राष्ट्रीय पूंजी से आप क्या समझते हैं? | राष्ट्रीय पूँजी के घटकों की विवेचना कीजिए। | National Capital in hindi
वे सभी वस्तुएं जिनका राष्ट्र ने पीछे उत्पादन किया है और जो प्रयोग नहीं की गई हैं या जो नष्ट नहीं हुई हैं। राष्ट्र के नागरिकों द्वारा की गई व्यक्तिगत पूंजी तथा समाज या सरकार द्वारा प्राप्त की गई सामूहिक पूंजी के योग को राष्ट्रीय पूंजी (rashtriya punji) कहा जाता है।
राष्ट्रीय पूंजी से तात्पर्य (Rashtriya punji se tatparya) उन वस्तुओं के स्टॉक से है जिसमें व्यक्तिगत पूंजी तथा सार्वजनिक पूंजी सम्मिलित होती है। इन वस्तुओं का उत्पादन पिछले वर्ष हुआ होता है। परन्तु आगे और उत्पादन करने के लिए इनका प्रयोग चालू वर्ष के लिए होता है।
यदि हम पूंजी का अर्थ समझें तो पूंजी का आशय (Punji ka ashay) उस संपत्ति से होता है जिसका प्रयोग आगे या भविष्य में उत्पादन करने के लिए किया जाता है। पूंजी मनुष्यकृत होती है। भूमि तथा पूंजी में यही प्रमुख अंतर होता है। क्योंकि भूमि प्रकृतिदत्त होती है।
निजी पूंजी या व्यक्तिगत पूंजी से तात्पर्य (Vyaktigat punji se tatparya) उन सभी वस्तुओं से है जो कि व्यक्ति के स्वामित्व में है तथा उससे उसे आय प्राप्त होती है। अतः व्यवसाय में लगी मुद्रा या बैंक में जमा राशि, कंपनी के अंश या ऋणपत्र, वह वस्तुएं जो उपकरण की भांति उत्पादन में प्रयोग की जा रही है। उससे व्यवसाय की गुडविल आदि सभी व्यक्तिगत पूंजी में रखे जाते हैं।
किसी देश के नागरिकों द्वारा प्राप्त की गई व्यक्तिगत पूंजी तथा समाज या सरकार द्वारा प्राप्त की गई सामूहिक पूंजी का योग ही राष्ट्रीय पूंजी (Rashtriya punji) होती है। राष्ट्रीय पूंजी में केवल मानव निर्मित वस्तुओं को ही शामिल किया जाता है। तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो राष्ट्रीय पूंजी, राष्ट्रीय संपत्ति का एक भाग है।
इसलिए हम कह सकते हैं कि राष्ट्रीय पूंजी, उन वस्तुओं का स्टॉक है जिसमें व्यक्तिगत पूंजी तथा सार्वजनिक पूंजी सम्मिलित होती है। इन वस्तुओं का उत्पादन पिछले वर्ष हुआ होता है।
राष्ट्रीय पूंजी के घटक (Rashtriya punji ke ghatak)
राष्ट्रीय पूंजी (Rashtriya punji) में निम्नलिखित घटकों को सम्मिलित किया जाता है -
(1) भवन तथा इमारतें - इसके अन्तर्गत निजी आवास ग्रहों, व्यावसायिक इमारतों तथा सरकारी इमारतों व भवनों को शामिल किया जाता है।
(2) स्वर्ण और चांदी के भंडार - इसके अन्तर्गत देश के ऐसे स्वर्ण एवं चांदी के स्टॉक को शामिल किया जाता है जिसका प्रयोग विदेशी सौदों को निपटाने में किया जाता है।
(3) उपकरण - इसके अन्तर्गत तीन प्रकार की वस्तुओं को शामिल किया जाता है -
1. टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं - इसके अन्तर्गत फर्नीचर, स्कूटर, रेडियो, टी.वी. आदि को शामिल किया जाता है।
2. टिकाऊ उत्पादक वस्तुएं - इसके अन्तर्गत मशीन, औजार, फैक्ट्री आदि को शामिल किया जाता है।
3. सार्वजनिक संपत्ति - इसके अन्तर्गत राष्ट्रीय रेलवे, राजमार्ग, सड़क, पुल, बांध आदि को शामिल किया जाता है।
(4) सभी प्रकार की वस्तुएं - विभिन्न उत्पादकों व विक्रेताओं के पास उत्पादन तथा विक्रय के लिए तैयार कच्चा माल, अर्धनिर्मित माल, निर्मित माल आदि जो स्टॉक में है, वह सभी राष्ट्रीय पूंजी (rashtriya punji) में शामिल किया जाता है।
(5) शुद्ध विदेशी संपत्तियां - शुद्ध विदेशी संपत्तियों/परिसंपत्तियों से आय का सृजन होता है। इसलिए इसे भी राष्ट्रीय पूंजी में शामिल किया जाता है। हमारे देश के निवासी, दूसरे देशों में कुछ न कुछ विनियोग करते हैं। तथा दूसरे देश के निवासी कुछ न कुछ विनियोग हमारे देश में करते हैं। अतः देशवासियों की विनियोग राशि में से विदेशियों की विनियोग राशि को घटाने बाद जो शेष बचता है उसे शुद्ध विदेशी संपत्तियां कहा जाता है।
अन्य शब्दों में समझें तो, हमारे देश की विदेशों में स्थित वास्तविक परिसंपत्तियों के कुल योग में से, हमारे देश में स्थित विदेशी परिसंपत्तियों के कुल योग को घटाकर जो शेष बचता है उसे ही शुद्ध विदेशी संपत्तियां/परिसंपत्तियां कहते हैं।
उम्मीद है इस अंक के माध्यम से आपने "राष्ट्रीय पूंजी किसे कहते हैं? rashtriya punji kise kahate hain | राष्ट्रीय पूंजी के घटकों की विवेचना" को स्पष्ट रूप से समझ लिया होगा। ऐसे ही महत्वपूर्ण टॉपिक्स पढ़ने के लिए आप जुड़े रहिए studyboosting के साथ।
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