भारत में बढ़ती बेरोज़गारी के कारण | Bharat mein badhti berojgari ke karan
साधारण तौर पर जब एक व्यक्ति को अपने जीवन निर्वाह के लिए कोई काम नहीं मिलता है। तब उस व्यक्ति को बेरोज़गार और उसकी इस समस्या को बेरोज़गारी (berojgari) कहा जाता है। अर्थात जब कोई व्यक्ति किसी कार्य को करने का इच्छुक है। वह मानसिक व शारीरिक रूप से कार्य करने का सामर्थ्य भी रखता हो किन्तु उसे कोई कार्य नहीं मिलता, तो उसकी इस दशा को बेरोज़गारी की समस्या (berozgari ki samaaya) कहते हैं।
आज प्रत्येक अर्थव्यवस्था के समक्ष यह ज्वलंत समस्या उभरकर सामने आ रही है कि देश के श्रमिकों को उनकी योग्यता व सामर्थ्य के अनुरूप काम नहीं मिल पाता है। जिस कारण वह बेकाम रह जाता है। बेरोज़गारी को हम परिभाषिक रूप में कह सकते हैं कि,
"ऐसा व्यक्ति जो कार्य करने की इच्छा, योग्यता एवं सामर्थ्य रखते हुए भी प्रचलित मज़दूरी दर पर कोई कार्य प्राप्त नहीं कर पाता है। उस व्यक्ति को बेरोज़गार तथा उसकी इस समस्या को बेरोज़गारी (berozgari) कहा जाता है।"
ऐसे अनेक कारण होते हैं जिनके चलते किसी देश के नागरिकों को काम नहीं मिलता है। भारत में बेरोज़गारी के प्रमुख कारण कौन कौन से हैं? (bharat me berojgari ke pramukh karan koun koun se hain?) हम इस लेख में जानेंगे। तो आइए जानते हैं भारत में बेरोज़गारी के कारण (bharat me berojgari ke karan) क्या है?
भारत में बेरोज़गारी के कारण (Causes of unemployment in india in hindi)
भारत में बेरोज़गारी के मुख्य कारण (bharat me berojgari ke mukhya karan) निम्नलिखित हैं -
(1) जनसंख्या वृद्धि -
भारत में जनसंख्या वृद्धि की बात की जाए तो यह दर लगभग 2.1% प्रतिवर्ष है। अतः हम कह सकते हैं कि तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या, बेरोज़गारी का सबसे बड़ा कारण है। क्योंकि जिस अनुपात में जनसंख्या बढ़ती है, उस अनुपात में रोज़गार के अवसरों में वृद्धि नहीं होती है। अतः दिनों-दिन बेरोज़गारी एक विकराल रूप धारण करती जा रही है। जनसंख्या, बेरोज़गारी का प्रमुख कारण है।
(2) लघु एवं कुटीर उद्योगों का बंद होना -
लघु एवं कुटीर उद्योगों के बंद होने तथा बड़े उद्योगों के यंत्रीकरण से बेरोज़गारी में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। दरअसल बड़े बड़े उद्योगों द्वारा कम लागत पर अच्छी क़िस्म की वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है। जिस कारण उन्हीं वस्तुओं का उत्पादन करने वाले लघु एवं कुटीर उद्योग धीरे धीरे बंद होने लगे हैं। परिणामस्वरूप मशीनीकरण आ जाने और लघु व कुटीर उद्योगों के बंद होने से बेरोज़गारी की दोहरी मार पड़ती है।
(3) श्रम की गतिशीलता के अभाव -
रूढ़िवादिता तथा पारिवारिक मोह के कारण भारतीय श्रमिकों में गतिशीलता का अभाव पाया जाता है। एक दूसरा पहलू यह भी है कि श्रमिक भाषा, रीति रिवाज, संस्कृति में भिन्नता, घर से दूरी की बाधाओं के कारण अन्य जगहों पर जाकर कार्य करने में अपनी रुचि नहीं दिखते हैं।
(4) दोषपूर्ण शिक्षा पद्धति -
भारत में बेरोज़गारी के प्रमुख कारणों में से एक कारण यह भी है कि यहां की शिक्षा पद्धति व्यवसाय प्रधान या व्यावहारिक होने के बजाय केवल सिद्धांत प्रधान है। जिससे बेरोज़गारी दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। भारत में दी जाने वाली शिक्षा के पाठ्यक्रमों में व्यावसायिक या व्यावहारिक पाठ्यक्रमों की कमी पाई जाती है। विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करने के बाद केवल डिग्रियां लेकर नौकरी तलाशने का कार्य करता है। आत्मनिर्भर नहीं बन पाता।
(5) त्रुटिपूर्ण नियोजन -
स्वतंत्रता के पश्चात देश में आर्थिक नियोजन अपनाया गया जिससे अर्थव्यवस्था के तीव्र विकास के साथ-साथ देश में बेरोज़गारी भी दूर की जा सके। किन्तु भारत में अनेक पंचवर्षीय योजनाएं लागू की जाने के बाद भी बेरोज़गारी के हालात ज्यों के त्यों है। बल्कि यह बेरोज़गारी पहले से और भी विकराल रूप धारण कर रही है।
(6) पूंजी गहन तकनीक -
भारत में उत्पादन के क्षेत्र में अधिक श्रमिकों की जगह स्वचालित मशीनों का प्रयोग ज़्यादा किया गया। नए नए उद्योगों तथा उत्पादन के अन्य क्षेत्रों में उत्पादन कार्य अब नई नई तकनीकी मशीनों के द्वारा होने लगा है। जिस कारण अब रोज़गार के अवसरों में कमी होने लगी है। परिणाम स्वरूप बेरोज़गारी की समस्या में वृद्धि हो रही है।
(7) पूंजी निर्माण की धीमी गति -
देश में पूंजी निर्माण की गति, देश की जनसंख्या की तुलना में बहुत कम है। जिस कारण उद्योग व कृषि के क्षेत्र में रोज़गार के अवसरों की कमी पाई जाती है। दरअसल विकसित देशों में पूंजी निर्माण की दर, जनसंख्या वृद्धि की दर से अधिक होती है। इसलिए उन देशों में अल्पविकसित या विकासशील देशों की तुलना में बेरोज़गारी की समस्या कम पाई जाती है।
(8) देश का विभाजन व युद्ध -
देश का विभाजन होने से भारी संख्या में शरणार्थियों का आगमन हुआ। सन् 1971 में बांग्लादेश में युद्ध के कारण भी शरणार्थियों की संख्या में वृद्धि हुई। जिससे बेरोज़गारी की संख्या में वृद्धि हुई।
अन्य टॉपिक्स पर भी पढ़ें 👇
Tags
अर्थशास्त्र