सुनामी से क्या तात्पर्य है - सुनामी के कारण एवं प्रभाव, सुनामी से बचने के 10 उपाय, (Tsunami prevention measures in hindi, damage caused by tsunami in hindi, tsunami ke pramukh karan)
सुनामी एक ऐसी घटना है जिसमें पानी में उछाल के साथ बड़ी बड़ी और मज़बूत और ऊंची ऊंची लहरों की एक श्रृंखला कई कई मीटर की ऊँचाई तक पहुँच जाती है। यह एक प्राकृतिक आपदा है जो समुद्र तल में ज्वालामुखी, भूकंप या भूस्खलन के कारण उत्पन्न होती है।
सुनामी अक्सर भूकंप के कारण समुद्र तल में होने वाली हलचल के कारण उत्पन्न होती है। भूस्खलन, भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट और यहाँ तक कि उल्कापिंड भी सुनामी उत्पन्न कर सकते हैं। जब कोई बड़ा भूकंप महसूस किया जाता है, तो चेतावनी जारी होने से पहले ही सुनामी कुछ ही मिनटों में समुद्र तट तक पहुँच सकती है।
Table of Contents1.1. सुनामी के प्रभाव1.3 सुनामी के कारण
सुनामी क्या है (Tsunami kya hai?) | सुनामी का अर्थ
समुद्र के नीचे भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, पानी के नीचे या तटीय भाग पर भूस्खलन वगैरह की वजह से उठने वाली विशाल लहरों को सुनामी (Tsunami) कहा जाता हैं। सुनामी शब्द जापानी भाषा के दो शब्दों 'त्सू' और 'नामी' से मिलकर बना है. जहां 'त्सू' का मतलब है बंदरगाह और 'नामी' का मतलब है लहर। यानि कि सुनामी का मतलब "बंदरगाह की लहरें" होता है। सुनामी को ज्वारीय लहरें भी कहा जाता है।
सामान्य तौर में देखा जाए तो सुनामी एक प्राकृतिक आपदा है जो तब उत्पन्न होती है जब समुद्र में अचानक से जलस्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है जिस कारण समुद्र की लहरें तेज़ गति से तटवर्ती इलाकों की ओर बढ़ने लगती हैं। यह स्थिति सामान्यतः समुद्र के भीतर भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन या किसी अन्य भारी बाहरी दबाव के कारण उत्पन्न होती है।
शुरुआत में, ये ज्वारीय लहरें समुद्र की गहराई में छोटी होती हैं लेकिन उथले पानी में पहुँचने के बाद ये सौ फ़ीट तक बढ़ सकती हैं। यानि कि समुद्र के किनारे पर आकर ये लहरें बहुत ज्यादा ऊंची और दैत्याकार हो जाती हैं।
सुनामी के प्रभाव (Effects of tsunami in hindi)
दूसरी प्राकृतिक आपदाओं की तुलना में सुनामी के प्रभाव को कम करना कठिन है क्योंकि इससे होने वाले नुक़सान का पैमाना बहुत बड़ा है। सुनामी का सबसे बड़ा असर तटवर्ती क्षेत्रों पर होता है। ये लहरें तटीय के इलाकों में पानी भर देती हैं, जिससे मानव जीवन, संपत्ति और प्राकृतिक पर्यावरण को भारी नुक़सान पहुंचता है। सुनामी के कारण सड़कों, इमारतों, पुलों और अन्य बुनियादी ढांचों का विनाश हो जाता है। कृषि भूमि और पीने का पानी भी प्रदूषित हो जाता है, जिससे दीर्घकालिक प्रभाव उत्पन्न होते हैं।
सुनामी का बेहद विध्वंसक प्रभाव 26 दिसंबर, 2004 में हिंद महासागर में देखा गया था, जिसके परिणामस्वरूप भारत, इंडोनेशिया, थाईलैंड और श्रीलंका सहित कई देशों में लाखों लोग असमय काल के गर्त में समा गए थे। और हजारों लोगों को बेघर कर दिया था। इस आपदा के बाद भारत ने अंतराष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सुनामी चेतावनी तंत्र में शामिल होने का फैसला लिया।
पहली दर्ज की गई सुनामी 2000 ईसा पूर्व में सीरिया के तट पर आई थी। 1900 (भूकंपों की शुरुआत) के बाद से, अधिकांश सुनामी जापान, पेरू, चिली, न्यू गिनी और सोलोमन द्वीप में उत्पन्न हुई हैं।
महासागर में जल तरंग की गति जल की गहराई पर निर्भर करती है। समुद्री जल तरह की गति उथले समुद्र में ज़्यादा और गहरे समुद्र में कम होती है। इसलिए महासागरों के अंदरुनी भाग इससे ज़रा कम ही प्रभावित होते हैं। तटीय क्षेत्रों में ये तरंगे ज़्यादा प्रभावी होती हैं और व्यापक नुकसान पहुँचाती हैं। इसलिए समुद्र में जलपोत पर, सुनामी का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता।
समुद्र के आंतरिक गहरे भाग में तो सुनामी महसूस भी नहीं होती। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गहरे समुद्र में सुनामी की लहरों की लंबाई अधिक होती है और ऊँचाई कम होती है। इसलिए, समुद्र के इस भाग में सुनामी जलपोत को एक या दो मीटर तक ही ऊपर उठा सकती है और वह भी कई मिनट में।
इसके विपरीत, जब सुनामी, उथले समुद्र में प्रवेश करती है, इसकी तरंग लंबाई कम होती चली जाती है, परिणाम यह होता है कि इसकी ऊँचाई बढ़ती जाती है। यहां तक कि इसकी ऊँचाई 15 मीटर या इससे भी अधिक हो सकती है जिस कारण तटीय क्षेत्र भीषण विनाश की चपेट में आ जाते हैं।
समुद्र में लहर की गति पानी की गहराई पर निर्भर करती है। यह समुद्र की गहराई की तुलना में उथले पानी में अधिक होती है। इसके परिणामस्वरूप, सुनामी का प्रभाव तट के पास अधिक और समुद्र के ऊपर कम होता है। इसलिए इन्हें उथले जल की तरंगें भी कहते हैं। सुनामी आमतौर पर प्रशांत महासागरीय तट पर, जिसमें अलास्का, जापान, फिलिपाइन, दक्षिण-पूर्व एशिया के दूसरे द्वीप, इंडोनेशिया और मलेशिया तथा हिंद महासागर में म्यांमार, श्रीलंका और भारत के तटीय भागों में आती है।
सुनामी की विशेषताएँ (Characteristics of a tsunami in hindi)
सुनामी की प्रमुख विशेषताएं (tsunami ki visheshtayen) निम्नलिखित हैं -
1. सुनामी पृथ्वी पर सबसे कम बार आने वाली आपदाओं में से एक है और उनमें से अधिकांश छोटी और गैर-विनाशकारी होती हैं।
2. उच्च गति : सुनामी की लहरें बहुत तेज़ गति से चलती हैं, जो कि 500 मील (800 किलोमीटर) प्रति घंटे की रफ़्तार से चलती है। यह गति हवाई जहाज़ की गति के बराबर होती है।
3. लंबी तरंग दैर्ध्य : गहरे पानी में सुनामी लहरों की तरंगदैर्ध्य बहुत लंबी होती है, जिससे ये सामान्य समुद्री लहरों से अलग होती हैं। सामान्यतः इसकी लहरें समुद्र में 100 से 200 किलोमीटर तक की लंबाई की हो सकती हैं। जब सुनामी उथले पानी में प्रवेश करती है, तो इसकी तरंगदैर्घ्य कम हो जाती है और अवधि अपरिवर्तित रहती है, जिससे लहरों की ऊंचाई बढ़ जाती है।
4. ऊँचाई : सुनामी के तट पर पहुंचने पर इनकी ऊँचाई बहुत बढ़ जाती है, जो कई मीटर ऊँची हो सकती है। कुछ सुनामी लहरें (100 फीट) 30 मीटर तक ऊंची हो सकती हैं, जो बड़े पैमाने पर तबाही का कारण बनती हैं।
5. इसमें आम तौर पर तरंगों की एक श्रृंखला होती है, जिसकी अवधि मिनटों से लेकर घंटों तक होती है। ये तरंगें भूकंप से नहीं बल्कि झटकों से उत्पन्न होती हैं।यह उद्गम स्थल से सभी दिशाओं में फैलती है और पूरे महासागर को कवर करती है।
6. सुनामी का कोई मौसम नहीं होता और सभी सुनामी एक जैसी क्रिया नहीं करती हैं। यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि यह कहाँ, कब और कितना विनाशकारी होगा। एक स्थान पर एक छोटी सुनामी कुछ मील दूर बहुत बड़ी हो सकती है।
7. एक अलग सुनामी अलग-अलग तटों को अलग-अलग तरीके से प्रभावित कर सकती है। सुनामी किसी भी समय किसी भी समुद्री तट पर हमला कर सकती है। वे तटीय समुदायों के लिए एक बड़ा ख़तरा पैदा करते हैं। सुनामी का प्रभाव तभी होगा जब भूकंप का केंद्र समुद्री जल से नीचे हो और परिमाण पर्याप्त रूप से अधिक हो।
8. सुनामी लहरों की ऊंचाई समुद्र की गहराई में ज़्यादा नहीं बढ़ती, लेकिन जैसे-जैसे ये लहरें किनारे की ओर बढ़ती हैं, उनकी ऊंचाई बढ़ती जाती है।
सुनामी का कारण (Cause of tsunami in hindi)
सुनामी के मुख्य कारण समुद्र के भीतर उत्पन्न भूकंप हैं। जब समुद्र की सतह के नीचे पृथ्वी की परतों में हलचल होती है, तो समुद्र की सतह पर दबाव उत्पन्न होता है, जिससे बड़े पैमाने पर जल की लहरें उत्पन्न होती हैं। इन लहरों में बहुत अधिक ऊर्जा होती है और ये कई किलोमीटर तक फैल सकती हैं। भूकंप के अलावा, ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन, और यहां तक कि उल्का पिंड का समुद्र में गिरना भी सुनामी का कारण बन सकता है।
सुनामी के प्रमुख कारण (sunami ke pramukh karan) निम्नलिखित हैं :
1. भूकंप : समुद्र तल के नीचे टेक्टोनिक प्लेटों के अचानक खिसकने या भूकंप के कारण समुद्र में बड़ी लहरें उत्पन्न होती हैं। यह सुनामी का सबसे आम कारण है। जब प्लेटों के बीच तनाव बढ़ता है और वे अचानक विस्थापित होती हैं, तो समुद्र का तल ऊपर या नीचे उठ जाता है, जिससे पानी की लहरें बनती हैं।
2. ज्वालामुखी विस्फोट : समुद्र के नीचे या किनारे पर स्थित ज्वालामुखियों के विस्फोट से भी सुनामी उत्पन्न हो सकती है। विस्फोट के कारण बड़ी मात्रा में लावा और चट्टानें समुद्र में गिरती हैं, जिससे पानी का स्तर बढ़ता है और लहरें उठती हैं।
3. भूस्खलन : समुद्र के किनारे या समुद्र के नीचे बड़े पैमाने पर भूस्खलन होने से भी पानी की लहरें उत्पन्न हो सकती हैं। चट्टानों और मिट्टी के अचानक गिरने से समुद्र में हलचल होती है, जिससे लहरें उठती हैं।
4. बड़े उल्का पिंड का टकराना : यदि किसी बड़े उल्का पिंड का समुद्र में टकराव होता है, तो उससे भी बड़ी लहरें उत्पन्न हो सकती हैं। हालांकि, यह एक दुर्लभ कारण है, लेकिन इससे बहुत विनाशकारी सुनामी हो सकती है।
उपरोक्त सभी घटनाएँ समुद्र में पानी की बड़ी मात्रा को विस्थापित करती हैं, जिससे तेज़ी से फैलने वाली लहरें बनती हैं और ये तटों तक पहुँचकर विनाशकारी सुनामी का रूप ले लेती हैं।
सुनामी से बचने के उपाय (Tsunami prevention measures in hindi)
सुनामी से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं -
1. सतर्कता और जानकारी :
यदि आप समुद्र के किसी तटीय क्षेत्र में रहते हैं, तो हमेशा मौसम विभाग और चेतावनी प्रणाली से जुड़े रहें। सुनामी के संकेत या चेतावनी को गंभीरता से लें। समुद्री इलाकों से जुड़ी किसी भी प्रकार की हलचल या जानकारी से अपडेट रहें। ताकि किसी भी अनहोनी से बचने का तरीक़ा अविलंब अपनाया जा सके।
2. सुनामी चेतावनी प्रणाली का पालन करें :
सुनामी से बचाव के लिए समुद्र तटीय क्षेत्रों में सुनामी चेतावनी प्रणाली का विकास किया गया है। वैज्ञानिक उपकरणों जैसे सिस्मोग्राफ और उपग्रह डेटा का उपयोग कर संभावित सुनामी का पूर्वानुमान लगाया जाता है ताकि समय से पहले अलर्ट जारी किया जा सके। इसलिए तटीय क्षेत्रों में स्थापित सुनामी चेतावनी प्रणाली को पहचानें और इसका पालन करें।
3. ऊंचे और सुरक्षित स्थानों की पहचान करें :
चेतावनी वाला अलार्म बजते ही ऊंची जगहों पर पहुँचने की कोशिश करें। असुविधा से बचने के लिए अपने घर, स्कूल या अपने कार्यस्थल के आसपास ऊंचाई वाले सुरक्षित स्थानों की पहचान पहले से ही कर लें।
4. भूकंप के बाद विशेष ध्यान दें :
यदि समुद्र से लगे तटीय क्षेत्रों में तेज़ भूकंप महसूस हो तो सुनामी आने की संभावना हो सकती है। ऐसे में तुरंत ऊंचे स्थान पर जाने का प्रयास करें। ताकि अलर्ट किए जाने की स्थित में अविलंब सुरक्षित स्थानों की ओर आसानी से पहुंचा जा सके।
5. आपातकालीन बैग तैयार रखें :
एक आपातकालीन बैग में खाने-पीने की चीज़ें, पानी, प्राथमिक उपचार, टॉर्च, ज़रूरी दवाएं, नक्शा और आपातकालीन संपर्क से जुड़ी जानकारी रखें।
6. परिवार के साथ योजना बनाएं :
परिवार के हर सदस्य को आपातकालीन निकासी योजना और तय मिलन स्थल के बारे में बताएं। सभी को पता होना चाहिए कि आपदा के समय क्या करना है और सभी को कहां जाकर मिलना है।
7. जल्दी से बाहर निकलें :
सुनामी की चेतावनी मिलने पर घर या भवन के ऊपरी हिस्सों या ऊंचे स्थानों की ओर जाएं। कार में न बैठें क्योंकि ऐसी परिस्थिति में चारों तरफ़ ट्रैफिक जाम होने की संभावना ज़्यादा होती है।
9. सुनामी के तुरंत बाद वापस न लौटें :
सुनामी के बाद तुरंत वापस न लौटें, क्योंकि कुछ घंटों बाद दूसरी लहरें भी आ सकती हैं। जब सक्रिय व स्थानीय प्रशासन से मंजूरी मिलने के बाद ही घर लौटें।
10. सुनामी शिक्षा और ड्रिल में भाग लें :
तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भी जागरूकता अभियान चलाकर शिक्षित किया जाता है ताकि सुनामी के ख़तरे के समय वे सुरक्षित स्थानों पर पहुंच सकें। इसलिए सामुदायिक सुनामी ड्रिल और सुनामी आपदा प्रबंधन संबंधी कार्यक्रमों में भाग लेकर अपनी तैयारी को बेहतर से बेहतर बनाने का प्रयास करें।
निष्कर्ष (Conclusion)
सुनामी (tsunami) एक भयंकर प्राकृतिक आपदा है। जिसका प्रभाव भी बेहद विनाशक होता है। यदि आप ख़तरनाक क्षेत्र में हैं, तो तुरंत सभी पानी, गैस और बिजली बंद कर दें और तुरंत ऊंची जगह पर चले जाएं। याद रखें कि एक बार सुनामी की चेतावनी जारी हो जाने के बाद, लहरों के आने में कुछ ही मिनट या कुछ सेकंड का समय लग सकता है। यदि सुनामी की चेतावनी जारी हो जाए तो लहरों को आते देखने के लिए कभी भी समुद्र तट पर न जाएं। बल्कि समय से पहले ही सुनामी से बचने के तमाम उपायों के बार में सोचें।
उम्मीद है इस अंक के ज़रिए आप सुनामी किसे कहते हैं? इसके कारण, प्रभाव व बचाव के उपाय क्या हैं? अच्छी तरह जान चुके होंगे। यदि आप समुद्र तट वाले इलाक़े में निवास करते हैं तो हम आशा करते हैं कि सुनामी के बारे में जानने के बाद आप सुनामी से बचने के उपायों को ज़रूर महत्व देंगे।
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