किन किन परिस्थितियों में समांतर माध्य, माध्यिका और बहुलक की गणना उपयुक्त होती है?

उदाहरण देकर बताइए कि किन-किन परिस्थितियों में समान्तर माध्य, माध्यिका और बहुलक की गणना उपयुक्त होती है?

समान्तर माध्य, माध्यिका और बहुलक की गणना करना तब उपयुक्त हो सकता है जब सभी आइटमों के बीच एक समान्तर संबंध हो। तथा उन्हें कुछ सामान्य संख्यात्मक प्रॉपर्टी से जोड़ा जा सकता हो।




स्पष्ट रूप से देखा जाए तो केन्द्रीय प्रवृत्तियों के मार्गों का प्रयोग अलग-अलग परिस्थितियों में उपयुक्त होता है। समान्तर माध्य, माध्यिका और बहुलक की गणना के लिए उपयुक्त परिस्थितियां निम्नलिखित हैं -

(1) समान्तर माध्य - व्यवहार में समान्तर माध्य का अधिकतम प्रयोग किया जाता है। केवल उन परिस्थितियों को छोड़कर जिनमें किसी अन्य माध्य का विशेष प्रयोग हो, शेष सभी परिस्थितियों में समान्तर माध्य का प्रयोग किया जाना बेहतर होता है। आयात-निर्यात, उत्पादन, उपभोग आदि की केन्द्रीय स्थिति का विश्लेषण समान्तर माध्य के प्रयोग द्वारा ही सम्भव बनाया जा सकता है। यदि श्रेणी में मूल्यों का अलग-अलग महत्व हो, तो भारित समान्तर माध्य का प्रयोग किया जाना चाहिए। आर्थिक एवं सामाजिक समस्याओं के अध्ययन के लिए भी समान्तर माध्य का प्रयोग ज़्यादा बेहतर होता है।


(2) माध्यिका - माध्यिका एक स्थितिनुसार माध्य का रूप है। यह वितरक को मदों के आधार पर दो बराबर भागों में विभाजित करती है। इस प्रकार आधी आवृत्तियाँ माध्यिका के कम मूल्यों से व आधी आवृत्तियाँ माध्यिका से अधिक मूल्यों से सम्बन्धित होती है। अधिकांशतः माध्यिका का प्रयोग सामान्य जीवन में गुणात्मक क्षेत्रों में किया जाता है। औसत बुद्धि, औसत सुन्दरता, औसत छात्र आदि सभी धारणाएँ माध्यिका पर आधारित हैं। आज शिक्षा मनोविज्ञान आदि क्षेत्रों में जहाँ मदों को प्रत्यक्ष संख्यात्मक रूप में नहीं मापा जा सकता, वहाँ माध्यिका का प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है।


(3) बहुलक - बहुलक वह संख्या है जो एक वस्तु या संख्या समूह में सबसे अधिक बार आती है। यह ज्ञात करने के लिए कि श्रेणी में सबसे अधिक बार कौन सा मूल्य आता है, भूविष्ठक उचित माध्य ( Average ) है। कॉलर का माध्य आकार, प्रति व्यक्ति औसत उत्पादन आदि ज्ञात करने में भूयिष्ठ का ही प्रयोग किया जाता है। व्यापार, ऋतु विज्ञान एवं जीवशास्त्र में विभिन्न समस्याओं का अध्ययन करने के लिए भूमिष्ठक अधिक उत्तम है अतः केन्द्रीय प्रवृत्ति की विभिन्न मार्गों में से किसी एक माप का चयन सांख्यिकीय अनुसन्धान के पूर्व निश्चित उद्देश्य तथा माध्य के गुण-दोषों के आधार पर ही किया जाना चाहिए।

उम्मीद है अब आप जान चुके होंगे कि माध्य, माध्यिका और बहुलक की गणना करना कब उपयुक्त है? और भी अर्थशास्त्र संबंधी ऐसे ही महत्वपूर्ण टॉपिक्स पढ़ने के लिए जुड़े रहिये  StudyBoosting के साथ।


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