कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। इस कथन की पुष्टि कीजिए | कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी क्यों कहा जाता है?

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्व इसलिए ज़्यादा है क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कृषि ही मुख्य आधार है और यहाँ के लोगों की आजीविका के लिए भी कृषि एक महत्वपूर्ण स्रोत है। भारतीय जनसंख्या का बड़ा हिस्सा कृषि से जुड़ा हुआ है और यह किसानों के लिए वित्तीय सुरक्षा भी प्रदान करता है।




कृषि उत्पादन, खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा, कृषि से बाज़ारों में उपयुक्त माल उत्पन्न होता है, जिससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर पैदा होते हैं।

कृषि के माध्यम से अनेक उद्योगों को भी उपयोग मिलता है, जैसे कि खाद्य प्रसंस्करण, वाणिज्य, और विनिर्माण सेक्टर। कृषि का महत्व भारतीय अर्थव्यवस्था के सामाजिक और आर्थिक संरचना में अत्यधिक महत्वबापूर्ण है और इसका सही विकास देश के प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। इस कथन के संदर्भ में आइए कुछ प्रमुख बिन्दुओं के माध्यम से व्याख्या करते हैं -

(1) सकल घरेलू उत्पादन में योगदान -
भारत का 25 प्रतिशत भाग प्राथमिक क्षेत्र पर निर्भर है, जिसमें कृषि एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। कृषि क्षेत्र का GDP में योगदान 18 से 51 प्रतिशत के आसपास रहा। गिरावट के साथ कहा जा सकता है कि गैर कृषि उत्पादन का सापेक्षित रूप से अधिक विकास हुआ है।

(2) भोजन व चारे की पूर्ति -
कृषि उत्पादन खाद्य सुरक्षा के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह भारत की आबादी की खाद्य आवश्यकताएं पूरी करने में मदद करती है। इन वस्तुओं का सेवन जनता अपने जीवन योग्य आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने के लिए करती है। कृषि से ही देश के करोड़ों लोगों को भोजन व करोड़ों पशुओं को चारा उपलब्ध होता है।

(3) रोज़गार -
भारत में कृषि, रोज़गार का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। भारत में लगभग 50 प्रतिशत से अधिक कार्यशील जनसंख्या कृषि क्षेत्र में लगी हुई है।

(4) आर्थिक योगदान - 
कृषि उत्पादन भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आर्थिक विकास को प्रोत्साहित किया जाता है।

(5) औद्योगिक कच्चा माल -
कृषि, उद्योगों के लिए आवश्यक कच्चे माल की आपूर्ति करती है जिसके द्वारा उद्योगों का विकास संभव हो पाता है। कच्चे माल के अभाव में किसी भी उद्योग का विकास किया जाना असंभव होता है। कृषि क्षेत्र से ही इन उद्योगों को भी सहायता मिलती है, जैसे कि खाद्य प्रसंस्करण, वाणिज्य, और विनिर्माण सेक्टर। परिणास्वरूप रोज़गार के अवसर भी पैदा होते हैं।

(6) घरेलू व्यापार में योगदान –
घरेलू व्यवसाय के क्षेत्र में भी कृषि का योगदान महत्वपूर्ण है। क्योंकि जनता अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कृषि वस्तुओं पर भारी व्यय करती है।

(7) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को योगदान -
कृषि द्वारा उत्पादित चाय, जूट, तंबाकू, कॉफी आदि का निर्यात कर विदेशी मुद्रा अर्जित की जाती है। जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा मिलता है। अतः विदेशी मुद्रा के अर्जन में भी कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है।

उपरोक्त ब्बिंदुओं से स्पष्ट होता है कि कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास और सामाजिक सुधार में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। साथ ही इसका सही विकास देश की प्रगति में मदद करता है। इसलिए निश्चित तौर पर यह कहना सत्य है कि "कृषि, भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है।"


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