संगणना रीति क्या है? | Economic census in hindi

संगणना विधि- संगणना का अर्थ, संगणना की आवश्यकता, गुण या विशेषताएँ (merits), दोष या सीमाएँ (demerits)

किसी भी अनुसंधानकर्ता को अपने अनुसंधान को पूर्ण करने के लिए जब भी कोई योजना बनाना होता है। उसे एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना होता है। वह निर्णय यह कि वह समंकों के संकलन के लिए कौन सी रीति अपनाये? उसके सामने समंक यानि कि आँकड़ों के संकलन की दो रीतियाँ होती हैं- संगणना रीति और निदर्शन रीति


संगणना विधि क्या है?

संगणना अनुसंधान अर्थात समूह की प्रत्येक इकाइयों के अध्ययन और निदर्शन अर्थात समूह में से कुछ ही चयनित इकाइयों का अध्ययन करना। इस अंक में हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि संगणना अनुसंधान किसे कहते हैं? (Sanganna anusandhan kise kahate hain?) निदर्शन रीति क्या है? आप जानने के लिए क्लिक कर पढ़ सकते हैं।



संगणना रीति | Census method in hindi | Census in hindi meaning

अनुसंधान के क्षेत्र में समूह की प्रत्येक इकाईयों के बारे में समंक एकत्रित करना ही संगणना रीति (Census method) कहलाती है। इस रीति में अनुसंधानकर्ता को समग्र की प्रत्येक इकाइयों की जानकारी प्राप्त करनी होती है। जनगणना करते समय घर-घर जाकर प्रत्येक व्यक्ति से विस्तृत जानकारी ली जाती है। भले ही इसमें श्रम, धन अधिक लगता है। किंतु यह जानकारी विस्तृत होने के साथ-साथ शुद्ध व विश्वसनीय होती है।


अनुसंधानकर्ता के लिए वैसे तो संगणना और निदर्शन (प्रतिचयन) दोनों ही रीतियाँ अपनी आवश्यकता के अनुसार उपयुक्त होती हैं। किंतु ऐसी परिस्थिति में विशेषकर जब अनुसंधान क्षेत्र में इकाइयों की विशेषताएँ भिन्न-भिन्न हों, तब संगणना रीति (sanganna riti) ही उपयुक्त होती है।

उदाहरण के लिए, किसी स्कूल के अलग-अलग कक्षाओं एवं अलग-अलग विषयों के 150 विद्यार्थी ऐसे हैं जिनके अंकों का अध्ययन इस अनुसंधान का मक़सद है। चूँकि इन विद्यार्थियों की विशेषताएँ यानि कि कक्षाएँ व विषय भी अलग-अलग हैं। इसलिए समग्र यानि कि 150 विद्यार्थियों में से प्रत्येक विद्यार्थियों (प्रत्येक इकाइयों) की जानकारी लेनी होगी। 

दूसरों शब्दों में कहा जाये तो समग्र की प्रत्येक इकाई का अध्ययन किया जाएगा। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि इस अनुसंधान में सम्पूर्ण गणना अर्थात संगणना रीति अपनायी गयी।


भारत में जनगणना के लिए संगणना रीति ही अपनायी जाती है। भारत में जनगणना सर्वप्रथम सन 1872 में हुई थी। सन 1881 से प्रत्येक 10 वर्ष के अंतराल पर नियमित रूप से जनगणना की जाती है। स्वतंत्रता के बाद पहली बार जनगणना सन 1951 में हुई थी। नवीनतम संगणना की बात की जाये तो यह पिछली बार 2011 में की गई थी।


संगणना रीति की आवश्यकता | Requirements of census in hindi

संगणना रीति की उपयुक्तता की बात करें तो इस रीति की ज़रूरत निम्न दशाओं में ज़्यादा होती है -

(1) संगणना रीति की आवश्यकता तब अधिक होती है जब समग्र या क्षेत्र का आकार सीमित हो।
(2) जब अनुसंधान क्षेत्र के समूह की इकाइयों की विशेषताएँ भिन्न-भिन्न हों।
(3) जब समंकों को एकत्रित कर अधिक परिशुद्धता के साथ निष्कर्ष पर पहुँचना हो।
(4) जब समूह की प्रत्येक इकाई के संबंध में विस्तृत जानकारी प्राप्त करनी हो।



संगणना रीति के गुण | संगणना विधि के गुण | merits of census in hindi

संगणना रीति के गुण Sanganna reeti ke gun यानि कि संगणना की विशेषताएँ निम्न है-

(1) वैज्ञानिक - संगणना रीति अधिक वैज्ञानिक होती है। क्योंकि इसमें समग्र की प्रत्येक इकाइयों का विस्तृत अध्ययन किया जाता है।


(2) विश्वसनीयता एवं शुद्धता - संगणना रीति के अंतर्गत अनुसंधान करते समय अपेक्षाकृत अधिक व विश्वसनीय आँकड़े एकत्र किये जाते हैं।

(3) पक्षपात रहित - चूँकि इस रीति के अंतर्गत प्रत्येक इकाइयों की व्यक्तिगत तौर पर अलग-अलग जानकारी एकत्र की जाती है। इसलिए इस रीति में पक्षपात की संभावना कम होती है।

(4) इकाइयों में विविधता - जब समग्र की इकाइयों में विविधता हो। यानि कि समूह की इकाइयाँ भिन्न-भिन्न विशेषताएँ लिए हुए हों।

(5) अप्रत्यक्ष अध्ययन - इस रीति में समग्र की इकाइयों की विस्तृत जानकारियाँ एकत्र की जाती हैं। अनुसंधान के इस अध्ययन के अंतर्गत कुछ ऐसी जानकारियाँ भी प्राप्त हो जाती हैं जिनका पूर्व से ज्ञान नहीं होता। हालांकि बाद में वह अनुसंधान के लिए उपयोगी साबित होती है।



संगणना रीति की सीमाएँ एवं दोष | census method demerits in hindi

संगणना पद्धति के प्रमुख दोष, Sanganna reeti ke pramukh dosh निम्नलिखित हैं -

(1) धन का अपव्यय - समग्र की प्रत्येक इकाइयों से संपर्क स्थापित करने के कारण धन का अत्यधिक अपव्यय होता है।



(2) लंबा समय - संगणना रीति के अंतर्गत अनुसंधान करने के लिए अपेक्षाकृत अधिक समय लगता है।

(3) अधिक परिश्रम की आवश्यकता - इस रीति के अंतर्गत अनुसंधान में अत्यधिक परिश्रम की आवश्यकता होती है।

(4) सीमित क्षेत्र - इस रीति की सीमा यह है कि इस अनुसंधान को केवल सीमित आकर के क्षेत्रों में ही किया जा सकता है। विस्तृत एवं असीमित क्षेत्रों के लिए यह रीति अनुपयुक्त होती है।

उम्मीद है इस अंक में आप संगणना विधि क्या है? | meaning of census in hindi भलीभाँति जान चुके होंगे। अन्य संबंधित topics का सुझाव आप चाहे तो हमें comments कर बता सकते हैं।


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