सीमांत उपयोगिता एवं कुल उपयोगिता में अंतर | Difference between Total utility and Merginal utility in hindi

सीमांत उपयोगिता एवं कुल उपयोगिता के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए।

सामान्य शब्दों में यदि हम उपयोगिता को समझने का प्रयास करें तो उपयोगिता से तात्पर्य किसी वस्तु की आवश्यकता को संतुष्ट करने की शक्ति से होता है। अर्थात मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करने की क्षमता को ही उपयोगिता कहा जा सकता है।



इस अंक में हम सीमांत उपयोगिता तथा कुल उपयोगिता में अंतर क्या है? जानेंगे। लेकिन इसे जानने से पहले हम उपयोगिता, सीमांत उपयोगिता एवं कुल उपयोगिता के बारे में साधारण तौर पर जान लेते हैं।

उपयोगिता - किसी वस्तु का वह गुण, शक्ति या क्षमता जिसके द्वारा किसी व्यक्ति की आवश्यकताओं की पूर्ति (संतुष्टि) होती है। उपयोगिता कहलाती है।

सीमांत उपयोगिता - किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई के उपभोग से जो अतिरिक्त उपयोगिता प्राप्त होती है। सीमांत उपयोगिता कहलाती है।

कुल उपयोगिता - किसी वस्तु के उपभोग की समस्त इकाइयों की उपयोगिता के योगफल को ही कुल उपयोगिता कहा जाता है। 

आइए अब हम कुल उपयोगिता तथा सीमांत उपयोगिता में अंतर (kul upyogita tatha simant upyogita me antar) क्या है जानते हैं -


सीमांत उपयोगिता एवं कुल उपयोगिता में अंतर (Difference between Merginal utility and Total utility in hindi)



सीमांत उपयोगिता कुल उपयोगिता
1. उपभोग की गई इकाइयों में अंतिम इकाई से प्राप्त होने वाली उपयोगिता ही सीमांत उपयोगिता कहलाती है।                 1. उपभोग की जाने वाली समस्त इकाइयों की उपयोगिता का योगफल कुल उपयोगिता कहलाती है।
2. वस्तु का जैसे जैसे उपभोग बढ़ता है, सीमांत उपयोगिता कम होती चली जाती है। 2. वस्तु का जैसे जैसे उपभोग बढ़ता है, कुल उपयोगिता बढ़ती जाती है।
3. मूल्य निर्धारण के समय सीमांत उपयोगिता का महत्वपूर्ण योगदान होता है। 3. मूल्य निर्धारण के समय कुल उपयोगिता का कोई योगदान नहीं होता है।
4. पूर्ण संतुष्टि बिंदु आने पर सीमांत उपयोगिता लगातार घटते हुए शून्य हो जाती है।  4. पूर्ण संतुष्टि बिंदु आने पर कुल उपयोगिता अधिकतम होती है।


Some more topics : 







Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ