विदेशी विनिमय दर के प्रकार, विनिमय दर के कितने प्रकार होते हैं?, Videshi Vinimay dar ke prakaro ko likhiye, Videshi vinimay dar ke kitne prakar hain?
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के अंतर्गत वस्तुओं एवं सेवाओं के अंतिम भुगतान के लिए विनिमय दर का विशेष महत्व होता है। चूंकि एक देश की मुद्रा का प्रयोग, दूसरे देश की वस्तुओं व सेवाओं को ख़रीदने में नहीं किया जा सकता। इसलिए एक देश की चलन मुद्रा को, दूसरे देश की चलन मुद्रा के रूप में व्यक्त किया जाना आवश्यक होता है। और इन्हीं चलन मुद्राओं के परस्पर मूल्यों को विदेशी विनिमय दर कहा जाता है।
लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है कि विदेशी विनिमय बाज़ार में एक ही विशेष समय पर केवल एक विनिमय दर विद्यमान नहीं होती, बल्कि करन्सियों के हस्तांतरण में प्रयुक्त, साख यंत्रों के आधार पर, भिन्न भिन्न प्रकार की विनिमय दरें लागू की जाती हैं।
हम इस अंक में विनिमय दर के इन्हीं भिन्न भिन्न प्रकारों का अध्ययन करेंगे। तो चलिए विनिमय दर कितने प्रकार की होती है? विस्तार से जानते हैं।
विनिमय दर के प्रकार (Types of exchange rate)
विनिमय दर के प्रमुख प्रकार (vinimay dar ke pramukh prakar) निम्नलिखित हैं -
(1) तत्काल दर अथवा हाज़िर बाज़ार दर-
वह विनिमय दर जो विदेशी विनिमय के लिए तत्काल उपलब्ध कराई जाती है, तत्काल दर कहलाती है। इसे चालू अथवा केबल दर अथवा टेलीग्राफिक दर भी कहा जाता है। क्योंकि इस दर पर विदेशी विनिमय का क्रय-विक्रय शीघ्रता से केबल अथवा टेलीग्राफ द्वारा किया जा सकता है। इसे क्रेता तथा विक्रेता के लिए अलग-अलग प्रकट किया जाता है।
जैसे-क्रेता के लिए 1 डॉलर = ₹65.0 तथा
विक्रेता के लिए 1 डॉलर = ₹65-10
यह अंतर बीमा खर्चों, यातायात ख़र्चों, व्यापारियों की कमीशन आदि के कारण होता है। यह सभी व्यय क्रेता सहन करता है। भारत में यह अंतर मुख्य रूप से बैंकों की कमीशन के कारण होता है।
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(2) भावी दर अथवा वायदा बाज़ार दर -
भावी विनिमय दरें भविष्य की वे विनिमय दरें हैं जो कुछ अवधि के बाद प्रभावशाली होती हैं। यह एक ऐसी दर होती है जिस पर भावी अनुबंध के लिए विदेशी करेंसी का भुगतान किया जाता है। इनमें विनिमय दर वर्तमान समय में स्थापित कर ली जाती है, किन्तु विदेशी विनिमय के वास्तविक भुगतान भविष्य में होते हैं। यह दर, तत्काल दर से भी अधिक अथवा कटौती पर प्रकट की जाती है। इन्हें वायदा बाजार दरें भी कहते हैं।
(3) स्थिर विनिमय दर -
स्थिर दर अथवा निश्चित दर उस दर को संबोधित करती है जिस पर विनिमय सौदे, एक स्थिर दर पर होते हैं जिन्हें मौद्रिक अधिकारी निर्धारित करते हैं। वह इस दर को किसी नियम द्वारा अथवा करेंसी बाजार में हस्तक्षेप से निर्धारित करते हैं। वह करेन्सियों की ख़रीद-बिक्री, देश की आवश्यकताओं के आधार पर करते हैं।
(4) लोचशील अथवा परिवर्तित विनिमय दर -
यह विनिमय दरों की उस प्रणाली को संबोधित करती है जिसमें करेंसी के मूल्य को, विदेशी विनिमय की माँग तथा पूर्ति पर स्वतंत्र रूप से निर्धारित करने के लिए छोड़ दिया जाता है। इससे विनिमय दरें, माँग तथा पूर्ति की मात्राओं के आधार पर बदलती रहती हैं।
(5) बहुगुणी विनिमय दर -
यह उस प्रणाली को सम्बोधित करती है जिसमें विनिमय दरें, देश द्वारा एक से अधिक मात्रा में निर्धारित की जाती हैं। उदाहरण के तौर पर, आयातकों, निर्यातकों तथा विभिन्न देशों के लिए, विभिन्न विनिमय दरें निर्धारित करना।
(6) द्वि-श्रेणी दर प्रणाली -
यह बहुगुणी विनिमय दर प्रणाली का रूप होता है जिसमें एक देश दो दरें स्थापित करता है। इन दरों में एक दर ऊंची दर होती है जो व्यापारिक सौदों के लिए तय की जाती है। तथा दूसरी दर, नीची दर होती है जिसे पूंजी सौदों के लिए तय की जाती है।
(7) प्रबंधित तैरती दर (Managed floating rate) -
यह एक ऐसी प्रणाली है जिसमें एक देश की करेंसी को लोचशील रखा जाता है तथा विनिमय दर बाज़ारी शक्तियों के आधार पर परिवर्तित होती है, किन्तु इसमें सरकारी हस्तक्षेप द्वारा विनिमय दरों की लोचशीलता को निश्चित दरों तक सीमित रखा जा सकता है। भारत में वर्तमान समय में इस प्रकार की दर प्रचलित है।
उम्मीद है इस अंक के माध्यम आपने विनिमय दर कितने प्रकार की होती है (vinimay dar kitne prakar ki hoti hai?) अच्छी तरह जान लिया होगा। मुख्य रूप से विनियम दर के 3 प्रकार ही ज़्यादा प्रचलित हैं। और वो हैं स्थिर विनिमय दर, अस्थिर लोचपूर्ण विनिमय दर तथा प्रबंधित तैरती दर।
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