जैविक खेती किसे कहते हैं? | Organic Farming in hindi | Advantages of Organic Farming in hindi

आप सभी अच्छी तरह जानते हैं कि सेहतमंद बने रहने के लिए बेहद ज़रूरी होता है संतुलित आहार। लेकिन आज के दौर में रासायनिक उर्वरकों की मदद से तैयार किये गए फल सब्ज़ी व अनाज हमारी सेहत पर लगातार नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। ऐसे में अत्यंत ही आवश्यक हो जाता है कि हम अपने साथ-साथ आने वाली पीढ़ी को भी जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित करें। हमारे साथ अंत तक बने रहिये। हम आपके साथ जैविक खेती (कृषि) के बारे में विस्तृत चर्चा करने वाले हैं।


जैविक खेती किसे कहते हैं?

चीते की रफ़्तार से बढ़ती हुई जनसंख्या पूरे विश्व के लिए आज एक गंभीर समस्या बन गयी है। साथ ही इन सभी के लिए भोजन की पूर्ति करने के लिए एक होड़ सी मची हुई है। अधिक से अधिक उत्पादन करने के लिए अनेक तरह के रासायनिक खाद, ज़हरीले कीटनाशकों के प्रयोग, प्रकृति के जैविक व अजैविक दोनों ही पहलुओं को बुरी तरह प्रभावित करते हैं। फलस्वरूप भूमि की उर्वरा शक्ति, प्रदुषित वातावरण व मनुष्य के स्वास्थ्य में गिरावट लगातार देखी जा रही है।


जैविक खेती और भारत (Organic Farming and India in hindi)


जैविक खेती क्यों ज़रुरी है?

भारतवर्ष में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि ही है। यानि कि कृषकों की आय का मुख्य साधन भी कृषि है। हरित क्रांति के समय से बढ़ती जनसंख्या और आय की दृष्टि से उत्पादन में वृद्धि करना नितांत आवश्यक है। जिसके चलते कम समय में अधिक उत्पादन करने के लिए अधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों का उपयोग किया जा रहा है। जिसमें लागत भी अधिक लगती है और भूमि, जल तथा वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। यहाँ तक कि खाद्य पदार्थ भी ज़हरीले हो रहे हैं। जब तक हमें जैविक खेती और पारंपरिक खेती के बीच अंतर समझ नहीं आएगा तब तक हम जैविक खेती क्यों जरूरी है? (jaivik kheti kyon aavashyak hai?) इस प्रश्न का जवाब नहीं जान पाएंगे।


अनुक्रम-
  • जैविक खेती और भारत
  • जैविक खेती क्या है?
  • जैविक खेती संबंधी भ्रांतियाँ
  • जैविक खाद्य की गुणवत्ता या विशेषताएँ
  • जैविक कृषि (खेती) के लाभ
  • जैविक खेती की हानियाँ
  • जैविक खेती तथा पर्यावरण
  • जैविक खेती के सकारात्मक पक्ष
  • निष्कर्ष

इसीलिये इन समस्याओं से निपटने के लिए सरकार ने कुछ वर्षों से निरंतर व टिकाऊ खेती के सिद्धांत पर खेती करने की सिफ़ारिश की। जिसे प्रदेशों के कृषि विभाग ने इस तरह की खेती को अपनाने के लिए लगातार बढ़ावा दिया जिसे हम जैविक खेती के नाम से जानते हैं। भारत सरकार लगातार इस खेती को अपनाने के लिए प्रचार-प्रसार कर रही है।

वैसे भी विश्व में जैविक खाद्य (भोजन) का प्रचलन अब बढ़ता जा रहा है। अब तो अनेक देशों ने अपने उत्पादन का लगभग 10% उत्पादन जैविक खेती द्वारा ही उगाना शुरू कर दिया है। अनेक खुदरा और सुपर बाज़ारों ने भी अब जैविक प्रोडक्ट्स पर भरोसा जताना शुरू कर दिया है।

दरअसल भारत में परंपरागत कृषि (खेती) पूरी तरह रासायनिक उर्वरकों और विषजन्य कीटनाशकों पर आधारित हैं। ये विषाक्त तत्व हमारी खाद्य पूर्ति व जल स्रोतों में घुल जाते हैं। साथ ही हमारे पशुधन को हानि पहुंचाते हैं। और तो और इसके कारण मृदा की उर्वरता क्षीण हो जाती है। प्राकृतिक रूप से देखा जाए तो हमारे पर्यावरण पर भी इसका बहुत बुरा असर होता है। इन सबका बुरा असर हमारी प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ता है। अतः विकास के लिए यह ज़रूरी हो गया है कि पर्यावरण मित्र प्रौद्योगिकी विकास के हर सम्भव प्रयास किये जायें। इस तरह की प्रौद्योगिकी को ही 'जैविक खेती' कहा जाता है।


जैविक खेती क्या है? (What is Organic Farming in hindi)


जैविक खेती क्या है?


जैविक खेती (Jaivik kheti) एक धारणीय खेती प्रणाली है जो भूमि की दीर्घकालीन उपजाऊ शक्ति को बनाये रखती है तथा उच्च कोटि के पौष्टिक खाद्य का उत्पादन करने के लिए भूमि के सीमित संसाधनों का कम उपयोग करती है। यह जैविक तकनीकी का विकास, बहु विज्ञान, फ़सल प्रजनन, पशुपालन तथा पारिस्थितिक विज्ञान आदि के ज्ञान का ही सम्मिलित परिणाम है। 

जैविक कृषि में फ़सल चक्र, पशु खाद तथा कूड़ा खाद का उपयोग, यांत्रिक खेती तथा प्राकृतिक समन्वित नाशक कीट नियंत्रण का उपयोग किया जाता है। जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति को बनाये रखा जा सके। पौधों को उनकी ज़रूरत के अनुसार पोषक की पूर्ति की जा सके तथा कीड़े-मकोड़ों, खरपतवार तथा अन्य नाशक कीटों को नियंत्रित किया जा सके। इसमें कृत्रिम उर्वरक, कीटनाशक दवाइयाँ, संवृद्धि नियामक तथा पशु खाद्य योजक वर्जित होते हैं।

संक्षेप में 👉 "जैविक कृषि (Jaivik krishi), खेती करने की उस पद्धति को कहा जाता है जिसके अंतर्गत पर्यावरण के संतुलन को पुनः स्थापित करके उसका संरक्षण व संवर्धन किया जाता है।"

आज पूरे विश्व में सुरिक्षत आहार की पूर्ति बढ़ाने के लिए जैविक खेती से उत्पादित खाद्य पदार्थों की मांग में वृद्धि हो रही है।

दूसरे शब्दों में 👉 "जैविक खेती, कृषि की एक ऐसी विधि है जिसके अंतर्गत संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों का उपयोग निम्नतम किया जाता है। जिसके परिणामस्वरूप भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहती है। इस कृषि में फ़सल चक्र, हरी खाद, कंपोस्ट आदि का प्रयोग किया जाता है।"

प्राचीन काल में मनुष्य के स्वास्थ्य के अनुकूल तथा प्रकृति के अनुरूप ही खेती की जाती थी। जिसके फलस्वरूप जल, भूमि, वायु तथा पर्यावरणीय संतुलन बना रहता था। उस समय गौ-पालन भी किया जाता था। लेकिन यह भी समय के साथ कम होता चला गया। कृषि में रासायनिक खादों व कीटनाशकों का प्रयोग होना शुरू हो गया। जिसके परिणामस्वरूप जैविक व अजैविक पदार्थों के चक्र का संतुलन बिगड़ता गया और यह असंतुलन लगातार जारी
है। यह असंतुलन मानव जाति के लिए घातक बनता जा रहा है। 


जैविक खेती केे माध्यम से हम अब रासायनिक खादों, ज़हरीले कीटनाशकों के प्रयोग की जगह, जैविक खादों व दवाइयों का प्रयोग कर, अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। जिससे भूमि, जल एवं वातावरण शुद्ध बना रहेगा व मनुष्य के साथ-साथ धरती पर निवास कर रहे समस्त जीव भी स्वस्थ रह सकेंगे। परिणाम स्वरूप हम जैविक खेती के स्वास्थ्य लाभ (helth benefits of organic farming) लेने के क़ाबिल बन सकेंगे


जैविक खेती संबंधी भ्रांतियाँ (Myths and Fallacies about Organic Farming in hindi)


जैविक खेती

समाज में जैविक खेती (Jaivik kheti) संबंधी अनेक प्रकार की भ्रांतियाँ पाई जाती हैं, जो कि जैविक खेती और पारम्परिक खेती के बीच विशेष तौर पर देखी जाती हैं। इनमें से प्रमुख निम्नांकित हैं-

(1) रासायनिक खेती की तुलना में जैविक खेती का उत्पादन कम होनाऐसा माना जाता है कि जैविक खेती का उत्पादन, रासायनिक खेती की अपेक्षा कम होता है। रासायनिक खेती में उत्पादन, शुरुआत से ही काफी अधिक होने लगता है। जो कि यह सोचना ग़लत है।

(2) जैविक खेती मितव्ययी नहीं होती- लोगों का यह मानना भी ग़लत है। हालांकि जैविक खाद बनाने के लिए घासफूस से ढकने तथा कूड़ा खाद से ढकने की श्रम लागत अधिक होती है। फ़िर भी खेती की समग्र लागत प्रायः रासायनिक खेती से कम होती है।

(3) कूड़ा खाद का प्रयोग करने से आप पर्याप्त पौष्टिक कारकों की पूर्ति नहीं कर सकते- जैविक खेती में पौधों को भोजन देने की कोई अवधारणा नहीं है। बल्कि यहाँ प्रश्न, भूमि को भोजन खिलाने का है तथा उसे स्वस्थ तथा जीवित रखने का है। अधिकांश कार्य अनगिनत जीवों तथा सूक्ष्म जीवों, जो 'जीवित' भूमियों में पलते हैं, द्वारा सम्पन्न किया जाता है। जैविक खेती के अनेक प्रयोग यह सुनिश्चित करते हैं कि भूमि की उपजाऊ शक्ति सदैव बनी रहे।

(4) केवल बड़े किसानों को ही जैविक खेती से मौद्रिक लाभ प्राप्त होता है- ऐसा कहा जाता है कि जैविक बाज़ार केवल बड़े किसानों, जो संख्या में अल्प होते हैं, के लिए ही होता है। क्योंकि इन्हीं किसानों की विशिष्टीकरण बाज़ारों तक पहुंच होती है। जब तक लोग जागरूक नहीं होते, प्रत्येक जैविक किसान के लिए अपने उत्पादन के लिए ऊँचे दाम प्राप्त करना कठिन है।

पिछले कुछ वर्षों से निर्यात बाज़ार का विकल्प खुला है, किन्तु इसका लाभ केवल वे जैविक किसान उठा सकेंगे , जिनके पास जैविक खेती का प्रमाण-पत्र होगा। भारत में इस समय कुछ अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त एजेंसियां यह काम कर रही हैं। ये एजेंसियां जैविक खेतों के निरीक्षण करके उन्हें प्रमाण-पत्र जारी करती हैं।

(5) रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग न करना ही जैविक खेती है-
एक महत्त्वपूर्ण भ्रांति यह है कि रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों का प्रयोग न करना ही जैविक खेती है। किन्तु सही मायने में यह सोचना उपयुक्त नहीं है। जैविक खेती का संबंध भूमि के स्वास्थ्य को बनाये रखना है। यानि कि भूमि भोजन देना, ना कि पौधों को भोजन देना। श्रेष्ठतम उत्पादन, वह भी अनेक तकनीकों का प्रयोग करते हुए पर्यावरण के अनुकूल ढंग से प्राप्त करना है। सीधे शब्दों में कहें तो यह कि "यदि किसी कृषि को सफलतम रूप से करना हो तो भूमि को भोजन खिलाने की ज़िम्मेदारी स्वीकार करना ही जैविक खेती है।"



जैविक खाद्य की गुणवत्ता (विशेषताएँ) Quality of Organic Farming in hindi)


जैविक खाद्य गुणवत्ता 

जैविक खाद्य की विशेषताओं (Jaivik khad ki visheshtaen) अथवा गुणवत्ताओं को हम निम्न बिंदुओं से समझ सकते हैं-

(1) जैविक खाद्य अधिक पौष्टिक होता है और इसमें रासायनिक पदार्थ तथा नाइट्रेट अवशेष कम होते हैं।

(2) जैविक खाद्य में उच्च स्तर के विटामिन्स तथा सूक्ष्म मात्रिक तत्व हो सकते हैं। क्योंकि फ़सल को प्राकृतिक ख़ुराक मिलने से बेहतर और संतुलित पूर्ति होती है। जबकि कृत्रिम उर्वरकों के कारण चुना तथा मैग्नीशियम इस प्रकार भूमि में ही घुल जाते हैं कि वे पौधों तक पहुँच ही नहीं पाते।

(3) ग़ैर-जैविक खाद्य की तुलना में जैविक खाद्य का उत्पादन साधारणतया अधिक महंगा होता है।

(4) सुपर बाज़ारों की ज़रूरतें पूरी करने में ताज़ा उत्पादन बहुत व्यर्थ जाता है तथा कम मात्रा में होने के कारण वितरण की लागत ऊंची होती है। हालांकि बाज़ार के आकार के व्यापक हो जाने से तथा पैमाने की बचतों के कारण जैविक उत्पादन की कीमतों में गिरावट की संभावना है।



जैविक कृषि के लाभ (Advantage of Organic Farming in hindi)


जैविक कृषि के लाभ

जैविक खेती करने से अनेक लाभ हैं। आजकल रासायनिक उर्वरकों की सहायता से उत्पादित उत्पादों के साइडइफेक्ट को देखते हुए यदि हम आंकलन करें तो जैविक खेती के लाभ ही लाभ (Jaivik krishi ke labh) दिखाई देते हैं। आइये हम निम्न बिंदुओं के माध्यम से Organic Forming benefits | jaivik krishi ke fayde जानने का प्रयास करते हैं-

(1) जैविक किसान संश्लिष्ट रसायनों का प्रयोग नहीं करते। ये पेट्रोलियम आधारित होते हैं। पेट्रोलियम एक ग़ैर-नवीनीकृत संसाधन है।

(2) परंपरागत फ़सलों की तुलना में जैविक फ़सलों में अधिक मात्रा में गौण मेटाबोलाइट्स पाए जाते हैं। असल मे यह वह पदार्थ है जो पौधों की प्रतिरक्षित प्रणाली का एक भाग होता है जो कैंसर जैसी बीमारी का मुक़ाबला करने में भी सहायक साबित होता है।

(3) जैविक खेती की मिट्टी में अधिक पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं।

(4) जैविक खेतों में अधिक जैविक सक्रियता तथा अधिक जैव विविधता पाई जाती है।

(5) अनेक अनुसंधानों से पता चलता है कि परंपरागत फर्म रसायनों वाले बग़ीचों की तुलना में जैविक सेबों के बग़ीचों जहाँ किसी प्रकार के संश्लिष्ट रासायनिक कीटनाशकों अथवा उर्वरकों का प्रयोग नहीं किया जाता, वहाँ अधिक मीठे फल तथा अधिक लाभ की प्राप्ति होती है तथा मिट्टी भी अधिक स्वस्थ बनी रहती है।

(6) समय के साथ जैविक फसलों के उत्पादन की दरों में बहुत कम परिवर्तन होते हैं।

(7) समय के साथ जैविक मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है।

(8) जैविक फ़सलों में विटामिन्स के ऊँचे स्तर पाए जाते हैं।


हम जैविक खेती के लाभों को कृषक, मिट्टी व पर्यावरण की दृष्टि से प्रथक रूप से निम्न बिंदुओं के माध्यम से देखने का प्रयास करेंगे-


कृषकों की दृष्टि से जैविक खेती के लाभ-

(1) भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि होने लगती है।
(2) सिंचाई अंतराल में लगातार वृद्धि होती रहती है।
(3) रासायनिक खाद पर निर्भरता कम हो जाती है। फलस्वरूप उस पर लगने वाली लागत में भी कमी आती है।
(4) फ़सलों की उत्पादकता में निरंतर वृद्धि होती है।


मिट्टी की दृष्टि से जैविक खेती के लाभ-

(1) जैविक खाद के प्रयोग करने से भूमि की गुणवत्ता में लगातार सुधार होता है।
(2) भूमि की जल ग्रहण करने की क्षमता बढ़ती है।
(3) भूमि से पानी का वाष्पीकरण अपेक्षाकृत कम होने लगता है।


पर्यावरण की दृष्टि से जैविक खेती के लाभ-

(1) भूमि के जल स्तर में लगातार वृद्धि होती है।
(2) मिट्टी, खाद्य पदार्थ और ज़मीन में पानी के माध्यम से होने वाले प्रदूषण में कमी आने लगती है।
(3) कचरे का प्रयोग, खाद बनाने में करने से बीमारियों में कमी आने लगती है।
(4) फ़सल उत्पादन में लगने वाली लागत में कमी एवं आय में लगातार वृद्धि होने लगती है।
(5) अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार की स्पर्धा में जैविक उत्पाद अपनी गुणवत्ता पर खरे उतरने लगते हैं।


जैविक खेती के नुक़सान (Disadvantages of Organic Farming in hindi)


जैविक खेती के नुक़सान

वैसे तो जैविक खेती से लाभ ही लाभ हैं। सामाजिक तौर पर जैविक खेती के नकारात्मक प्रभाव (Negative effects of organic farming) भी देखे जा सकते हैं। साधारणतया जैविक खेती के दोष (Jaivik kheti ke dosh) प्रभावी तो हो सकते हैं। लेकिन ये दोष ज़्यादा दुष्प्रभावी नहीं कहे जा सकते। आइये हम नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से ऑर्गेनिक खेती के नुकसानों (Organic kheti ke nuksan) को जानने का प्रयास करते हैं-

(1) जैविक उत्पादन ग़ैर-जैविक से अधिक महंगा होता है। जैविक खेती अपेक्षाकृत महंगी होती है।

(2) जैविक खेती अधिक श्रम-गहन होते हैं। यानि कि इस तरह की खेती में श्रम की अधिक आवश्यकता होती है।

(3) जैविक खेती में पशु खाद का उपयोग किया जाता है। जो घातक जीवाणुओं को आश्रय देती है। इसके लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

(4) परंपरागत खेती की तुलना में जैविक खेती का उत्पादन 20% कम होता है। इसे बढ़ावा देने के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है।

(5) जैविक किसानों को समय-समय पर नाशक जीवों के कारण समस्त फ़सल या उसके बड़े भाग का नुक़सान उठाना पड़ता है।


उपरोक्त बिंदुओं में हमने ऑर्गेनिक खेती के लाभ व हानियाँ (Advantages and Disadvantages of Organic farming) केे बारे में विस्तार से जाना। किन्तु एक बात तो तय है कि ऑर्गेनिक खेती के लाभ (Organic kheti ke fayde) हमारे जीवन में ज़्यादा हैं। हानियाँ उतनी प्रभावशाली नहीं जान पड़ती हैं।


जैविक खेती और पर्यावरण (Organic Farming and Environment in hindi)


जैविक खेती और पर्यावरण

हम आप को बताना चाहते हैं कि जैविक खेती और पर्यावरण का बड़ा ही मधुर संबंध है।जैविक खेती, पर्यावरण के लिए अत्यंत ही उपयुक्त है। क्योंकि यह जैविक खेती वृक्षों एवं जंगली जानवरों की विविधता को सुरक्षित बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। यानि कि फ़सलों और पशुओं के स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत ही लाभदायक है। 

यह भूमि के लिए भी लाभदायक है, इसके द्वारा भूमि का पोषण होता है जो कि भावी पीढ़ी का संसाधन है। जैविक खेती बेहतर, स्वादिष्ट और स्वास्थ्यप्रद खाद्य का उत्पादन करती है। भूमि पर कृत्रिम उर्वरकों का प्रयोग करने से इसके रसायन भू-जल तथा नदियों में चले जाते हैं। पीने के पानी में नाइट्रेट का पाया जाना स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद हानिकारक होता है। 

अर्थात हम कह सकते हैं कि जैविक खेती परंपरागत खेती की तुलना में पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए बेहतर है। आज पर्यावरण से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या ऊर्जा की खपत की है और जैविक खेती में ऊर्जा का उपयोग परंपरागत (traditional) खेती की अपेक्षा बहुत कम होता है।



जैविक खेती के सकारात्मक पक्ष (Positive aspects of organic farming in hindi)




आजकल की रासायनिक उर्वरकों के बेतरतीब प्रयोगों और उनसे होने वाले दुष्प्रभावों को देखते हुए, अगर हम जैविक खेती के सकारात्मक पहलुओं (Jaivik kheti ke sakaratmak prabhav) को देखें तो कृत्रिम उर्वरकों का पूर्ण रूप से बहिष्कार अथवा बहुत ही कम मात्रा में उर्वरकों का इस्तेमाल करना जो कि भूमि, जल, पशु तथा मानव के लिए लाभदायक है, परिवर्तन की राह पर एक बड़ा कदम कहा जा सकता है। इस तरह हम जैविक खेती के सामाजिक लाभ (social benefits of organic farming) लेने के मामले में जैविक खेती की ओर एक बेहतर क़दम ज़रूर बढ़ा सकते हैं।

विलयशील उर्वरकों की अनुपस्थिति में जैविक खेतों में नाइट्रेट की मात्रा परम्परागत खेती की तुलना में कम होती है। जो कि एक महत्वपूर्ण पहलू है। जैविक खेती के अंतर्गत जैव-विविधता पशुओं तथा पौधों की क़िस्मों, जो कि धरती पर समस्त प्रजातियों के भविष्य के लिए नितांत आवश्यक है, को सदैव ही प्रोत्साहित करती है।

इसके अतिरिक्त जैविक खेती करने वाले किसान सभी प्रजातियों के आवास तथा उनके आसपास के पर्यावरण को सुरक्षित बनाये रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। जैविक खेती, परम्परागत खेती की तुलना में बहुत कम कार्बनडाइऑक्साइड छोड़ती है। कार्बनडाइऑक्साइड प्रमुखतः ग्रीनहाउस गैस है, जो भूमण्डल के गर्म होने का कारण होती है जो कि नाशक जोवों के आवास को तहस-नहस कर देती है।


निष्कर्ष (Conclusion)




उपरोक्त सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं को जानने के बाद हम यह कह सकते हैं कि खेतों में रासायनिक उर्वरकों के लगातार प्रयोग से हमारी जैविक व्यवस्था नष्ट होने लगी है। भूमि भी नष्ट हो रही है। साथ ही जल प्रदूषण भी अपने चरम पर पहुँचने लगा है। यदि आज के साथ-साथ भविष्य में आने वाले ख़तरे से बचना है तो हमें उपलब्ध जैविक साधनों की मदद से खाद, कीटनाशक दवाई व चूहों के नियंत्रण हेतु दवा आदि बनाना होगा। इन जैविक तरीकों से हमें फसलों की पैदावार भी अधिक प्राप्त होने लगेगी। 

अनाज, फल एवं सब्ज़ियाँ भी रसायन मुक्त यानि कि विषमुक्त व उत्तम मिला करेगी। एक महत्वपूर्ण बात यह कि प्रकृति के सूक्ष्म जीवाणुओं एवं जीवों का तंत्र पुनः हमारी कृषि में सहयोगी भूमिका अदा कर सकेगा। इन सबका सीधा प्रभाव हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ेगा। जो कि आज के समय में एक महत्वपूर्ण समस्या है। केमिकल खानपान के चलते हमारी इम्युनिटी लगातार कम होती जा रही है।

उम्मीद है हमारा आज का यह अंक "जैविक खेती किसे कहते हैं? | Organic Farming in hindi" आपके लिए अवश्य लाभकारी साबित होगा। साथ ही जैविक खेती के लाभ, दोष व आवश्यकता को भी आपने विस्तार पूर्वक जान लिया होगा। आशा है हमारी यह जानकारी आपके अध्ययन के लिए अवश्य मददग़ार साबित होगी।

अन्य टॉपिक्स पर भी आर्टिकल्स पढ़ें 👇




















Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ