साधारणतः किसी दिए गए समय पर एक देश में सभी मौद्रिक वस्तुओं का योग उस राष्ट्र की संपत्ति कहलाती है। इस दृष्टि से देखा जाए तो एक देश की भूमि तथा उसकी उर्वरता, खनिज संपदा, फैक्ट्रियां, मशीनें, वस्तुओं का स्टॉक, भवन निवासियों की व्यक्तिगत प्रतिभाएं आदि सभी राष्ट्रीय संपत्ति (rashtriya sampatti) कहलाती हैं।
तो वहीं राष्ट्रीय पूंजी (rashtriya punji), किसी देश के नागरिकों द्वारा प्राप्त की गई व्यक्तिगत पूंजी तथा समाज या सरकार द्वारा प्राप्त की गई सामूहिक पूंजी का योग होती है। चलिए हम राष्ट्रीय सम्पत्ति तथा राष्ट्रीय पूंजी में अंतर (rashtriya sampatti tatha rashtriya punji me antar) जानते हैं।
राष्ट्रीय संपत्ति और राष्ट्रीय पूंजी में अंतर (Rashtriya sampatti aur rashtriya punji me antar)
राष्ट्रीय संपत्ति एवं राष्ट्रीय पूंजी में प्रमुख अंतर (rashtriya sampatti evam rashtriya punji me pramukh antar) निम्नलिखित है -
राष्ट्रीय संपत्ति | राष्ट्रीय पूंजी |
---|---|
1. राष्ट्रीय संपत्ति एक विस्तृत अवधारणा है। | 1. राष्ट्रीय पूंजी अपेक्षाकृत एक संकुचित अवधारणा है। |
2. राष्ट्रीय संपत्ति में मानव द्वारा निर्मित तथा प्रकृति द्वारा प्रदत्त निशुल्क, दोनों ही प्रकार की वस्तुओं को शामिल किया जाता है। | 2. राष्ट्रीय पूंजी में केवल मानव द्वारा निर्मित वस्तुओं को ही शामिल किया जाता है। |
3. राष्ट्रीय संपत्ति में पुनरुत्पादकीय दोनों प्रकार की वस्तुओं को शामिल किया जाता है। | 3. राष्ट्रीय पूंजी में केवल पुनरुत्पादकीय वस्तुओं को शामिल किया जाता है। |
4. राष्ट्रीय संपत्ति पर्याप्त मात्रा में होने पर भी देश के निवासी ग़रीब हो सकते हैं। | 4. राष्ट्रीय पूंजी की मात्रा के बढ़ने पर देश के निवासियों के जीवन स्तर में वृद्धि होती है। |
5. राष्ट्रीय संपत्ति सम्पूर्ण का एक योग अर्थात आय तथा पूंजी का योग होती है। | 5. राष्ट्रीय पूंजी, राष्ट्रीय संपत्ति का केवल एक भाग होती है। |
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