उपभोक्ता क़ीमत निर्देशांक (CPI) तथा थोक क़ीमत निर्देशांक (WPI) क्या हैं?, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के उपयोग, थोक मूल्य सूचकांक के उपयोग, (upbhokta mulya suchkank in hindi, thok mulya suchkank in hindi)
Table of Contents :
उपभोक्ता मूल्य निर्देशांक (Consumer Price Index Number) | Upbhokta Mulya Suchkank kya hai?
जीवन-निर्वाह व्यय निर्देशांक (Cost of living index number) को उपभोक्ता मूल्य निर्देशांक (CPI) भी कहा जाता है। इसके निर्माण का उद्देश्य एक समयावधि में उपभोक्ताओं के एक वर्ग-विशेष के निर्वाह-व्यय में होने वाले परिवर्तनों की दिशा एवं मात्रा को ज्ञात करना होता है। भारतीय रिज़र्व बैंक उपभोक्ता क़ीमत सूचकांक को, क़ीमतों में परिवर्तन के मुख्य मापक के रूप में प्रयोग करती है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का आधार वर्ष (upbhokta mulya suchkank ka aadhar varsh) अब 2012 को माना जाता है।
साधारण मूल्य निर्देशांकों से यह स्पष्ट नहीं हो पाता है कि इनमें होने वाले परिवर्तनों का समाज के विभिन्न वर्गों के जीवन-निर्वाह व्यय पर वास्तव में क्या प्रभाव पड़ता है? इसका कारण यह है कि समाज के विभिन्न वर्ग के लोग विभिन्न प्रकार के वस्तुओं का उपभोग अलग-अलग अनुपातों में करते हैं तथा उनके मूल्यों में होने वाले परिवर्तन भी उन्हें अलग-अलग प्रकार से प्रभावित करते हैं।
उदाहरणार्थ, धनी वर्ग, निर्धन वर्ग एवं मध्यम वर्ग के लोगों का उपभोग ढाँचा अलग-अलग होता है। इतना ही नहीं, बल्कि एक ही वर्ग के लोगों की उपभोग आदतें भी विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न होती हैं। अतः उपभोक्ता मूल्य निर्देशांक विभिन्न स्थानों में रहने वाले विभिन्न उपभोक्ता वर्गों के जीवन-निर्वाह व्यय में हुए परिवर्तन के प्रभावों को स्पष्ट रूप से मापता है।
उपभोक्ता मूल्य निर्देशांक की उपयोगिता (Utility of Consumer Price Index Number in hindi)
उपभोक्ता क़ीमत सूचकांक के उपयोग (upbhokta kimat suchkank ke upyog) निम्नलिखित हैं-
(1) उपभोक्ता क़ीमत निर्देशांक की सहायता से वर्ग-विशेष के लोगों के रहन-सहन के व्यय में होने वाले परिवर्तन की दिशा एवं मात्रा का अनुमान लगाया जा सकता है।
(2) उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की सहायता से व्यय में परिवर्तन हो जाने पर मूल्यों में होने वाले परिवर्तनों को नियन्त्रित किया जा सकता है।
(3) श्रमिकों एवं नौकरी-पेशा वर्ग के लोगों के वेतन एवं महँगाई भत्ते का निर्धारण उनके जीवन-निर्वाह व्यय निर्देशांक के आधार पर किया जाता है।
(4) उपभोक्ता मूल्य निर्देशांक मज़दूरी समझौता एवं मज़दूरी-संविदा में बहुत सहायक होते हैं। इसके अन्तर्गत उपभोक्ता मूल्य निर्देशांक में एक निश्चित शब्द होने पर संविदा के अनुसार मज़दूरी में स्वतः ही वृद्धि कर दी जाती है।
(5) उपभोक्ता मूल्य निर्देशांक की सहायता से मुद्रा की क्रयशक्ति तथा वास्तविक मज़दूरी (आय) के परिकलन के लिए प्रयोग किया जाता है।
थोक क़ीमत निर्देशांक (Wholesale Price Index in hindi) | Thok Mulya Suchkank kya hai
थोक क़ीमत निर्देशांक वह निर्देशांक है जो थोक बाज़ार में बेची जाने वाली वस्तुओं की थोक क़ीमतों में होने वाले सापेक्षिक परिवर्तनों की माप करता है। भारत में थोक क़ीमत सूचकांक का निर्माण किया जाता है। अब थोक मूल्य निर्देशांक का आधार वर्ष (thok mulya suchkank ka aadhar varsh) 2011-12 को माना जाता है।
थोक क़ीमत निर्देशांक में कोई संदर्भ उपभोक्ता श्रेणी नहीं होती है। इसके अंतर्गत ऐसे मद शामिल नहीं होते हैं जो सेवा से संबंधित हों जैसे नाई के प्रभार, मरम्मत आदि। थोक मूल्य निर्देशांक, प्रचलित मूल्यों को, थोक स्तर पर ही प्रयोग करता है। इसमें केवल वस्तुओं की क़ीमतों को ही सम्मिलित किया जाता है।
थोक क़ीमत निर्देशांक की उपयोगिता (Utility of Wholesale Price Index Number in hindi)
थोक मूल्य सूचकांक के उपयोग (thok mulya suchkank ke upyog) निम्नलिखित हैं-
(1) थोक क़ीमत निर्देशांक का प्रयोग अर्थव्यवस्था में मांग तथा पूर्ति संबंधी अनुमान लगाने के लिए किया जाता है।
(2) थोक क़ीमत निर्देशांक का उपयोग राष्ट्रीय आय, राष्ट्रीय व्यय आदि समुच्चयों के मौद्रिक तथा वास्तविक मूल्यों का निर्धारण करने के लिए किया जाता है।
(3) थोक क़ीमत सूचकांक का उपयोग किसी राष्ट्र में मुद्रा स्फीति की दर का अनुमान लगाने के लिए भी किया जाता है।
(4) थोक क़ीमत निर्देशांक (WPI) का उपयोग बैंक, सरकार, उद्योग तथा व्यापारियों द्वारा व्यापक रूप से किया जाता है। क्योंकि यह निर्देशांक क़ीमतों की भिन्नताओं को व्यापकता से दर्शाता है।
उपभोक्ता क़ीमत सूचकांक तथा थोक क़ीमत सूचकांक में अंतर (Difference between Consumer price index and Wholesale price index in hindi)
उपभोक्ता क़ीमत सूचकांक | थोक क़ीमत सूचकांक |
---|---|
1. उपभोक्ता क़ीमत सूचकांक खुदरा क़ीमतों में औसत परिवर्तनों की माप करता है। | 1. थोक क़ीमत सूचकांक सामान्य क़ीमत स्तर में होने वाले परिवर्तनों की माप करता है। |
2. उपभोक्ता क़ीमत निर्देशांक का मुख्य उद्देश्य समाज के एक विशेष उपभोक्ता वर्ग के उपभोक्ताओं की जीवन निर्वाह लागत ज्ञात करना होता है | 2. थोक क़ीमत निर्देशांक का उद्देश्य अर्थव्यवस्था की कुल मांग तथा पूर्ति की स्थिति का अनुमान लगाना होता है। |
3. यह केवल उपभोक्ताओं द्वारा खरीदे जा रहे खुदरा वस्तुओं की ख़रीदी पर केंद्रित होता है। | 3. व्यापार के क्षेत्र में यह केवल थोक व्यापारियों पर केंद्रित होता है। |
4. उपभोक्ता क़ीमत सूचकांक केवल मुद्रा स्फीति के अंतिम चरण को मापता है। | 4. थोक क़ीमत सूचकांक मुद्रा स्फीति के प्रथम चरण को मापता है। |
5. इसके अंतर्गत वस्तुओं एवं सेवाओं दोनों को ही शामिल किया जाता है। | 5. इसके अंतर्गत वस्तुओं को शामिल किया जाता है। |
Some more topics :