मांग की लोच किसे कहते हैं, अवधारणा, प्रकार | मांग की क़ीमत लोच की कितनी श्रेणियां होती हैं? | मांग की लोच की श्रेणियों का वर्णन कीजिए | Mang ki kimat loch ki shreniyon ki vyakhya kijiye | Mang ki loch ki kitni shreniyan hain? | Mang ki loch ke prakar bataiye
आप जानते हैं कि मांग का नियम, किसी वस्तु की क़ीमत में परिवर्तन होने के फलस्वरूप उसकी मांग में होने वाले परिवर्तन की दिशा को बताता है। किन्तु मांग का नियम यह बताने में असमर्थ होता है कि वस्तु की क़ीमत में परिवर्तन होने के फलस्वरुप वस्तु की मांग में कितना परिवर्तन होगा?
Table of Contents :1.1.1. मांग की क़ीमत लोच1.1.2. मांग की आय लोच1.1.3. मांग की आड़ी लोच1.2.1. लोचदार मांग1.2.2. अत्यधिक लोचदार मांग1.2.3. पूर्णतया लोचदार मांग1.2.4. बेलोचदार मांग1.2.5. पूर्णतया बेलोचदार मांग
माँग की लोच क्या है? | Mang ki loch kya hai? | Elasticity of demand in hindi
किसी वस्तु की क़ीमत में परिवर्तन के फलस्वरूप मांग की मात्रा में होने वाले परिवर्तन की दर को मांग की लोच (Elasticity of supply) कहा जाता है। इसे मांग की क़ीमत लोच (mang ki kimat loch) भी कहा जाता है।
किसी वस्तु की क़ीमत में परिवर्तन के फलस्वरूप मांग की मात्रा में होने वाले परिर्वतन की दर को मांग की लोच (Elasticity of demand) कहा जाता है। इसे मांग की क़ीमत लोच (mang ki kimat loch) कहा जाता है।
इसे Ep से दर्शाया जाता है। गणितीय रूप में मांग की लोच का सूत्र निम्न रूप से दर्शाया जाता है -
मांग की लोच के प्रकार (Types of elasticity of demand in hindi)
मांग की लोच निम्नलिखित तीन प्रकार की होती है -
(1) मांग की क़ीमत लोच
(2) मांग की आय लोच
(3) मांग की आड़ी लोच
(1) मांग की क़ीमत लोच (Price Elasticity of Demand)
मांग की क़ीमत लोच इस बात की व्याख्या करती है कि वस्तु की क़ीमत में परिवर्तन के फलस्वरूप उसकी मांग पर क्या प्रभाव पड़ता है।
हमने जो ऊपर मांग की लोच का अर्थ समझाया है। वास्तव में वह मांग की क़ीमत लोच ही है। मांग की लोच या मांग की क़ीमत लोच एक ही अर्थों में प्रयोग किए जाते हैं।
मांग की क़ीमत लोच, किसी वस्तु की क़ीमत में परिवर्तन के कारण, उसकी मांगी गई मात्रा में परिवर्तन की दर बताती है।
मांग की क़ीमत लोच ज्ञात करने के लिए क़ीमत में परिवर्तन के फलस्वरूप, मांग की मात्रा में आनुपातिक परिर्वतन को, क़ीमत में होने वाले आनुपातिक परिर्वतन से भाग दिया जाता है।
(2) मांग की आय लोच (Income Elasticity of Demand)
उपभोक्ता की आय में होने वाले परिवर्तनों का भी उसकी मांग पर प्रभाव पड़ता है। यदि उपभोक्ता की रुचि, फैशन, वस्तुओं की क़ीमतें स्थिर हों तो उपभोक्ता की आय बढ़ने पर, वस्तु की मांग में वृद्धि हो जाती है। और ठीक इसके विपरीत, उपभोक्ता की आय में कमी हो जाने पर, वस्तु की मांग में कमी हो जाती है। इस प्रकार उपभोक्ता की आय और वस्तुओं की मांग में सीधा संबंध होता है।
अतः मांग की आय लोच की धारणा का प्रयोग, अर्थशास्त्रियों ने उपभोक्ता की आय में होने वाले परिर्वतन का वस्तुओं की मांग पर पड़ने वाले प्रभाव को मैंने के लिए किया है।
अन्य बातें समान रहने पर, उपभोक्ता की आय में परिवर्तन के परिणामस्वरूप मांग की मात्रा में होने वाले परिर्वतन की दर को मांग की आय लोच कहा जाता है।
मांग की आय लोच ज्ञात करने के लिए आय में परिवर्तन के फलस्वरूप, मांग की मात्रा में आनुपातिक परिर्वतन को, आय में होने वाले आनुपातिक परिर्वतन से भाग दिया जाता है।
(3) मांग की आड़ी लोच (Cross Elasticity of Demand)
किसी एक वस्तु की क़ीमत में परिर्वतन होने से अन्य संबंधित वस्तुओं की मांग पर भी प्रभाव पड़ता है। जैसे- चाय और कॉफी एक दूसरे से संबंधित हैं। इसलिए चाय की क़ीमत में परिवर्तन होने पर कॉफी की मांग पर भी प्रभाव पड़ता है।
मांग की क़ीमत लोच का संबंध, एक वस्तु की क़ीमत में परिर्वतन का, उसी वस्तु की मांग में होने वाले परिर्वतन को मापने से होता है। इसलिए एक वस्तु के मूल्य में परिर्वतन का दूसरी वस्तु की मांग पर पड़ने वाले प्रभाव को जानने के लिए ही मांग की आड़ी लोच की धारणा प्रयुक्त की गई।
"मांग की आड़ी लोच, एक वस्तु के मूल्य में परिवर्तन के फलस्वरूप दूसरी वस्तु की मांग की मात्रा में होने वाले परिर्वतन की दर को बताती है।"
मांग की लोच की श्रेणियां (Categories of Elasticity of Demand in hindi)
वस्तुओं की क़ीमतों में परिवर्तन से सभी वस्तुओं की मांग में एकसमान दर से परिवर्तन नहीं होता है। कुछ वस्तुओं की क़ीमत में परिवर्तन से उसकी मांग में बहुत अधिक परिवर्तन होता है तो कुछ वस्तुओं में अपेक्षाकृत कम भी होता है। यानि कि हम कह सकते हैं कि कुछ वस्तुओं की मांग की लोच अधिक होती है तो कुछ वस्तुओं की मांग की लोच कम होती है।
इस आधार पर मांग की कीमत लोच की श्रेणियां (mang ki kimat loch ki shreniyan) निम्न 5 प्रकारों में बांटी गई हैं -
1. लोचदार मांग (Elastic Demand)
2. अत्यधिक लोचदार मांग (Highly Elastic Demand)
3. पूर्णतया लोचदार मांग (Perfectly Elastic Demand)
4. बेलोचदार मांग (Inelastic Demand)
5. पूर्णतया बेलोचदार मांग (Perfectly Inelastic Demand)
(1) लोचदार मांग (Elastic Demand)
जब किसी वस्तु की क़ीमत में होने वाले परिवर्तन के अनुपात में ही उस वस्तु की मांग में परिवर्तन होता है। तो ऐसी वस्तु की मांग, लोचदार मांग (lochdar mang) कहलाती है। उदाहरण के लिए यदि किसी वस्तु की क़ीमत में 10% की वृद्धि हुई जिससे उसकी मांग में भी 10% की ही कमी हो जाती है तब उसे लोचदार मांग कहेंगे।
चित्र में जब वस्तु की क़ीमत OP है तब वस्तु की मांग OQ है। जब वस्तु की क़ीमत OP1 हो जाती है तब वस्तु की मांग घटकर OQ1 हो जाती है। चित्र से स्पष्ट है कि वस्तु की बढ़ी हुई क़ीमत तथा वस्तु की घटी हुई मांग एक दूसरे के बराबर हैं। अतः मांग की लोच, इकाई के बराबर है।
(2) अत्यधिक लोचदार मांग (Highly Elastic Demand)
जब वस्तु की क़ीमत में होने वाले थोड़े से परिवर्तन के फलस्वरूप, उस वस्तु की मांग में अधिक परिवर्तन होता है तो उसे अत्यधिक लोचदार मांग (atyadhik lochdar mang) कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, वस्तु की मांग में होने वाला आनुपातिक परिवर्तन, वस्तु की क़ीमत में होने वाले आनुपातिक परिवर्तन से बहुत अधिक होता है।
चित्र में जब वस्तु की क़ीमत OP है तब वस्तु की मांग OQ है। लेकिन जब वस्तु की क़ीमत घटकर OP1 हो जाती है तब उसकी मांग भी OQ से बढ़कर OQ1 हो जाती है। चित्र से स्पष्ट है कि वस्तु की क़ीमत में हुई कमी की अपेक्षा उसकी मांग में होने वाली वृद्धि अपेक्षाकृत अधिक है। अतः वस्तु की मांग की लोच इकाई से अधिक है।
(3) पूर्णतया लोचदार मांग (Perfectly Elastic Demand)
यदि किसी वस्तु की क़ीमत में परिवर्तन न होने पर भी उसकी मांग में बहुत अधिक मात्रा में परिवर्तन हो तब ऐसी मांग को पूर्णतया लोचदार मांग (purnataya lochdar mang) कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, जब किसी वस्तु की क़ीमत में परिवर्तन न हो या अत्यंत सूक्ष्म परिवर्तन हो किन्तु उसकी मांग में अपेक्षाकृत अत्यधिक परिवर्तन हो जाए तो ऐसी मांग को पूर्णतया लोचदार मांग (purntaya lochdar mang) कहते हैं।
चित्र में OX अक्ष पर वस्तु की मांग तथा OY अक्ष पर वस्तु की क़ीमत दर्शाती गई है। जहां DD पूर्णतया लोचदार मांग वक्र दिखाया गया है। जो कि आधार रेखा OX के समानांतर है। चित्र से स्पष्ट है कि वस्तु की क़ीमत में परिवर्तन न होने पर भी उस वस्तु की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है। अतः वस्तु की मांग पूर्णतया लोचदार अर्थात अनंत कही जाएगी।
(4) बेलोचदार मांग (Inelastic Demand)
जब किसी वस्तु की मांग में होने वाला परिवर्तन, उसकी क़ीमत में होने वाले परिवर्तन से कम हो। अर्थात जब किसी वस्तु की मांग में आनुपातिक परिवर्तन, उसकी क़ीमत में होने वाले आनुपातिक परिवर्तन से कम हो तब ऐसी मांग को बेलोचदार मांग (belochdar mang) कहा जाता है।
चित्र में जब वस्तु की क़ीमत OP है तब वस्तु की मांग OQ है। लेकिन जब वस्तु की क़ीमत बढ़कर OP1 हो जाती है तब उसकी मांग भी घटकर OQ1 हो जाती है। चित्र से स्पष्ट है कि वस्तु की क़ीमत में हुई वृद्धि की अपेक्षा उसकी मांग में होने वाली कमी, क़ीमत में होने वाली वृद्धि की अपेक्षाकृत कम है। अतः वस्तु की मांग की लोच इकाई से कम है।
(5) पूर्णतया बेलोचदार मांग (Perfectly Inelastic Demand)
जब किसी वस्तु की क़ीमत में अत्यधिक परिवर्तन होने पर, उसकी मांग में कुछ भी परिवर्तन न हो तो ऐसी वस्तु की मांग को, पूर्णतया बेलोचदार मांग (purnataya belochdar mang) कहा जाता है। इस प्रकार की मांग में लोच का अभाव पाया जाता है। इसमें मांग रेखा, आधार रेखा पर लंब की तरह दिखाई देती है।
चित्र में DD वस्तु की मांग रेखा है। इसमें मांग रेखा OY अक्ष के समांतर है। चित्र से स्पष्ट है कि वस्तु की क़ीमत चाहे OP हो या OP1 हो, किन्तु वस्तु की मांग OD (PQ) ही है। अर्थात उसकी मांग में बिल्कुल भी परिवर्तन नहीं हो रहा है। अतः ऐसी स्थिति में मांग की लोच शून्य होती है।
उम्मीद है इस अंक से आपको मांग की लोच क्या है | मांग की लोच के कितने प्रकार होते हैं? | मांग की क़ीमत लोच की कितनी श्रेणियां होती हैं? स्पष्ट व सरलतम भाषा में जानने मिला होगा। यह अंक आपके अध्ययन में अवश्य ही सहायक साबित होगा। अर्थशास्त्र में ऐसे ही और भी महत्वपूर्ण टॉपिक्स पढ़ने के लिए बने रहिए हमारी वेबसाइट studyboosting.com के साथ।
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