स्थिर विनिमय दर किसे कहते हैं, स्थिर विनिमय दर के पक्ष-विपक्ष में तर्क, स्थिर विनिमय दर के गुण एवं दोष, लोचपूर्ण विनिमय दर किसे कहते हैं, लोचपूर्ण विनिमय दर के पक्ष विपक्ष में तर्क, तैरती या परिवर्तनशील विनिमय दर क्या है, लोचशील विनिमय दर के गुण एवं दोष, स्थिर व लचीली विनिमय दर में अंतर, स्थिर और परिवर्तनशील विनिमय दर में अंतर स्पष्ट कीजिए।
आप जानते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार जगत में वस्तुओं एवं सेवाओं के अंतिम भुगतान के रूप में एक निश्चित विनिमय दर की आवश्यकता होती है। इसलिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में विदेशी विनिमय दर का निर्धारण किया जाता है। जो कि विदेशी विनिमय की मांग व पूर्ति पर आधारित होती है।
एक विशेष बात यह है कि विदेशी विनिमय बाज़ार में एक विशेष समय पर केवल एक ही विशेष दर विद्यमान नहीं होती हैं, बल्कि करेंसियों के हस्तांतरण में प्रयुक्त साख यंत्रों के आधार पर विभिन्न प्रकार की दरें देखी जाती हैं। इस अंक में हम विदेशी विनिमय दर के 2 प्रकारों, स्थिर विनिमय दर एवं लोचपूर्ण विनिमय दर के बारे में जानने वाले हैं।
हालांकि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं आर्थिक विकास हेतु इनमें से कौन सी विनिमय दर ज्यादा उपयुक्त है इस पर अर्थशास्त्रियों ने इनके पक्ष विपक्ष में अनेक तर्क दिए हैं। आइए हम स्थिर विनिमय दर तथा लोचपूर्ण विनिमय दर को समझते हुए इनके पक्ष एवं विपक्ष में दिए गए तर्कों का अध्ययन भी करते हैं।
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स्थिर विनिमय दर (Fixed Rate of Exchange)
स्थिर विनिमय दर (sthir vinimay dar) के अंतर्गत मुद्रा की क़ीमत एक निश्चित स्तर पर ही होती है। अर्थात इसकी एक नियत क़ीमत होती है। यानि कि इस दर का निर्धारण किसी देश के विनिमय की मांग एवं पूर्ति के आधार पर नहीं की जाती है।
स्थिर विनिमय दर का अर्थ - "जब विनिमय दर का निर्धारण सरकार के द्वारा किया जाता है तो उसे स्थिर विनिमय दर (sthir vinimay dar) कहते हैं।"
स्थिर विनिमय दर के पक्ष में तर्क | स्थिर विनिमय दर के गुण
स्थिर विनिमय दर के पक्ष में दिए गए तर्क (sthir vinimay dar ke gun) निम्नलिखित हैं -
(1) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन -
स्थिर विनिमय दर के अंतर्गत आयातकर्ता एवं निर्यातकर्ता को इस बात की जानकारी रहती है कि कितना भुगतान करना है तथा कितना भुगतान प्राप्त होगा। अतः स्थिर विनिमय दर में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संतुलित रुप से विकसित होता है। उसमें जोख़िम की भावना नहीं होती है।
(2) विनिमय व्यवस्था -
यदि किसी देश की विनिमय दर स्थिर है तो उस देश में सट्टेबाजी जैसी आदतों को अनावश्यक प्रोत्साहन नहीं मिलता है। जिसका परिणाम यह होता है कि उस देश की सरकार पर किसी प्रकार के विनिमय नियंत्रण या प्रबंध व्यवस्थाएं क्रियान्वित करने का दबाव नहीं होता है।
(3) निर्यातक देशों के लिए आवश्यक -
जिन देशों की राष्ट्रीय आय का अधिकांश भाग निर्यातों से ही प्राप्त होता है, जैसे- इंग्लैंड, डेनमार्क, जापान,
इत्यादि उनके लिए विनिमय दर में स्थायित्व अत्यधिक आवश्यक है। ऐसा न होने पर देश के निर्यातों को नुक़सान होगा तथा विकास अवरुद्ध हो जाएगा।
(4) पूँजी निर्माण -
विदेशी विनिमय दर में स्थिरता के फलस्वरूप देश में आंतरिक क़ीमत स्तर पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ता है।मुद्रा स्फीति का भय नहीं रहता है। उद्योगों में पूंजी की मांग बढ़ती है एवं इसकी आपूर्ति हेतु बचत बढ़ती है। इस प्रकार पूँजी निर्माण की दर बढ़ती है तथा देश का आर्थिक विकास होता है।
स्थिर विनिमय दर के विपक्ष में तर्क | स्थिर विनिमय दर के दोष
स्थिर विनिमय दर के विपक्ष में दिए गए तर्क (sthir vinimay dar ke dosh) निम्नलिखित हैं -
(1) नियंत्रित अर्थव्यवस्था -
स्थिर विनिमय दर को बनाए रखना तभी संभव होता है, अर्थव्यवस्था में अनेक कठोर नियंत्रण लगा।सकना संभव हो। यदि ऐसा कर पाना संभव न हो तो विनिमय दर में परिवर्तन करना ही होता है।
(2) आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव -
स्थिर विनिमय दर का प्राथमिक उद्देश्य इसमें स्थिरता को बनाये रखना होता है और राष्ट्रीय आय, रोज़गार नीति, मूल्य-स्तर जैसे राष्ट्रीय उद्देश्यों को गौण मान लिया जाता है।
(3) भ्रष्टाचार का फैलना -
स्थिर विनिमय दर को बनाये रखने के लिए सरकार द्वारा देश के विभिन्न क्षेत्रों में नियंत्रण लगाये जाते हैं जिस कारण भ्रष्टाचार की अपार संभावनाएं उत्पन्न हो जाती हैं।
(4) विनिमय दर में आकस्मिक परिवर्तन -
विनिमय दर को स्थिर रखने के प्रयत्न में जब देश की मुद्रा दुर्बल हो जाती है तो उसका अवमूल्यन करना आवश्यक हो जाता है। सामान्य दर का आभास न होने की दशा में अवमूल्यन कभी कभी अधिक भी हो जाता है। जिसका विदेशी व्यापार तथा भुगतान संतुलन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
लोचपूर्ण विनिमय दर (Floating Rate of Exchange)
लोचपूर्ण विनिमय दर (lochpurn vinimay dar) में अन्य देश के हितों की अवहेलना करके अपने देश के लिए स्वतंत्र आर्थिक नीति अपनाई जा सकती है। इस विनिमय दर के अंतर्गत अर्थव्यवस्था में अधिक उच्चावचन होते हैं।
लोचपूर्ण विनिमय दर का अर्थ - "विदेशी मुद्रा बाजार में करेंसियों की माँग एवं पूर्ति के द्वारा जब विनिमय दर का निर्धारण किया जाता है तो ऐसी विनिमय दर को लोचपूर्ण विनिमय दर कहा जाता है।" इस विनिमय दर में होने वाले तीव्र परिवर्तन के कारण इसे तैरती विनिमय दर या लचीली विनिमय दर भी कहा जाता है।
• विदेशी विनिमय दर किसे कहते हैं? विदेशी विनिमय दर को प्रभावित करने वाले कारकों (तत्वों) को समझाइये।
लोचशील विनिमय दर के पक्ष में तर्क | लोचशील विनिमय दर के गुण
लोचपूर्ण विनिमय दर के पक्ष में दिए गए तर्क (lochpurn vinimay dar ke gun) निम्नलिखित हैं -
(1) भुगतान संतुलन में साम्य-
विनिमय दर, लोचपूर्ण होने की दशा में अन्य राष्ट्रीय हितों, जैसे- राष्ट्रीय आय, मूल्य स्तर आदि की उपेक्षा किये बिना भुगतान संतुलन में साम्य स्थापित करना संभव होता है।
(2) अधिमूल्यन एवं अवमूल्यन -
लोचपूर्ण विनिमय दर होने पर अपने देश की मुद्रा को विदेशी मुद्रा की तुलना में आसानी से बढ़ाया या घटाया जा सकता है। ऐसा करने से अर्थव्यवस्था में साम्य बनाये रखना संभव होता है।
(3) स्वतंत्र आर्थिक नीति -
विनिमय दर में लॉच होने के कारण कोई भी देश अपनी घरेलू आर्थिक नीतियां स्वतंत्रतापूर्वक बना सकता है।
(4) मौद्रिक नीति का स्वतंत्रता पूर्वक क्रियान्वयन -
लोचपूर्ण विनिमय दर की स्थिति में मौद्रिक नीति को स्वतंत्रतापूर्वक तथा प्रभावशाली ढंग से क्रियान्वित किया जा सकता है। नीति में परिवर्तन करके विनिमय दर को इस प्रकार परिवर्तित किया जा सकता है जिसमें क़ीमतों में स्थिरता आए, रोज़गार बढ़े तथा देश का आर्थिक विकास हो।
लोचपूर्ण विनिमय दर के विपक्ष में तर्क | लोचशील विनिमय दर के दोष
लोचपूर्ण विनिमय दर के विपक्ष में दिए गए तर्क (lochpurn vinimay dar ke dosh) निम्नलिखित हैं -
(1) प्रतिकूल आर्थिक प्रभाव -
लोचपूर्ण विनिमय दर होने पर व्यापारियों में अविश्वास की भावना का उदय होता है, जिसका विदेशी व्यापार के परिणाम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सट्टेबाजी की प्रवृत्तियों को बढ़ावा मिलता है, विनिमय दर में ह्रास होने पर मुद्रास्फीति बढ़ती है तथा इसमें रोज़गार के स्तर में गिरावट आती है।
(2) संसाधनों का अपव्यय -
विनिमय दर में बार-बार परिवर्तन होने पर संसाधनों का जल्दी-जल्दी पुनर्वितरण करना पड़ता है। कभी संसाधन निर्यात् उद्योगों में अधिक लगाये जाते हैं और कभी घरेलू उद्योगों में इसमें संसाधनों का अपव्यय होता है।
(3) भुगतान संतुलन पर प्रतिकूल प्रभाव -
भुगतान संतुलन में साम्य बनाये रखने के उद्देश्य से लोचपूर्ण विनियम दर पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है। यदि विनिमय दर में एक दिशा में परिवर्तन होता है तो यह अनुमान लगाया जाता है कि उसी दिशा में और भी परिवर्तन होगा। इससे सट्टे की क्रियाओं को प्रोत्साहन मिलता है तथा भुगतान-संतुलन में असाम्य की दशा उत्पन्न हो जाती है।
(4) विकासशील देशों के लिए अनुपयुक्त -
विकासशील देशों को विदेशों से बड़ी मात्रा में पूँजी व तकनीक का आयात करना होता है। इसके लिए आवश्यक है कि विनिमय दरों में स्थिरता बनी रहे। ऐसा न होने पर इनके योजना प्रयासों तथा वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
पक्ष एवं विपक्ष के रूप में उपरोक्त तर्कों के अनुसार यह कहा जा सकता है कि स्थिर तथा लोचपूर्ण दोनों ही विनिमय दरों के अपने-अपने गुण- दोष हैं। इनमें कौन-से अधिक उपयुक्त हैं, इसका निर्णय देश की आर्थिक दशा तथा परिस्थितियों के आधार पर ही किया जा सकता है।
फ़िर भी सामान्य तौर पर कहा जाए तो वह विनिमय दर सर्वोत्तम कही जा सकती है जिसमें दोनों के ही गुणों का समावेश हो। अतः साम्य बिन्दु पर विनिमय दर को स्थिर रखा जाये तथा परिस्थितियों में परिवर्तन होने पर इसे भी परिवर्तित कर दिया जाये।
स्थिर विनिमय दर तथा लोचपूर्ण विनिमय दर में अंतर (Difference between Fixed Exchange Rate and Floating Exchange Rate in hindi)
स्थिर विनिमय दर एवं लोचपूर्ण विनिमय दर में अंतर (sthir vinimay dar evam lochpurn vinimay dar me antar) निम्न हैं -
स्थिर विनिमय दर | लोचशील विनिमय दर |
---|---|
1. यह एक ऐसी विनिमय दर है जिसे देश के मौद्रिक अधिकारी निर्धारित करते हैं। | 1. यह एक ऐसी विनिमय दर है जिसे मांग एवं पूर्ति द्वारा निर्धारित किया जाता है। |
2. स्थिर विनिमय दर पर्याप्त समय तक स्थिर रहती है। | 2. लोचशील विनय दर तीव्र गति से परिवर्तित होती है। |
3. स्थिर विनिमय दर होने पर अर्थव्यवस्था में किसी प्रकार के उतार चढ़ाव नहीं आते। | 3. लोचपूर्ण विनिमय दर होने पर अर्थव्यवस्था में अधिक उतार चढ़ाव देखने मिलते हैं। |
4. यह दर इस समय किसी भी अर्थव्यवस्था में विद्यमान नहीं है। | 4. यह दर लगभग सभी देशों में प्रचलित है। भारत में भी यही दर प्रचलन में है। |
5. इस विनिमय दर में अधिमूल्यन या अवमूल्यन संभव नहीं है। | 5. इस विनिमय दर में अधिमूल्यन या अवमूल्यन दोनों ही संभव हैं। |
उम्मीद है इस अंक में आपने स्थिर विनिमय दर तथा लोचपूर्ण विनिमय दर (Fixed Exchange rate and Floating Exchange rate) के बारे में अच्छी तरह जान लिया होगा। आशा है यह अंक आपके अध्ययन में अवश्य ही सहायक साबित होगा।
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