अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान | Apratyaksh maukhik anusandhan | Indirect Oral Research in hindi | अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान का अर्थ, परिभाषा, गुण, दोष एवं सावधानियां (Apratyaksh maukhik anusandhan ka arth, paribhasha, gun, dosh, savdhaniya)
ऐसा अनुसंधान जिसके अन्तर्गत अनुसंधानकर्ता, प्रत्येक व्यक्ति से मिलने के बजाय, किसी संबंधित व्यक्ति से पूछकर अप्रत्यक्ष रूप से जानकारी प्राप्त कर लेता हो। अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान (Apratyaksh Maukhik Anusandhan) कहलाता है।
इस अंक में हम अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान क्या है? (Apratyaksh maukhik anusandhan kya hai?) जानेंगे। साथ ही इसके गुण, दोष व इस अनुसंधान में की जाने वाली सावधानियों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान क्या है? |
जब अनुसंधान का क्षेत्र विस्तृत होता है। तो प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान करना संभव नहीं हो पाता है। ऐसी दशा में अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान (apratyaksh moukhik anusandhan) द्वारा समंक एकत्रित किए जाते है। इस विधि में अनुसंधानकर्ता किसी ऐसे व्यक्ति से जिसे अन्य व्यक्तियों के बारे में पूर्ण जानकारी है, सूचनाएं एकत्रित करता है। जिन व्यक्तियों से सूचनाएं प्राप्त की जाती हैं, वे साक्षी कहलाते हैं। इस पद्धति में यह आवश्यक नहीं होता कि जिनके बारे में जानकारी प्राप्त करनी हो उनसे अनिवार्य रूप से मिलकर जानकारी प्राप्त की जाए।
परिभाषा - "अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान एक ऐसी विधि है जिसके अन्तर्गत अनुसंधानकर्ता प्रत्येक व्यक्ति से प्रत्यक्ष रूप से न मिलकर, संबंधित व्यक्तियों से मिलकर अप्रत्यक्ष रूप से जानकारी प्राप्त कर लेता है।"
उदाहरण के लिए मान लीजिए आप किसी गांव में, अपने अनुसंधान के तहत लोगों से जानकारी एकत्रित करने पहुंचे हैं। यदि गांव बड़ा (विस्तृत क्षेत्र) हो और समय कम हो तो आप प्रत्येक व्यक्ति से न मिलते हुए किसी विशेष जगह पर बैठकर किसी विशेष व्यक्ति से, अन्य व्यक्तियों के बारे में पूछकर जानकारियां प्राप्त कर लेते हैं। जिससे आप कम समय में विस्तृत क्षेत्र में भी समंक एकत्रित कर लेते हैं।
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अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान के गुण (Apratyaksh maukhik anusandhan ke gun) | merits of Indirect Oral research in hindi
अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान के प्रमुख गुण (Apratyaksh maukhik anusandhan ke pramukh gun) निम्नलिखित हैं -
(1) यह रीति प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान की अपेक्षा अधिक मितव्ययी है। इस रीति में धन व परिश्रम दोनों हो कम खर्च करना पड़ता है।
(2) विस्तृत क्षेत्र के अनुसन्धान के लिए उपयुक्त है। इस रीति द्वारा व्यापक क्षेत्र की जानकारी कम समय में प्राप्त की। जा सकती है।
(3) इस रीति में समय की बचत होती है। क्योंकि अनुसंधानकर्ता को समस्त जानकारियां साक्षी से प्राप्त हो जाती है। उस प्रत्येक व्यक्ति से मिलने की आवश्यकता भी नहीं होती।
(4) इस रीति में समस्त सूचनाएं निष्पक्ष रूप से प्राप्त होती हैं। क्योंकि साक्षी प्रायः अन्य व्यक्तियों के बारे में बिना पक्षपात के जानकारी देता है।
(5) इस रीति में प्रायः विशेषज्ञों की सलाह भी प्राप्त हो जाया करती है। जिससे निष्कर्ष निकालना सुविधापूर्ण होता है।
(6) इस रीति की सहायता से ऐसी गुप्त सूचनाएँ भी प्राप्त की जा सकती हैं जिन्हें सूचक स्वयं के संबंध में गुप्त रखना चाहता था।
अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान के दोष | Apratyaksh maukhik anusandhan ke dosh | Demerits of Indirect Oral research in hindi
अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान के प्रमुख दोष (Apratyaksh maukhik anusandhan ke pramukh dosh) निम्नलिखित हैं -
(1) इस विधि में सम्बन्धित व्यक्ति से संपर्क किए बिना अप्रत्यक्ष रूप से जानकारी प्राप्त की जाती है इसलिए सूचनाएं संदेहास्पद होती हैं।
(2) इस विधि में साक्षी द्वारा पक्षपात किए जाने की संभावना बनी रहती है। क्योंकि कभी कभी साक्षी भी अन्य व्यक्तियों के बारे में पक्षपातपूर्ण जानकारियां दे देते हैं।
(3) इस प्रकार की रीति में साक्षी कभी कभी रुचि न लेने के कारण, लापरवाही के चलते ग़लत जानकारियां दे देते हैं। इसलिए परिणाम में शुद्धता की आशा नहीं की जा सकती।
(4) इस रीति में सूचनाएँ अलग अलग व्यक्तियों से प्राप्त की जाती है इसलिए उनमें एकरूपता का अभाव देखा जाता है। जिस कारण तुलना करना कठिन हो जाता है।
अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान संबंधी सावधानियाँ | Apratyaksh maukhik anusandhan sambandhi savdhaniya
अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान रीति (Apratyaksh maukhik anusandhan riti) का प्रयोग करते समय निम्नांकित सावधानियाँ बरतनी चाहिए -
(1) इस रीति के अन्तर्गत जो भी सूचनाएं एकत्रित की जाती हैं उन सूचनाओं से सम्बन्धित तथ्यों की पुष्टि कर लेना आवश्यक है।
(2) इस रीति में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सम्बन्धित व्यक्ति को हमारे उद्देश्य एवं संबंधित क्षेत्र के व्यक्तियों की पूर्ण व सही सही जानकारी होनी चाहिए।
(3) इस रीति में साक्षी से जानकारी प्राप्त करने से पहले यह जान लेना चाहिए कि वह किसी भी व्यक्ति की जानकारी देते समय पक्षपात पूर्ण रवैया न अपनाए।
(4) इस रीति में यह जान लेना महत्वपूर्ण है कि सूचना देने वाला व्यक्ति (साक्षी) मानसिक रूप से स्वस्थ है या नहीं।
उम्मीद है यह टॉपिक "अप्रत्यक्ष अनुसंधान क्या है? इसके गुण व अवगुण बताइए (apratyaksh anusandhan kya hai? iske gun evam avgun bataiye)" आपके अध्ययन में अवश्य मददगार साबित होगा। ऐसे ही महत्वपूर्ण टॉपिक्स पढ़ने के लिए बने रहिए StudyBoosting के साथ।
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