सूचकांक से क्या तात्पर्य है? सूचकांक का वर्गीकरण कीजिए, थोक क़ीमत सूचकांक की परिभाषा, उपभोक्ता क़ीमत सूचकांक की परिभाषा, Nirdeshank ka vargikaran in hindi, suchkank ka vargikaran in hindi, nirdeshank ka vargikaran kis prakar kiya jata hai?
पिछले अंक में आपने निर्देशांक/सूचकांक का अर्थ, विशेषताएं, उपयोगिताएं व सीमाएं क्या हैं? जाना। इसके अंतर्गत आपने जाना कि सूचकांक दिए गए संबंधित चरों के समूह के परिमाण में होने वाले परिवर्तनों को मापने का एक सांख्यिकी साधन है। और यह सूचकांक विभिन्न दिशाओं में होने वाले अनुपातों की सामान्य प्रवृत्ति का प्रतिनिधित्व करता है। जिसके आधार पर इसे परिकलित किया जाता है।
सीधे शब्दों में कहें तो सूचकांक (index number) दो भिन्न स्थितियों में संबंधित चरों के किसी समूह में औसत परिवर्तन का एक माप है। इस अंक में हम सूचकांक या निर्देशांक का वर्गीकरण (nirdeshanko ka vargikaran) कर इसके प्रकारों के बारे में जानेंगे।
1.1.1. थोक क़ीमत निर्देशांक1.1.2. उपभोक्ता क़ीमत निर्देशांक1.1.3. औद्यौगिक उत्पादन निर्देशांक1.2. भार के आधार पर1.2.1. सरल या अभारित निर्देशांक1.2.2. भारित निर्देशांक/सूचकांक
निर्देशांकों का वर्गीकरण | सूचकांकों का वर्गीकरण | (Classification of Index Numbers)
सूचकांकों का वर्गीकरण (classification of index numbers kn hindi) मुख्य रूप से दो बिन्दुओं के आधार पर किया जा सकता है -
1. विभिन्न चरों के आधार पर एवं
2. भार के आधार पर।
1. विभिन्न चरों के आधार पर (On the Basis of Different Variables)
निर्देशांकों द्वारा मापे जाने वाले विभिन्न चरों के आधार पर निर्देशांक को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है-
(अ) कीमतों के निर्देशांक -
(i) थोक क़ीमत निर्देशांक (wholesale price index number)
(ii) जीवन निर्वाह निर्देशांक अथवा उपभोक्ता क़ीमत निर्देशांक (Consumer Price Index Number)
(ब) भौतिक मात्राओं के निर्देशांक -
(i) उपभोग निर्देशांक,
(ii) औद्योगिक उत्पादन निर्देशांक,
(iii) निर्यात निर्देशांक।
(स) व्यापारिक क्रिया का निर्देशांक
(अ) क़ीमतों के निर्देशांक -
इसमें किसी वस्तु के उपभोग अथवा उत्पादन में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन उनकी क़ीमतों के आधार पर किया जाता है। ये निर्देशांक निम्न प्रकार के होते हैं -
(i) थोक क़ीमत निर्देशांक -
इसमें वस्तुओं की थोक कीमतों के परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार के निर्देशांक सामान्य कीमत निर्देशांक भी कहलाते हैं। क्योंकि थोक क़ीमत सूचकांक सामान्य क़ीमत स्तर में परिवर्तन का संकेत देता है। इनका मुख्य उद्देश्य मुद्रा की क्रयशक्ति को मापना होता है।
(ii) जीवन निर्वाह निर्देशांक/उपभोक्ता क़ीमत निर्देशांक–
जीवन निर्वाह निर्देशांक को उपभोक्ता क़ीमत निर्देशांक या उपभोक्ता मूल्य निर्देशांक (consumer price index number) भी कहा जाता है। इसमें किसी स्थान विशेष अथवा सामाजिक स्तर के व्यक्तियों के निर्वाह व्यय से होने वाले परिवर्तनों को प्रकट करते हैं। जैसे- मज़दूरों के जीवन-निर्वाह सम्बन्धी निर्देशांक मज़दूरों की उपभोग सम्बन्धी वस्तुओं के फुटकर मूल्यों के आधार पर बनाये जाते हैं, जिससे मज़दूरों की आर्थिक स्थिति में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया जा सके।
(ब) भौतिक मात्राओं के निर्देशांक -
इसमें किसी वस्तु के उपभोग अथवा उत्पादन में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन उसकी मात्रा के आधार पर किया जाता है। दो देशों की आर्थिक स्थिति की तुलना करने के लिए आय निर्देशांकों का प्रयोग किया जाता है, जिससे यह ज्ञात हो सके कि एक देश दूसरे देश से कितना अधिक विकसित है।
(i) उपभोग निर्देशांक
(ii) औद्योगिक उत्पादन निर्देशांक -
किसी विशेष अवधि में आधार वर्ष की तुलना में उद्योगों के उत्पादन स्तर में वृद्धि या कमी को मापने का निर्देशांक औद्योगिक उत्पादन निर्देशांक (audyogik utpadan nirdeshank) कहलाता है। यह बात ध्यान रखने योग्य हैं कि औद्योगिक उत्पादन निर्देशांक उत्पादन की केवल मात्रा के परिर्वतन का माप है।
औद्योगिक उत्पादन निर्देशांक बनाने के लिए आधार वर्ष 1993-94 माना गया है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक का उद्देश्य औद्योगिक उत्पादन में होने वाले परिवर्तनों की माप का अनुमान लगाना होता है। इसी प्रकार कृषि उत्पादन निर्देशांक, आयात-निर्यात निर्देशांक आदि को समझा जा सकता है।
औद्योगिक उत्पादन निर्देशांक की रचना (audyogik utpadan nirdeshank ki rachna)
औद्योगिक उत्पादन निर्देशांक की रचना निम्न प्रकार से की जाती है -
1. उद्योगों का वर्गीकरण - औद्योगिक उत्पादन का निर्देशांक बनाने के लिए उद्योगों को सामान्यतया इन वर्गों में बांट लिया जाता है - खनन, विनिर्माण, बिजली।
2. उद्योगों के उत्पादन संबंधी आंकड़े - इन उद्योगों के उत्पादन संबंधी आंकड़े मासिक, त्रैमासिक या वार्षिक आधार पर संकलित किए जाते हैं।
3. भारांकन - विभिन्न उद्योगों का भारांकन किया जाता है। विभिन्न उद्योगों को दिए गए भार उनके शुद्ध उत्पादन के मूल्य पर आधारित होते हैं।
औद्योगिक उत्पादन के निर्देशांक की गणना निम्न सूत्र द्वारा की जाती है -
(स) व्यापारिक क्रिया का निर्देशांक
2. भार के आधार पर (On the Basis of Weight)
भार के आधार पर निर्देशांक दो प्रकार के होते हैं-
(i) सरल या अभारित निर्देशांक (Simple or Unweighted Index Number) -
जब सभी वस्तुओं को समान महत्व दिया जाए तो उसे सरल, साधारण अथवा अभारित निर्देशांक कहते हैं। सरल या अभारित निर्देशांक का निर्माण करने में केवल वस्तुओं की क़ीमतें दी जाती हैं।
(ii) भारित निर्देशांक (Weighted Index Number)-
जब विभिन्न वस्तुओं से सम्बन्धित भार को ध्यान में रखकर निर्देशांक तैयार किया जाता है, तो इसे भारित निर्देशांक कहते हैं। भारित निर्देशांकों में क़ीमत के साथ साथ वस्तु की मात्रा भी दी जाती हैं।
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