अर्थशास्त्र के विषय में वैसे तो अनेक परिभाषायें दी गयी हैं। जैसे कि धन संबंधी परिभाषा जिसके अंतर्गत धन को महत्व दिया गया। कल्याण संबंधी परिभाषा जिसमें कल्याण को महत्वपूर्ण माना गया। दुर्लभता संबंधी परिभाषा जिसमें साधनों की दुर्लभता से जूझते हुए आवश्यकता की तीव्रता के अनुसार साधनों का चुनाव करना महत्वपूर्ण बताया गया। यानि कि वैकल्पिक प्रयोग पर ज़ोर दिया गया।
विकास सम्बन्धी परिभाषा |
अर्थशास्त्र की परिभाषा संबंधी वाद-विवाद अभी समाप्त नहीं हुआ है। लेकिन किसी निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि अर्थशास्त्र की उपलब्ध सभी परिभाषाओं का तुलनात्मक विश्लेषण कर किसी निष्कर्ष पर पहुँचने का प्रयास कर लिया जाए।
चूँकि इस गतिशील युग में मनुष्य की आवश्यकताएं असीमित हैं। अर्थात मनुष्य की ज़रूरतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। यानि कि मनुष्य की समस्या, वर्तमान उपलब्ध संसाधनों के कुशलतम प्रयोग तक ही सीमित नहीं है। बल्कि उच्च जीवन स्तर प्राप्त करने की भी है। अतः सेम्युलसन जैसे आधुनिक अर्थशास्त्रियों ने एक गतिशील परिभाषा दी है। इनके अनुसार उच्च जीवन स्तर प्राप्त करने के लिए नित नए-नए संसाधन तलाशने होंगे। चलिये विकास की अवधारणा यानि कि विकास की परिभाषा को समझने का प्रयास करते है ।
सेम्युलसन की परिभाषा अनुसार- "अर्थशास्त्र में इस बात का अध्ययन किया जाता है। कि मनुष्य तथा समाज किस प्रकार, मुद्रा द्वारा अथवा मुद्रा के बिना, विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन के लिए वैकल्पिक प्रयोगों (alternative uses) वाले दुर्लभ साधनों का एक समय अवधि में प्रयोग करते हैंN। तथा किस प्रकार समाज के विभिन्न लोगों में इसका वितरण वर्तमान और भावी उपभोग करते हैं।
विकास संबंधी परिभाषा (Vikas sambandhi paribhasha) की मुख्य विशेषताओं को देेखते हैं जो कि निम्न है-
(1) अर्थशास्त्र का संबंध दुर्लभ, सीमित साधनों के उपयोग से है। इस परिभाषा में साधनों के वितरण के साथ-साथ उनके कुशलतम उपयोग पर भी बल दिया गया है। जिससे कि उच्च जीवन स्तर प्राप्त करने की इच्छा शक्ति में वृद्धि हो सके।
(2) आपने अभी पढ़ा है कि इसमें केवल संसाधनों के कुशलतम उपयोग की बात कही गयी है, बल्कि नये संसाधनों की खोज पर भी बल दिया गया है। जिससे उत्पदं क्षमता बढ़ावा दिया जा सके।
(3) इस परिभाषा में एक विशेष बात यह बतायी गई है कि इसके अंतर्गत वस्तुओं के उत्पादन को समय के एक निश्चित बिंदु के संदर्भ में ही नहीं। अपितु एक समय अवधि के संदर्भ में लेती है। यानि कि अर्थशास्त्र का संबंध वस्तुओं के वर्तमान एवं भावी उत्पादन दोनों के निर्धारण से है।
सेम्युलसन की विकास संबंधी परिभाषा को आपने भलीभाँति समझ लिया होगा। हम उम्मीद करते है हमारा यह अंक आपके अध्ययन सामग्री में अवश्य ही मददग़ार साबित होगा।
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