चित्रमय प्रदर्शन के सामान्य नियम | चित्र रचना के सामान्य नियम क्या हैं? | Directions for drawing diagrams in hindi

चित्र की रचना करते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? | चित्रमय प्रदर्शन के सामान्य नियम क्या हैं? (Chitramay pradarshan ke samanya niyam kya hain?)


चित्र संरचना के सामान्य नियम

किसी भी विशिष्ट उद्देश्य के तहत प्राप्त किए गए समंकों का अत्यन्त प्रभावशाली रूप से निरूपण करना हो तो चित्रों का प्रयोग किया जा सकता है। ताकि सामान्य व्यक्ति भी आसानी से चित्र में दर्शाए गए तथ्यों को आसानी से समझ सके।

सामान्य तौर पर देखा जाए तो किसी भी चित्र को बनाने के सामान्य नियम (kisi bhi chitra ko banane ke samanya niyam) अवश्य होने चाहिए। तभी संबंधित तथ्यों को चित्र द्वारा, सामान्य व्यक्ति तक पहुंचाया जाना सरल हो सकता है। 

और यदि बात सांख्यिकीय तथ्यों की हो, तो सांख्यिकीय तथ्यों को चित्रों के द्वारा प्रदर्शित (चित्रमय प्रदर्शन) करने व उन्हें प्रभावशाली बनाने के लिए कुछ सामान्य नियमों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। आइए हम इस अंक में चित्र संरचना के सामान्य नियम क्या है? (chitra sanrachna ke samanya niyam kya hain?) जानते हैं -


चित्र रचना के सामान्य नियम (Chitra rachna ke samanya niyam)

चित्रमय रचना कला को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए कुछ सामान्य नियमों का पालन करना होता है। चित्र बनाने के सामान्य नियम (chitra banane ke samanya niyam) निम्नलिखित हैं -

(1) स्वच्छ व आकर्षक - सांख्यिकीय तथ्यों को चित्रमय प्रदर्शन के द्वारा सरलता से अधिक समय तक याद रखा जा सकता है। इसका कारण यह है कि अधिकांश व्यक्तियों की याददाश्त दृष्टिगत होती है। अतः आवश्यक है कि चित्र स्वच्छ तथा आकर्षक बनाया जाय जिससे व्यक्तियों का ध्यान स्वत: ही उनकी ओर आकर्षित हो। चित्रों को विभिन्न रंगों, बिन्दुओं या चिह्नों के द्वारा इतना आकर्षक होना चाहिए कि वह आँखों को सुन्दर व भले लगें। अर्थात चित्र आकर्षक, स्वच्छ व प्रभावशाली होने चाहिए।


(2) शुद्धता - ज्यामितीय आकृतियों की माप शुद्ध एवं अनुपात के हिसाब से होनी चाहिए। पटरी, परकार व चाँदे की सहायता से चित्र शुद्ध बनाए जाने चाहिए। निर्धारित मापदण्ड का पूर्णत: पालन किया जाना चाहिए। चित्र आकर्षक होना चाहिए, किन्तु इस बात का ध्यान रहे कि उसकी वजह से शुद्धता का परित्याग भी नहीं होना चाहिए। अन्यथा प्राप्त होने वाले निष्कर्ष भ्रामक होंगे।

(3) आकार - काग़ज़ के आकार के अनुसार चित्र की ऊँचाई व चौड़ाई का अनुपात उचित होना चाहिए। वैसे तो इस सम्बन्ध में कोई नियम नहीं हैं, किन्तु चित्र का आकार इतना बड़ा अवश्य होना चाहिए कि समंकों की सभी महत्त्वपूर्ण विशेषताओं का प्रदर्शन हो सके। सरल भाषा में कहें तो, चित्र न तो बहुत बड़ा होना चाहिए और ना हि बहुत छोटा। 

(4) मापदण्ड - चित्र निर्माण में मापदण्ड का चुनाव बहुत महत्त्वपूर्ण होता है । यदि समान समंकों को अलग-अलग मापदण्ड लेकर चित्र बनाये जायें तो वह आकार में भिन्नता रखने वाले होंगे। ऐसे में उनसे भ्रामक निष्कर्ष निकलने की सम्भावना बनी रहेगी। अतः मापदण्ड का चुनाव बहुत ही सावधानी से करना चाहिए।

(5) शीर्षक - चित्र के ऊपर उचित शीर्षक होना चाहिए। यह स्पष्ट तथा संक्षिप्त होना चाहिए। शीर्षक ऐसा हो कि जिससे इस बात का पता लग जाना चाहिए कि चित्र किन किन तथ्यों को प्रदर्शित करता है। इसके अलावा यदि आवश्यकता हो तो उपशीर्षक या फुट नोट भी दिया जा सकता है और वह तथ्य दिए जा सकते हैं जो कि शीर्षक में स्पष्ट नहीं हो पाए हैं।

(6) उपयुक्त चित्र का चुनाव - समंकों को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न प्रकार के चित्रों का प्रयोग किया जाता है। इसलिए विभिन्न प्रकार के समंकों को चित्रित करने के लिए उपयुक्त विधि का चुनाव करना चाहिए। उचित चित्र का चुनाव, समंकों की प्रकृति, प्रदर्शन का उद्देश्य, न्यूनतम व अधिकतम मूल्य आदि पर निर्भर करता है। चित्र का चयन बहुत सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए। चित्र बनाने में साधन एवं शक्ति का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
अन्यथा उससे निकाले गए निष्कर्ष ग़लत ही साबित होंगे।

(7) संकेत - काग़ज़ के आकार तथा प्रदर्शित किए जाने वाले समंकों की प्रकृति के आधार पर मापदण्ड का उल्लेख चित्र के एक कोने में आवश्यक रूप से होना चाहिए। चित्र में प्रयोग किये गए रंगों अथवा चिह्नों द्वारा दर्शाए गए तथ्यों को भी चित्र के ऊपर एक कोने में विशेष तौर पर दर्शाया जाना चाहिए। चित्रों के स्पष्टीकरण के लिए संकेत देना अत्यंत आवश्यक होता है।

(8) सरलता - चित्र बहुत सरल होना चाहिए। वह इसलिए ताकि एक सामान्य व्यक्ति जिसे गणित या सांख्यिकी का ज्ञान नहीं है वह भी उसे आसानी से समझ सके। यदि किसी चित्र में बहुत अधिक तथ्यों को प्रदर्शित करके उसे जटिल बना दिया जाए तो निष्कर्ष ग़लत निकलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

उम्मीद है आपने इस अंक के माध्यम से चित्र संरचना के सामान्य नियम (chitra sanrachna ke samanya niyam) को भलीभांति जान लिया होगा। अर्थशास्त्र में ऐसे ही महत्वपूर्ण टॉपिक्स पढ़ते रहने के लिए जुड़े रहिए हमारी वेबसाइट studyboosting के साथ।


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