किसी अनुसंधान में संकलित किये गए संख्यात्मक तथ्यों को स्पष्ट, सुविधाजनक व क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत करने की प्रक्रिया सारणीयन (sarniyan) कहलाती है।
सांख्यिकी में संकलित किये गए समंकों का वर्गीकरण करने के बाद वर्गीकृत सामग्री को सरल, सुविधाजनक व संक्षिप्त रूप देने के लिए उसे उचित प्रस्तुतिकरण की आवश्यकता भी होती है। ताकि यथोचित निष्कर्ष निकाला जा सकें। सांख्यिकीय समंकों को प्रदर्शित करने की इसी सुव्यवस्थित पद्धति को सारणीयन (tabulation) कहा जाता है।
ज़रा सोचकर देखिये की यदि आप किसी अनुसंधानकर्ता के तौर पर किसी उद्देश्य से समंक (तथ्यों) को एकत्र करते हैं। लेकिन उन तथ्यों को बग़ैर व्यवस्थित किये ऐसे ही छोड़ देते हैं। तो यह मान लीजिए कि आपके द्वारा एकत्रित किये गए इन तथ्यों को दूसरों के द्वारा समझ पाना कठिन हो जाएगा। कहीं ऐसा न हो कि एक लंबे अर्से के बाद आप स्वयं भी इन अव्यवस्थित तथ्यों को समझने में असमर्थ हों।
अब तो आप समझ चुके होंगे कि यदि सांख्यिकी के अंतर्गत प्राप्त समंकों को ढंग से प्रस्तुत न किया जाये तो प्राप्त होने वाली सूचना अपूर्ण व दोषपूर्ण रह जाती है। फ़िर इनसे सही-सही परिणाम प्राप्त किये जाने की संभावना कम हो जाती है।
इस अंक में हम सारणीयन से क्या आशय है? (Sarniyan se kya ashay hai?), सारणीयन के लाभ, उद्देश्य, महत्व एवं सीमाएं क्या हैं? सरल व स्पष्ट भाषा में जानेंगे। तो चलिए सारणीयन क्या है (Sarniyan kya hai?) इसे और भी स्पष्ट रूप से जानने का प्रयास करते हैं।
सारणीयन क्या है | What is tabulation in hindi
किसी अनुसंधान में संकलित किये गए समंकों अर्थात संख्यात्मक तथ्यों को स्पष्ट, सुविधाजनक व क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत करने की प्रक्रिया सारणीयन (sarniyan) कहलाती है।
यदि सही मायने में सारणीयन का अर्थ (meaning of tabulation in hindi) की बात करें। तो सारणीयन, समंकों की खानों (columns) और पंक्तियों (rows) के रूप में एक क्रमबद्ध व्यवस्था है। यह वर्गीकृत समंकों (सामग्री) को सरल व स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने का एक विशेष तरीक़ा है। ताकि अध्ययन करने वालों का ध्यान आसानी से इन महत्वपूर्ण सूचनाओं की तरफ़ आकर्षित हो सके।
सारणीयन को सरल व स्पष्ट रूप से समझने के लिए समय-समय पर कुछ अर्थशास्त्रियों ने अपनी ओर से परिभाषाएँ दी हैं। आइये कुछ प्रमुख परिभाषाओं को समझते हैं।
सारणीयन की परिभाषा (sarniyan ki paribhasha)
सारणीयन संबंधी कुछ परिभाषाएँ निम्न हैं -
एल. आर. कार्नर के अनुसार - "सांख्यिकीय तथ्यों का ऐसा क्रमबद्ध व व्यवस्थित प्रस्तुतीकरण जो किसी विशिष्ट विचाराधीन समस्या को स्पष्ट करने के उद्देश्य से किया गया हो, सारणीयन कहलाता है।"
सेक्राइस्ट के अनुसार - "वर्गीकरण के पश्चात किये जाने वाले विश्लेषण को स्थायी व एक समान तथ्यों को तुलना परिस्थिति के योग्य बनाने का साधन ही सारणीयन है।"
ब्लेयर के अनुसार - "विस्तृत रूप में देखा जाए तो संकलित किए गए तथ्यों को खानों एवं पंक्तियों में क्रमबद्ध रखने की व्यवस्था ही सारणीयन कही जाती है।"
क्राक्सटन एवं काउडेन के अनुसार - "सांख्यिकी तथ्यों को इस तरह व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करना कि भविष्य में स्वयं या अन्य अनुसन्धानकर्ता अपने उद्देश्य की पूर्ति हेतु अपने अनुसंधान के लिए प्रयोग में ला सके, सारणीयन कहलाता है।"
उपरोक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट होता है कि सारणीयन, संकलित और वर्गीकृत आँकड़ों को क्रमबद्ध व सुव्यवस्थित ढंग से प्रदर्शित करने की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें उन्हें तुलनीय बनाया जा सके तथा उनके लक्षणों को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया जा सके।
सारणीयन के उद्देश्य (Sarniyan ke uddeshya)
सारणीयन के प्रमुख उद्देश्य (objectives of tabulation in hindi) निम्नलिखित हैं -
1) व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करना -
सारणीयन का उद्देश्य होता है कि इसके माध्यम से समंकों को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत किया जा सके। ताकि भविष्य में जो भी इन समंकों का इस्तेमाल करना चाहे, उसे समझने में कठिनाई न हो।
2) आँकड़ों को संक्षिप्त ढंग से प्रकट करना -
सारणीयन का उद्देश्य इसके माध्यम से आँकड़ों को संक्षिप्त ढंग से प्रस्तुत करने का होता है। इससे किसी भी अनुसंधानकर्ता को किसी निष्कर्ष पर पहुँचने में आसानी होती है।
3) समस्या को स्पष्ट एवं तुलनीय बनाना -
सारणीयन के माध्यम से किसी भी समस्या को स्पष्ट व तुलनात्मक रूप से अधिक सरल बनाया जा सकता है।
4) विशेषताओं का स्पष्टीकरण -
सारणीयन के माध्यम से विशेषताओं को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया जा सकता है। संकलित समंक या तथ्यों को उनकी विशेषताओं के आधार पर, व्यवस्थित रूप से सारणी के माध्यम से दर्शाना आसान होता है।
5) अनेक प्रश्नों के उत्तर एक ही स्थान पर -
संकलित समंकों को सारणी में प्रस्तुत करने से अनेक प्रश्नों के उत्तर एक ही स्थान पर सुगमता से मिल जाते हैं। जिससे अनुसंधानकर्ता या किसी भी सामान्य व्यक्ति को जानकारी प्राप्त करने में आसानी होती है।
6) न्यूनतम स्थान -
प्राप्त समंक सामग्री को सारणी की सहायता से कम से कम स्थान में अधिकतम व व्यवस्थित ढंग से समंकों को प्रस्तुत करना आसान होता है।
• प्रगणकों द्वारा अनुसूची तैयार करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? अनुसूची के गुण व दोष बताइये।
7) निर्वचन में सुविधा -
समंकों को सारणीबद्ध करने से उनका निर्वचन करना सुविधाजनक हो जाता है। इस तरह सांख्यकीय तथ्यों का निर्वचन कर आसानी से निष्कर्ष निकाला जा सकता है।
सारणीयन का महत्व (sarniyan ka mahatva)
सारणीयन के प्रमुख महत्व (importance of tabulation in hindi) या सारणीयन के लाभ निम्नलिखित हैं -
1) जटिल समंकों को सरल बनाना -
सारणीयन से तथ्यों का मूल्यांकन सरलता से किया जा सकता है। इसकी सहायता से जटिल तथ्यों को भी सरलता पूर्वक प्रस्तुत किया जा सकता है।
2) कम स्थान में अधिक जानकारी देना -
सारणीयन के द्वारा अधिक से अधिक सूचना को कम स्थान में प्रदर्शित किया जा सकता है। इसमें स्थान, समय व धन की बचत होती है।
3) चित्रमय प्रदर्शन -
सारणियों के माध्यम से, संकलित तथ्यों को बिंदुरेखा एवं चित्रों के रूप में अधिक सरलता से प्रस्तुत किया जा सकता है।
4) तुलनात्मक अध्ययन संभव -
सारणीयन के माध्यम से दो या दो से अधिक सांख्यिकी श्रेणियों की आपस में आसानी से तुलना की जा सकती है।
5) सांख्यिकी विश्लेषण में सरलता -
सारणीयन के माध्यम से सांख्यिकीय अध्ययन सरल हो जाता है। जिस कारण विभिन्न सांख्यिकीय तथ्यों का विश्लेषण करना आसान हो जाता है।
6) व्यवस्थित प्रस्तुतीकरण -
चूंकि सारणीयन, समंकों को स्तंभों व पंक्तियों के रूप में प्रस्तुत करने की एक क्रमबद्ध व्यवस्था है। स्पष्ट है कि इसके माध्यम से वर्गीकृत तथ्यों का व्यवस्थित रूप से प्रस्तुतीकरण किया जा सकता है।
7) प्रवृत्ति को स्पष्ट करना -
सारणीयन एक ऐसी व्यवस्था है जिसके माध्यम से समंक की प्रवृत्ति को बड़ी ही आसानी से, स्पष्टतः समझा जा सकता है। जो कि बिना सारणी के समझना कठिन होता है।
सारणीयन की सीमाएँ (Limitations of tabulation in hindi)
यदि हम सारणीयन की सीमाएं (Sarniyan ki simaye) की बात करें तो सारणीयन में कोई विशेष सीमा या दोष नहीं पाया जाता है। सामान्य रूप से सारणीयन के दोष निम्न हैं -
1) विशिष्ट ज्ञान का होना आवश्यक -
सारणीयन को समझने के लिए विशेष ज्ञान का होना आवश्यक माना जाता है। इसके लिए पर्याप्त अनुभव होना चाहिए।
2) गुणात्मक तथ्यों का अभाव -
सारणियों में केवल समंकों यानि कि संख्यात्मक तथ्यों को ही प्रदर्शित किया जा सकता है। उसमें उनका विवरण नहीं होता है। अर्थात सारणीयन के माध्यम से गुणात्मक तथ्यों को नहीं दर्शाया जा सकता।
3) केवल पूरक के रूप में प्रयोग -
सारणीयन का प्रयोग किसी अनुसंधान के लिए विवरणात्मक विश्लेषण के पूरक (सहायक) के रूप में ही किया जा सकता है।
उम्मीद है इस अंक "सारणीयन का अर्थ (meaning of tabulation in hindi)" के अंतर्गत सारणीयन का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य एवं महत्व को आपने अच्छी तरह समझ लिया होगा। आप इसे अपने दोस्तों को ज़रूर कीजिए। ताकि उन्हें भी अपने अध्ययन में लाभ प्राप्त हो सके। हमारे लेख आपको कैसे लगते हैं। अपनी प्रतिक्रिया आप कमेंट्स के माध्यम से हमें दे सकते हैं।
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