भुगतान संतुलन की प्रमुख मदों (घटकों) को समझाइये | Explain main items in the balance of payments in hindi

भुगतान संतुलन की प्रमुख मदों को भलीभाँति समझने से पहले आपको भुगतान संतुलन किसे कहते हैं? यह समझना होगा। दरअसल भुगतान संतुलन (बीओपी) एक प्रकार् का बयान है जो किसी भी अवधि के दौरान किसी देश के निवासियों और शेष दुनिया के बीच किए गए सभी मौद्रिक लेनदेन को रिकॉर्ड करता है। इस विवरण में व्यक्तियों, कंपनियों और सरकार द्वारा किए गए सभी लेन-देन शामिल हैं और अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए धन के प्रवाह की निगरानी में मदद करता है। आइये इसे दूसरे शब्दों में समझने का प्रयास करते हैं।


भुगतान संतुलन क्या है? ꘡ What is Balance of Payment (BOP) in hindi


भुगतान संतुलन


भुगतान-संतुलन यानि कि भुगतान-शेष का अर्थ, किसी भी देश विदेश की वस्तुओं के आयातों एवं निर्यातों और उनके मूल्यों के समस्त लेखा-जोखा होता है। विश्व के प्रत्येक देशों के बीच विभिन्न वस्तुओं के आयातों और निर्यातों के अलावा अन्य प्रकार के लेन देन भी किये जाते हैं उदाहरणार्थ- बीमा से सम्बंधित लेन देन, जहाजों का किराया, बैंकों से सम्बंधित शुल्क, ब्याज, लाभ का हिसाब, पूँजी के स्थानांतरण से सम्बंधित लेन देन व सेवाओं का पुरस्कार आदि। 

व्यापार संतुलन के अतिरिक्त जब अन्य सभी विदेशी लेन देन भी सम्मिलित कर लिए जाते हैं। तो वह भुगतान शेष अथवा भुगतान संतुलन Balance of payment (BOP) कहलाता है। इस प्रकार भुगतान संतुलन किसी देश में एक निश्चित समय में समस्त विदेशी लेन देन का विवरण होता है। भुगतान संतुलन के अंतर्गत शामिल की जाने वाली वस्तुओं के आयातों व निर्यातों को प्रमुख रूप से दो भागों में बंटा जाता है- (1) दृश्य आयात-निर्यात व (2) अदृष्य आयात निर्यात।  

(1) दृश्य आयात निर्यात- दृश्य आयात-निर्यात के अन्तर्गत उन वस्तुओं के आयात-निर्यात को शामिल किया जाता है। जिनका बंदरगाह में रखे गए रजिस्टर में लेखा जोखा रखा जाता है।इससे वर्ष भर में किये गए आयातों व निर्यातों के मूल्य प्राप्त किये जा सकते हैं। इसीलिए इसे दृश्य मदें भी कहा जाता है। इसमें केवल वस्तुओं के आयात-निर्यात को ही शामिल किया जाता है।


(2) अदृश्य आयात निर्यातअदृश्य आयात निर्यात के अन्तर्गत सेवाओं के आदान प्रदान को शामिल किया जाता है। ये सेवाएं हैं- बैंकिंग बीमा, विदेशों में शिक्षा चिकित्सा, पर्यटन, ब्याज तथा लाभांश, सैनिक सहायता, विदेशी दान, जुर्माने, मुआवज़े तथा अन्य प्रकार के हस्तांतरण से संबंधित आय का भुगतान, जिनका बंदरगाहों पर कोई लेखा-जोखा नहीं रखा जाता है। इस प्रकार अदृश्य मदों में सेवाओं एवं पूँजी में आयात-निर्यात को शामिल किया जाता है। 

भुगतान के संतुलन की संरचना | भुगतान संतुलन की मदें (Items of Balance of Payment in hindi)

उपरोक्त पंक्तियों में आपने जाना कि भुगतान संतुलन एक देश के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहते के सम्पूर्ण आर्थिक लेन-देनों का विवरण होता है। इसे दो भागों में बाँटा जा सकता है- चालू खाता व पूँजी खाता। भुगतान संतुलन के केवल चालू खाते में माल या वस्तुओं का आयात-निर्यात दृश्य मद होती हैं और शेष सभी मदें अदृश्य मदें कहलाती हैं। इन दोनों ही खातों की संरचना या मदें निम्नांकित हैं-


भुगतान संतुलन के चालू खातों की प्रमुख मदें | Items of Balance of Payment Current account in hindi


भुगतान संतुलन के चालु खतों की मदें

चालू खाता की मदें मुख्य रूप से निम्न रूप से शामिल की जाती हैं-

(1) वस्तुओं का आयात निर्यात- 
किसी भी देश के भुगतान संतुलन की यह सबसे प्रमुख मद होती है। इसके अंतर्गत वस्तुओं के आयात निर्यात को ही शामिल किया जाता है। कसे भुगतान संतुलन की दृश्य मद कहा जाता है। यदि कोई देश वस्तुुओं का निर्यात करता है। तो उसे विदेशों से भुगतान की प्राप्ति होती हैं। इसके विपरीत अगर वस्तुओं का आयात करता है तो उसके बदले उसे भुगतान संबंधित देश को करना पड़ता है।

(2) सेवाएँ- 
भुगतान संतुलन के अंतर्गत केवल वस्तुओं का आयात निर्यात ही नहीं होता बल्कि सेवाओं का आयात निर्यात भी शामिल किया जाता है। ये सेवाएं मुख्यतः तीन प्रकार से होती हैं। जैसे- (1) बैंक एवं बीमा कम्पनियों की सेवाएं, (2) विशेषज्ञों जैसे कि चिकित्सक, इंजीनियर, तकनीकी विशेषज्ञ आदि की सेवाएं। (3) शिक्षा एवं भ्रमण हेतु विदेश जाने वाले पर्यटकों के द्वारा उपभोग की जाने वाली सेवाएं। इस तरह की सेवाएं यदि निर्यात की जाए तो उसे 'अदृश्य निर्यात' कहा जाता है। लेकिन यदि इस तरह की सेवाओं का आयात किया जाए तो इसे 'अदृश्य आयात' कहा जाता है।

(3) ब्याज़ एवं लाभांश- 
यदि कोई व्यक्ति देश विदेशों में विनियोग करता है। तो उसे ब्याज़ तथा लाभांश के रूप में भुगतान प्राप्त होता है। उसके द्वारा प्राप्त इस भुगतान को लेनदारी पक्ष में दिखाया जाता है। इसके विपरीत विदेशी विनियोग के अंतर्गत जो भुगतान देश द्वारा विदेशों को किये जाते हैं, ऐसे भुगतान उस देश की देनदारी के अंतर्गत दिखाए जाते हैं।



(4) विदेश यात्रा-
जब किसी देश के नागरिक शिक्षा प्राप्त करने अथवा पर्यटन के लिए दूसरे देश जाते हैं तो वे उन देशों में अपने पर्यटन के दौरान व्यय करते हैं। तो वह व्य उनके देश के लिए देनदारी कहलाती है। लेकिन जिस देश मे वे भृमण यानि कि पर्यटन कर रहे होते हैं उन देशों के लिए वह व्यय लेनदारी कहलाता है।

(5) बीमा-
विभिन्न देशों की बीमा कंपनियां एक-दूसरे देश में बीमा का व्यवसाय करती रहती हैं। उनके इस व्यवसाय में जो भी बीमा प्रीमियम प्राप्त होता है उसे उनके देश की लेनदारी के रूप में गिना जाता है तथा बीमा के रूप में जो देश प्रीमियम देते हैं उनके लिए वह बीमा प्रीमियम, देनदारी के अंतर्गत गिना जाता है।

(6) परिवहन-
ऐसी परिवहन कंपनियां, जो यात्रियों या माल को एक देश से दूसरे देशों में लेकर जाती हैं। तब वे कम्पनियां आय अर्जित करती हैं। उनकी वह आय उनके देश के लिए लेनदारी कहलाती है। इसके विपरीत जिन देशों से ये कंपनियां अपनी सेवा के बदले भुगतान प्राप्त करती हैं। वह भुगतान, उन समस्त भुगतान करने वाले देशों के लिए देनदारी के अंतर्गत गिना जाता है।

(7) हस्तांतरण भुगतान-
सामान्यतया एक देश को दूसरे देश में सरकारी अथवा निजी स्तर पर नियमित रूप से कुछ राशियां हस्तांतरित करनी होती है। ये राशियाँ संबंधित देश की लेनदारियों तथा देनदारियों में शामिल कर लिए जाते हैं।

(8) भूल-चूक-
उपर्युक्त समस्त मदों के अलावा किसी किन्ही अन्य विशेष मदों से कोई आय अथवा व्यय भूलवश शामिल होने से चूक जाती है। तब ऐसी परिस्थिति में उसे भूल-चूक में शामिल कर लिया जाता है। चालू खाते की लेनदारियों व देनदारियों का योग कर लिया जाता है। जो भी अंतर आता है उसे चालू खाते का भुगतान संतुलन मान लिया जाता है।


भुगतान संतुलन के पूँजी खातों की प्रमुख मदें | Items of Balance of Payment Capital account in hindi

भुगतान संतुलन के पूंजी खतों की मदें

पूँजी खातों में शामिल की जाने वाली प्रमुख मदें निम्नलिखित हैं-

(1) ऋण की सुविधा -
प्रायः सार्वजनिक उद्योगो एवं निजी उद्योगों के विकास के लिए विदेशों से राशियाँ उधार ली जाती हैं। जो देश राशि राशि उधर देता है उसकी वह देनदारी होती है। तथा जो देश उधर लेता है यानि कि जिसे उधार की राशि प्राप्त होती है उसके लिए वह लेनदारी कहलाती है। 

(2) विनियोग को प्रोत्साहन - 
जब किसी देश को अपना भुगतान संतुलन अपने पक्ष में लाना हो तब वह देश अपने विकास के लिए दूसरे देशों को अपने देश में विनियोजन हेतु प्रोत्साहित करता है। यानि कि विनियोग हेतु विदेशी पूंजी को प्रोत्साहित करता है। पूँजी का यही विनियोजन, पूँजी प्राप्त करने वाले देश के लिए लेनदारी तथा पूँजी का विनियोग करने वाले देश के लिए देनदारी कहलाता है।
 


(3) बैंकिंग सौदे -
बैंकों के द्वारा अधिकांशतः दूसरे देशों में अग्रिम विनिमय का क्रय-विक्रय किया जाता है। कभी-कभी लाभ प्राप्ति की दृष्टि से मूल्यान्तर के सौदे भी करते हैं। सौदों से सम्बंधित यही प्रविष्टियाँ उन देशों की लेनदारियाँ व देनदारियाँ कहलाती हैं।  

(4) स्वर्ण का आयात-निर्यात -
भुगतान संतुलन के अंतर्गत चालू खाते और पूँजी खाते के कुल लेनदेनों का सम्पूर्ण योग करने के बाद जो भी अंतर प्राप्त होता है। उसे पूरा करने के लिए स्वर्ण का आयात अथवा निर्यात किया जाता है। उस वर्तमान समय में स्वर्ण कोष न होने की वजह से विदेशों से ऋण विनियोग पूँजी प्राप्त करके भुगतान संतुलन को संतुलित कर लिया जाता है। दरअसल इन्हीं लेनदारी तथा देनदारियों को दिखाने के बाद भुगतान संतुलन को अंत में संतुलित किया है।

उम्मीद है आपको हमारा यह लेख "भुगतान संतुलन की प्रमुख मदों (घटकों) को समझाइये | Explain main items in the balance of payments in hindi" आपके अध्ययन में अवश्य ही सहायक साबित होगा। आशा है आप इस जानकारी को अपने दोस्तों को ज़रूर Share करेंगे। अपने सुझाव आप कमेंट्स बॉक्स में दे सकते हैं।

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