प्रवसन या देशान्तरण क्या है? यह समाज को कैसे प्रभावित करता है, प्रवसन के कारण और प्रवसन को प्रभावित करने वाले घटक, (Meaning of migration in hindi, What are the factors affecting migration in hindi?)
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प्रवासन (देशान्तरण) क्या है? प्रवासन की परिभाषा
डेविड एम हीर के अनुसार, "देशान्तर या प्रवसन का अर्थ है अपने स्वाभाविक निवास को परिवर्तित कर देना।"
संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ke अनुसार, "देशान्तरण या प्रवसन निवास स्थान को परिवर्तित करते हुए एक भौगोली इकाई से अन्य भौगोलिक इकाई में विचरण का एक स्वरूप है।"
उपर्युक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट होता है कि देशान्तरण या प्रवसन के अंतर्गत निवास में परिवर्तन हो जाता है तथा यह परिर्वतन अल्पकालीन न होकर दीर्घकालीन व स्थायी होता है।
सरल शब्दों में कहा कहा जाए तो प्रवासन/प्रवसन के अंतर्गत दो प्रकार की गतिशीलता हो सकती है। जब कोई व्यक्ति अपना देश छोड़कर किसी अन्य देश में जाकर बसता है तो उसे बहिर्गंतुक या प्रवासी कहा जाता है। ठीक इसी तरह जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे देश से आकर किसी देश में बसता है तो उसे आगंतुक या अप्रवासी कहा जाता है।
प्रवसन या देशांतरण के प्रकार | प्रवासन या देशान्तरण का वर्गीकरण | Classification of Migration in hindi
प्रवसन या देशान्तरण का वर्गीकरण (Pravasan ya Deshantaran ka vargikaran) सामान्यतया निम्न रूप में किया जाता है -
(क) आंतरिक प्रवसन या देशांतरण (Internal Migration)
जब किसी देश के निवासी अपने देश की सीमाओं के अंदर ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर चले जाते हैं तब उनके इस स्थानांतरण को आंतरिक प्रवसन या देशांतरण कहा जाता है। जैसे- कोई व्यक्ति सागर (मध्यप्रदेश) से जाकर मुंबई (महाराष्ट्र) में बस जाता है। तब इसे आंतरिक देशांतरण या प्रवसन कहा जायेगा।
आंतरिक प्रवसन या देशांतरण निम्न कारणों से हो सकते हैं -
(1) वैवाहिक प्रवसन (Marital Migration)
इस तरह का प्रवसन किसी व्यक्ति के विवाह हो जाने के कारण वर या वधू को अपना स्थान परिवर्तित करना पड़ जाता है। यह प्रवसन या देशांतरण गांव से शहर, शहर से गांव, शहर से शहर या गांव से गांव भी हो सकता है।कभी कभी इस तरह का प्रवसन अंतर्राष्ट्रीय भी हो सकता है।
(2) अंतरप्रांतीय प्रवसन (Inter Provincial migration)
इस तरह का प्रवसन या देशांतरण किसी देश की सीमा के अंतर्गत किसी एक प्रांत से दूसरे प्रांत को होता है। इस तरह के प्रवसन या देशान्तर का निर्धारण प्रांतीय सीमाओं के अंदर ही होता है।
(3) गांव-शहर प्रवसन (Rural Urban Migration)
गांव-शहर प्रवासन चार प्रकार के होते हैं - गांव से शहर की ओर, शहर से गांव की ओर, शहर से शहर की ओर, गांव से गांव की ओर,
(4) संबद्धताजन्य प्रवसन (Associated Migration)
इस तरह के प्रवसन तब देखे जाते हैं जब कोई व्यक्ति विदेश में नौकरी या व्यवसाय करने के लिए जाते हैं तब उन पर आश्रित सदस्यों का भी प्रवसन उस व्यक्ति के साथ होता है। हालांकि इस तरह विदेश जाकर कमाने वाले व्यक्तियों का प्रवसन या देशांतरण प्रायः एकाकी प्रवसन के रूप में भी होता है। ये शहरों या विदेशों में जाकर कमाई करते हैं और गांव (घर) में रहने वाले सदस्यों को धनराशि भेजते रहते हैं। परंतु आजकल एकाकी परिवारों में बढ़ोत्तरी होने के कारण संबद्धताजन्य प्रवसन या देशांतरण की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है।
(ख) अंतर्राष्ट्रीय प्रवसन या देशांतरण (International Migration)
जब कोई व्यक्ति अथवा परिवार एक देश की सीमाओं को लांघकर किसी दूसरे देश में जाकर बस जाता है तो ऐसे प्रवसन या देशांतरण को अंतर्राष्ट्रीय प्रवसन या देशांतरण (international migration in hindi) कहा जाता है। इस प्रकार के। प्रवासन में देश की नागरिकता के साथ साथ भाषा, संस्कृति और व्यवसाय सभी बदल जाते हैं।
प्रवासन या देशांतरण के मुख्य कारण (Reasons for migration in hindi)
प्रवसन या देशांतरण विविध कारणों से प्रभावित होता है। दरअसल इसके लिए किसी एक कारण को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। कभी ये घटक अलग अलग तरह से प्रभावित करते हैं तो कभी ये एक साथ मिलकर प्रभावित करते हैं। देशांतरण या प्रवसन के लिए प्रमुख कारकों को मुख्य रूप से 2 वर्गों में विभाजित किया जा सकता है।
1. आकर्षक कारक (Pull Factors)
ऐसे कारक जो मनुष्य को अपना निवास स्थान छोड़कर अन्यत्र बसने के लिए प्रोत्साहित करते हैं यानि कि अपने ओर आकर्षित करते हैं। जैसे- रोज़गार या व्यवसाय के बेहतर अवसर, अधिक आय अर्जित करने के अवसर, शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, प्रशिक्षण तथा आवास की सुविधाएं, मनोरंजन के साधनों की उपलब्धता, स्वास्थ्य प्रद जलवायु, सगे संबंधियों या इष्ट मित्रों का आकर्षण, प्रगतिशील नगरीय जीवन आदि कारणों से आकर्षित होकर व्यक्ति अपने स्वाभाविक निवास को छोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं। इसे Positive migration भी कहा जाता है। गांव से शहरों की ओर प्रवास करने के लिए यही positive migration कारण प्रमुख कारण बनकर उभरता है।
2. प्रत्याकर्षक कारक (Push Factors)
ऐसे कारक जिसके अभाव के कारण व्यक्ति मजबूर होकर अपने स्वाभाविक स्थान का परित्याग करता है। जैसे- रोज़गार के अवसरों का अभाव, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास तथा प्रशिक्षण का अभाव, मनोरंजन की सुविधाओं का अभाव, आय तथा उन्नति के अवसरों का अभाव, समाजिक तिरस्कार या बहिष्कार, वैमनस्य या शत्रुता, असामाजिक तत्वों का आतंक, राजनीतिक, जातीय तथा धार्मिक आधार पर भेदभाव आदि कारणों से व्यक्ति न चाहकर भी अपने निवास स्थान को छोड़कर जाने के लिए मजबूर हो जाता है।
प्रवसन या देशांतरण को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting migration in hindi)
प्रवासन या देशांतरण को प्रभावित करने वाले कारक (pravasannya deshantaran ko prabhavit karne wale karak) निम्नलिखित हैं -
(1) प्राकृतिक कारक (Natural factors)
प्राकृतिक या भौगोलिक कारक, प्रायः लोगों के प्रवास के लिये ज़िम्मेदार होते हैं। जैसे जलवायु में परिवर्तन, प्राक्रतिक प्रकोप, सुखा या बाढ़, महामारी का प्रकोप, भूकंप, ज्वालामुखी आदि घटनाएं। ये घटनाएं प्रवासन या देशांतरण को सीधे सीधे प्रभावित करती हैं।
(2) आर्थिक कारक (Economic factors)
देशान्तरण या प्रवसन को प्रोत्साहित करने वाले कारकों में आर्थिक कारक सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। स्वाभाविकता के चलते लोग सुखी एवं समृद्धशाली जीवन व्यतीत करने की लालसा में अपने मूल निवास को छोड़कर अन्यत्र जाने के लिए विवश हो जाते हैं।
प्रवसन या देशांतरण को प्रोत्साहित करने वाले प्रमुख आर्थिक कारक निम्न हैं -
(क) कृषि योग्य भूमि का अभाव - भूमि की उपलब्धता की अपेक्षा जनसंख्या का भार अधिक होने से इस स्थान पर खाद्य सामग्री का अभाव हो जाता है। जिस कारण मानव, भोजन की प्राप्ति हेतु उन स्थानों की ओर पलायन करता है जहां कृषि योग्य भूमि सहजता से उपलब्ध हो जाती है। भारत में केरल तथा पश्चिम बंगाल से अन्य राज्यों की तरफ़ इन्हीं कारणों से प्रवास अधिक देखे गए हैं।
(ख) औद्योगीकरण - औद्योगीकरण की वजह से ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को रोज़गार मिलता है। यही कारण है कि रोज़गार की तलाश में लोगों को गांव से शहरों की ओर पलायन करना पड़ता है। औद्योगीकरण से नगरीकरण को बढ़ावा मिलता है। लोग नगरों में उपलब्ध विभिन्न सुविधाओं जैसे - मनोरंजन, सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं आदि से आकृष्ट होकर वहां बसने लगने हैं। भारत में कोलकाता, मुंबई, अहमदाबाद, कानपुर, नागपुर, रायपुर आदि नगरों में भारी संख्या में लोगों का प्रवास औद्योगीकरण के कारण ही हुआ है।
(ग) यातायात की सुविधाएं - छोटे नगर या गांव में यातायात की सुविधा का अभाव होता है। सस्ती, सुगम और सुरक्षित यातायात की सुविधाएं देशांतरण को विशेष तौर पर प्रेरित करती हैं। आज के दौर में लोग यातायात की सुविधाओं को विशेष रूप से प्राथमिकता देते है। ताकि उनके जीवन से जुड़े कार्य बिना किसी बाधा के उचित रूप से जारी रह सकें।
(घ) सामान्य आर्थिक स्थिति में सुधार - रोज़गार के अवसर तथा अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार करने की लालसा के कारण, लोग अनेक कठिनाइयों से लड़कर भी देशान्तरण या प्रवसन के लिए प्रोत्साहित होते हैं।क्योंकि ऐसा न करने से उनके मूल स्थान पर उनकी आर्थिक स्थिति के बिगड़ने के आसार और भी ज़्यादा हो जाते हैं।
(3) राजनीतिक कारण (Political factors)
अनेक राजनीतिक निर्णय भी प्रवसन या देशांतरण को प्रभावित करते हैं। जैसे- ग्रामीण क्षेत्रों में नए उद्योगों की स्थापना एक राजनीतिक निर्णय होता है। जिसके परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों से नगरों की ओर प्रवास की गति कुछ हद तक धीमी हो जाती है। इसके अलावा राजनीतिक स्तर पर, उपनिवेशवाद, रंग-भेद की नीति भी प्रवासन को प्रोत्साहित करती है। उदाहरण के लिए गत वर्षों में अफ़्रीकी देशों ने भारतीय मूल के लोगों का निष्कासन कर दिया था।
(4) सामाजिक कारक (Social factors)
सामाजिक रीति रिवाज तथा परम्पराएं भी देशान्तरण के लिए प्रमुख कारण के रूप में देखे जाते हैं। जैसे- विवाह होने के कारण लड़कियां अपने पति के घर चली जाती हैं। या उनके पति को नौकरी या व्यवसाय की वजह से जहां भी प्रवास करना होता है, पत्नी को भी साथ जाना होता है। इसके अलावा आजकल एकल परिवार का प्रचलन होने से, परिवार को अन्यत्र प्रवास करना पड़ता है। शिक्षा, स्वास्थ्य और बच्चों के भविष्य सुधारने के लिए भी व्यक्ति को गांव से शहर की ओर प्रवास करना पड़ता है। व्यक्ति की व्यक्तिगत चाहत, महत्वाकांक्षा और स्वतंत्रता की प्रवृत्ति भी गांव से शहर की ओर प्रवास का कारण बनती है।
(5) जनांकिकीय कारक (Demographic factors)
जिन स्थानों पर जनसंख्या का दबाव अधिक होता है, वहां से जनसंख्या का प्रवास अपेक्षाकृत कम दबाव वाले स्थानों पर होता है। इसके अलावा प्रवसन या देशान्तरण जनसंख्या के गुणात्मक पहलू पर भी निर्भर करता है। यदि किसी स्थान विशेष पर अधिक लोग हैं किंतु किसी कार्य विशेष के लिए अकुशल हैं तो वहां पर कुशल व्यक्तियों को अन्यत्र स्थान से प्रवासित करके लाना आवश्यक हो जाता है।
जन्म दर तथा मृत्यु दर कम या ज़्यादा होने से भी देशान्तरण या प्रवसन पर प्रभाव पड़ता है। जहां जन्म दर कम है वहां यदि पुरुष विशिष्ट जन्म दर कम है, तो सन्तुलन बनाए रखने के लिए प्रवासी बनकर युवकों को दूसरे देश से आना होगा क्योंकि पुरुषों की पूर्ति उनकी मांग की तुलना में इन स्थानों पर कम होती है। इसके विपरीत यदि स्त्री विशिष्ट जन्म दर कम है, तो स्त्रियों को प्रवासी बनकर आना होगा। यदि किसी देश अथवा स्थान में स्त्री विशिष्ट जन्म दर अधिक है तो स्त्रियों को बाहर जाना होगा।
यदि किसी देश में मृत्यु दर अधिक है तो ऐसे स्थान पर बाहरी व्यक्तियों का आगमन कम ही होगा क्योंकि ऐसे वातावरण में लोग बाहर से आना पसन्द नहीं करेंगे। बल्कि मृत्यु अधिक होने से लोग उस देश से बाहर जाना ज़्यादा पसन्द करेंगे। जिन देशों में जन्म दर तथा मृत्यु दर नीची है किन्तु जन्म दर इतनी घट गयी है कि भविष्य में श्रम शक्ति के घट जाने की सम्भावना उत्पन्न हो गयी है तो ऐसे देश बहिर्गमन को हतोत्साहित तथा अन्तर्गमन को प्रोत्साहित करेंगे।
यदि श्रम के गुणात्मक पहलू को देखा जाए तो कुशल या अकुशल श्रम शक्ति का होना भी प्रवसन या देशांतरण को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए एक विकासशील देश, सामान्यतया कुशल एवं प्रशिक्षित व्यक्तियों के आगमन को प्रोत्साहित करेगा परन्तु अकुशल श्रमिकों के बहिर्गमन को प्रेरित करता है।
(6) धार्मिक एवं सांस्कृतिक कारक (Religious and Cultural Factors)-
धार्मिक आकर्षणों एवं संकटों के उत्पन्न होने के कारण भी देशान्तरण या प्रवसन प्रभावित होता है। धर्म प्रचार तथा प्रसार के उद्देश्य से संचालित ईसाई, इस्लाम तथा बौद्ध आन्दोलनों से प्रभावित देशान्तरण या प्रवसन के बहुत से उदाहरण इतिहास में देखने को मिलते हैं। इसके अतिरिक्त जीवन के अन्तिम दिनों में तीर्थ स्थानों में बस जाने की प्रवृत्ति भी लोगों में धार्मिक प्रभावों के कारण उत्पन्न होती है।
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