मुद्रा मूल्य एवं माप संबंधी प्रश्नोत्तरी | मुद्रा एवं मापन संबंधी 25 लघु उत्तरीय प्रश्न

मुद्रा आपूर्ति संबंधी प्रश्नोत्तरी | मुद्रा और बैंकिंग प्रश्न उत्तर | मुद्रा पूर्ति एवं मुद्रा मापन से जुड़ी लघु प्रश्नोत्तरी




मुद्रा की पूर्ति से अभिप्राय एक देश में किसी समय विशेष पर प्रचलन में मुद्रा की कुल मात्रा से होता है। इसमें लोगों के पास नकद मुद्रा (नोट तथा सिक्के) तथा व्यापारिक बैंकों के पास मांग जमा राशि सम्मिलित होती है। मुद्रा आपूर्ति की इस माप को निम्न रूप में व्यक्त किया जाता है।

M1 = करेंसी + मांग जमा

आइए हम इस अंक में मुद्रा की माप एवं मुद्रा मूल्य से जुड़े कुछ विशिष्ट प्रश्नों के उत्तर जानते हैं। हमें यक़ीन है इन्हें पढ़कर आपके अध्ययन में अवश्य सहायता मिलेगी।



प्रश्न 1 - प्रादिष्ट मुद्रा किसे कहते हैं?
Ans : प्रादिष्ट मुद्रा वह मुद्रा है जिसे सरकार द्वारा संकट के समय में जारी किया जाता है। यह सरकार के अनुज्ञा या आर्डर पर चलती है। इसलिए इसे वैधानिक मुद्रा भी कहा जाता है। ये ऐसी मुद्रा है जिनके पीछे कोई बैंकिंग नहीं होती है। मुद्राएं ऐसी होती है जिन्हें स्वीकार करना कानूनी बाध्यता होती है। 

वैधानिक मुद्रा सीमित ग्राहय गा असीमित ग्राहय दोनों हो सकती है। छोटे सिक्के सामान्यतया सीमित ग्राह्य मुद्रा होते हैं। जिन्हें एक सीमा तक ही भुगतान के माध्यम के रूप में स्वीकार करना वैधानिक अनिवार्यता होती है। उस सीमा के बाद इन्हें अस्वीकार किया जा सकता है।


प्रश्न 2 - भारत में मुद्रा पूर्ति को मापने के लिए, मुद्रा पूर्ति की सामान्यतया  कितनी माप प्रचलित हैं?
Ans : भारत में मुद्रा पूर्ति को मापने के लिए सामान्यतया 4 मापें M1,M2, M3 तथा M4 के रूप में प्रचलित हैं। जहां M1 को संकीर्ण मुद्रा तथा M3 को विस्तृत मुद्रा के नाम से जाना जाता है।


प्रश्न 3 - निकट मुद्रा किसे कहते हैं?
Ans : निकट मुद्रा वह परिसंपत्ति है जो मूल्य के संचय का कार्य पूरा करता है। तथा जिसे अल्प सूचना पर विनिमय के साधन में रूपांतरित किया जा सकता है। इसे नकदी, डिमांड डिपॉज़िट या किसी अन्य परिसंपत्ति के रूप में रखा जाता है जो मुद्रा के समीप है। यही कारण है कि इसे निकट मुद्रा कहा जाता है। यह मुद्रा की व्यापक माप प्रस्तुत करता है। उदाहरणार्थ पोस्टल आर्डर, CRF स्ट्राम, ट्रेज़री बिल, मांग जमा, ओवर ड्राफ्ट, क्रेडिट कार्ड, नाम/जमा कार्ड, डेबिट कार्ड आदि।


प्रश्न 4 - एस एल आर (SLR) क्या होता है?
Ans : यह वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) बैंकों के साथ निर्माण का एक प्रकार का प्रतिबंध है जिसे आर बी आई एक नीतिगत उपकरण के रूप में प्रयोग करता है। जब अर्थव्यवस्था मुद्रा स्फीति के दबाव की स्थिति में होती है। प्रारंभ में इसकी अधिकतम सीमा 40% एवं न्यूनतम सीमा 25% थी। लेकिन 2007 से अब इसकी कोई न्यूनतम निर्धारित सीमा नहीं है।



प्रश्न 5 - सी आर आर (CRR) से आप क्या समझते हैं?
Ans : देश में लागू बैंकिंग नियमों के तहत प्रत्येक बैंक को अपनी कुल कैश रिज़र्व का एक निश्चित हिस्सा बैंक के पास रखना होता है जिसे CRR (cash Reserve Ratio) नकद आरक्षित अनुपात कहलाता है।


प्रश्न 6 - मुद्रा आपूर्ति की सकल मौद्रिक माप किसे कहा जाता है?
Ans : M3 को मुद्रा आपूर्ति का सकल मौद्रिक माप कहा जाता है। अर्थात इस M3 को व्यापक मुद्रा भी कहा जाता है।

   M3 = M1 + बैंकों के पास लोगों को सावधि जमाएं

   M3 = करेंसी + बैंकों के पास मांग जमा + बैंकों के पास सावधि जमा

(M3 को विस्तृत मुद्रा या आरक्षित मुद्रा भी कहा जाता है।)


प्रश्न 7 - अधिदिष्ट मुद्रा किसे कहते हैं?
Ans2 : केंद्र सरकार द्वारा जारी नोट असीमित विधिक निविदाएं होती हैं। यही अधिदिष्ट मुद्रा कहलाती हैं। भारत में चलने वाले नोट एवं सिक्के वैधानिक (leagal) या अनुज्ञापित मुद्रा (Fiat money) के उदाहरण हैं। मुद्राएं सरकार के अनुज्ञा पर चलते हैं। अतः इन्हें स्वीकार करना कानूनी बाध्यता होती है।


प्रश्न 8 - ग्रेशम का नियम क्या है?
Ans : बुरी मुद्रा, अच्छी मुद्रा को चलन से बाहर कर देती है। ग्रेशम के अनुसार यदि किसी समय अर्थव्यवस्था में अच्छी व बुरी दोनों ही मुद्रा प्रचलन में हों। और बुरी मुद्रा आकार में सीमित न हो तो बुरी मुद्रा, अच्छी मुद्रा को प्रचलन से बाहर कर देती है। इसे ही ग्रेशम के नियम के रूप में जाना जाता है।


प्रश्न 9 - किस देश ने सर्वप्रथम काग़ज़ी मुद्रा की शुरुआत की थी?
Ans : स्वीडन ने। 1661 में पहला यूरोपीय बैंक जिसमें सर्वप्रथम काग़ज़ी मुद्रा का प्रचलन आरंभ किया था वह स्काटहोम बैंक, स्वीडन था।


प्रश्न 10 - उच्च शक्ति मुद्रा क्या होती है?
Ans : उच्च शक्ति मुद्रा वह है जो व्यापारिक बैंकों के पास आरक्षितों तथा जनता के पास करेंसी रूप में विद्यमान रहती है।
   
               H = C + RR + ER

     (जहां H - उच्च शक्ति मुद्रा, RR - आवश्यक रिज़र्व, ER - अतिरिक्त रिज़र्व एवं C - जनता के पास करेंसी)


प्रश्न 11 - भारत में नोट निर्गमन की न्यूनतम कोष प्रणाली कब प्रारंभ हुई?
Ans : 1956 से प्रारंभ हुई। 31 अक्टूबर 1957 के बाद से RBI के एक संशोधन के अनुसार पत्र मुद्रा के पीछे अब सोना, सोन के सिक्के तथा विदेशी प्रतिभूतियों की न्यूनतम मात्रा 200 करोड़ रुपए कर दिया गया। जिसमें 115 करोड़ मूल्य का सोना और 85 करोड़ रुपए की विदेशी प्रतिभूतियां होना आवश्यक माना गया है।


प्रश्न 12 - क्लासिक सिद्धांत के अनुसार, अर्थव्यवस्था में मुद्रा की आपूर्ति बढ़ने से क्या प्रभाव पड़ता है?
Ans : क्लासिक सिद्धांत के अनुसार, मुद्रा आपूर्ति में वृद्धि होने से बचतों में वृद्धि होती है। अर्थात यदि अर्थव्यवस्था  मुद्रा आपूर्ति वृद्धि हो जाए तो लोगों की बचत प्रवृत्ति बढ़ जाती है।


प्रश्न 13 - हॉट मनी (hot money) या रिफ्यूजी पूंजी किसे कहते हैं?
Ans : हॉट मनी (गर्म मुद्रा) उस विदेशी मुद्रा को कहा जाता है जिसमें शीघ्र पलायन करने की प्रवृत्ति होती है। यह जिस स्थान पर अधिक लाभ की संभावना होती है वहीं पलायन कर जाती है।



प्रश्न 14 - भारतीय रुपए को ₹ चिन्ह  प्रारूप किसने और कब दिया?
Ans : डी उदय कुमार ने 2010 में दिया। इस चिन्ह की रचना आई आई टी मुंबई से इंडस्ट्रीयल डिज़ायनिंग में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त डी विजय कुमार ने की। यह चिन्ह को वर्ष 2010 में अपनाया गया। इसे रोमन अक्षर R तथा देवनागरी के र से मिलते जुलते प्रतीक चिन्ह (₹) को रुपए के चिन्ह के रूप में स्वीकार किया गया।


प्रश्न 15 - सुलभ मुद्रा (Soft currency) अर्थात साफ़्ट  करेंसी से क्या तात्पर्य है?
Ans : साफ़्ट करेंसी एक ऐसी करेंसी है जिसकी पूर्ति अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में इसकी मांग से अधिक हो। सामान्य शब्दों कहें तो सत्ता भुगतान शेष घाटे।  कारण गिरते हुए विनिमय दर वाली मुद्रा को सुलभ मुद्रा (sulabh mudra) कहा जाता है। इस तरह की मुद्रा को अन्य देशों द्वारा विदेशी विनिमय कोष के भाग के रूप मेें नहीं रखा जाता है।



प्रश्न 16 - मुलायम मुद्रा से क्या तात्पर्य है?
Ans : मुलायम मुद्रा (mulayam mudra) से तात्पर्य ऐसी मुद्रा से है जो आसानी प्राप्त की जा सके। इसे ही साफ़्ट करेंसी (soft currency) कहा जाता है। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में मांग की तुलना में इसकी पूर्ति अधिक होती है जिस कारण इसे आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।


प्रश्न 17 - सस्ती मुद्रा तथा महंगी मुद्रा से क्या तात्पर्य है? 
Ans : सस्ती मुद्रा का अर्थ है मुद्रा को प्राप्त करने की लागत का घट जाना। किन्तु ठीक इसके विपरीत महंगी मुद्रा का अर्थ है मुद्रा को प्राप्त करने की लागत का बढ़ जाना।


प्रश्न 18 - साद्रश्य मुद्रा का क्या अर्थ है?
Ans : साद्रश्य मुद्रा वह परिसंपत्ति है जो मूल्य संचय के रूप में कार्य तो करती है किन्तु आसानी से नकदी में परिवर्तित भी की जा सकती है। अर्थात विनिमय के माध्यम के रूप में प्रयोग में लायी जा सकती है। सरल शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि साद्रश्य मुद्रा (sadrashya mudra) वह मुद्रा है जिसे मूल्य संचय के साथ साथ विनिमय के माध्यम के रूप में भी प्रयोग में लाया जा सके।


प्रश्न 19 - रिज़र्व मुद्रा से आप क्या समझते हैं?
Ans : जनता के पास चलन मुद्रा तथा बैंकों के पास नकदी को रिज़र्व मुद्रा कहा जाता है। M0 को आधार मुद्रा या प्रारक्षित मुद्रा कहा जाता है।


प्रश्न 20 - एच मुद्रा (H mudra) से क्या तात्पर्य है?
Ans : चक्रवर्ती समिति की रिपोर्ट के अनुसार प्रारक्षित मुद्रा अत्यधिक शक्तिमान मुद्रा, आधार मुद्रा के रूप में जानी जाती है। बैंकिंग क्षेत्र की साख़ सृजन शक्ति इसी मुद्रा पर निर्भर करती है। सरल शब्दों में कहा जाए तो रिज़र्व मुद्रा और आधार मुद्रा दोनों को ही एच मुद्रा कहा जा सकता है।


प्रश्न 21 - "मुद्रा को मानव जाति  लिए अनेक वरदानों का स्रोत है, यदि नियंत्रित न कि जाए तो विपत्ति और विभ्रम  स्रोत हो जाती है।" इस कथन को किसने कहा है?
Ans : डी. एच. रॉबर्टसन



प्रश्न 22 - पदार्थ मुद्रा अथवा यथार्थ मुद्रा किसे कहते हैं?
Ans : यथार्थ मूल्य युक्त मुद्रा को पदार्थ मुद्रा भी कहते हैं क्योंकि इस तरह की मुद्रा का बाह्य मूल्य उस मुद्रा के आंतरिक मूल्य के बराबर होता है जिससे वह मुद्रा बनी है।


प्रश्न  23 - वाह्य मुद्रा किसे कहते हैं?
Ans : ऐसी मुद्रा जिसे रिज़र्व बैंक (RBI) जारी करती है वाह्य मुद्रा कहलाती है।


प्रश्न 24 - विधिग्राह्य मुद्रा किसे कहते हैं?
Ans : सरकार द्वारा वैधानिक स्वीकृति प्राप्त मुद्रा को विधिग्राह्य मुद्रा कहा जाता है। जैसे भारतीय नोट।


प्रश्न 25 - स्मार्ट मुद्रा (smart money) का अर्थ क्या है?
Ans : क्रेडिट कार्ड तथा डेबिट कार्ड को स्मार्ट मुद्रा कहा जाता है। क्योंकि क्रेडिट कार्ड नकद मुद्रा का प्रभावी स्थानापन्न है। यह तरल मुद्रा के रूप में प्रयोग किया जाता है। क्रेडिट कार्ड उधार लेने का एक अत्यंत सरल तरीक़ा है। जब कोई व्यक्ति इसके द्वारा भुगतान करता है तो वह क्रेडिट कार्ड निर्गतक कंपनी को किसी आगामी तिथि (बाद की तिथि) पर भुगतान करने का वादा करता है।


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