक के पास ही आवश्यक रूप से कर देना चाहिए। जैसे- खाद्यान्न के लिए मैट्रिक टन, कपड़े के लिए मीटर, मुद्रा के लिए हज़ार, लाख, करोड़ आदि।

9. खानों का रेखांकन - 
एक सारणी में कितने खाने होने चाहिए? यह आपके द्वारा जुटाई गई सूचना पर निर्भर करता है। इसके अलावा आपके पास उपलब्ध स्थान पर भी निर्भर करता है। इसलिए यह ध्यान रखकर सारणी बनाएं कि वह आकर्षक लगे।

10. स्थानीय मान के अनुसार लिखना -
जिन सारणियों में बड़ी संख्याओं को दशमलव का प्रयोग करते हुए लिखा जाता है। वहाँ इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि नीचे आए वाली संख्याओं को उनके स्थानीय मान के अनुसार ही लिखा जाए। जैसे- इकाई के नीचे इकाई, दहाई के नीचे दहाई, दशमलव के नीचे दशमलव इत्यादि।

11. अनुपलब्ध आँकड़ों की सूचना -
सारणी में जिन पंक्तियों या उपशीर्षकों के आँकड़े (समंक) उपलब्ध न हों । वहाँ N. A. (Not Available) जैसे शब्दों को लिख देना चाहिए। जहाँ पर माटी शून्य हो वहाँ स्पष्ट रूप से शून्य (0) लिखा जाना चाहिए।

12) सारणी का आकार - सारणी का आकार न तो बहुत बड़ा हो और ना हि बहुत छोटा हो। यदि प्राप्त आँकड़े बहुत अधिक हों तो उनके लिए अलग-अलग सारणियों का उपयोग किया जाना चाहिए। बौर बाद में एक सारांश या निष्कर्ष सारणी बनाई जा सकती है। जिसमें सभी सारणियों का सारांश हो।

13. आकर्षक स्वरूप -
सारणी बनाते समय इस बात का ख़याल अवश्य रखना चाहिए कि सारणी दिखने सरल, व्यवस्थित व आकर्षक हो। तभी कोई भी व्यक्ति उसे आसानी से समझने के लिए प्रेरित होगा।

14. कॉलम नम्बरों का उल्लेख - 
यदि सारणी बड़ी है तो खानों व पंक्तियों में क्रम संख्या लिख देना चाहिए। यदि संभव हो तो कॉलमों के नीचे क्रम संख्या 1, 2, 3 आदि नम्बरों को लिखना चाहिए। इससे विशिष्ट परिस्थियों में आवश्यक जानकारी देने में आसानी होती है। 

उपरोक्त बिंदुओं को सारणीयन संबंधी नियम (Sarniyan sambandhi niyam) कहा जाता है। जो कि किसी भी अच्छी सारणीयन की विशेषताएँ (sarniyan ki visheshtayen) कही जा सकती हैं। उम्मीद है इस अंक में आपने Sarniyan ke niyam kya hain? भली भांति जान लिया होगा। साथ ही एक अच्छी सारणी के लक्षण (Ek achchi sarni ke lakshan) को भी समझ लिया होगा। इसे आप अपने दोस्तों को ज़रूर शेयर कीजिये।


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