प्रामाणिक मुद्रा तथा सांकेतिक मुद्रा क्या है, प्रामाणिक मुद्रा क्या है, सांकेतिक मुद्रा क्या है, प्रामाणिक मुद्रा तथा सांकेतिक मुद्रा में अंतर क्या है?
हम आपको बता दें कि प्रामाणिक मुद्रा और सांकेतिक मुद्रा, धातु मुद्रा (dhatu mudra) के प्रकार हैं। यदि मुद्रा का पदार्थ के आधार पर वर्गीकरण किया जाए तो पदार्थ के आधार पर मुद्रा (mudra) को दो भागों में विभाजित किया जाता है -
(क) धातु मुद्रा (Metalic money) तथा
(ख) पत्र मुद्रा (Paper money)
(क) धातु मुद्रा क्या है? (Dhatu Mudra kya hai?)
ऐसी मुद्रा, जो धातु जैसे- सोना, चांदी, तांबा, गिलट आदि से बनी होती है। धातु मुद्रा कहलाती है। प्राचीन काल में सोने चांदी की मुद्रा ही प्रचलन में थी। इन मुद्राओं की ख़ास बात यह थी कि इनका आंतरिक और बाह्य मूल्य बराबर होता था। आजकल इन मूल्यवान धातुओं से बनी मुद्रा का प्रचलन नहीं है। इसके स्थान पर पत्र मुद्रा (काग़ज़ी मुद्रा) प्रचलन में है।
धातु मुद्रा के प्रकार (Dhatu mudra ke prakar)
धातु मुद्रा (dhatu mudra) दो प्रकार की होती है -
1. प्रामाणिक मुद्रा (Standard money)
2. सांकेतिक मुद्रा (Token money)
1. प्रामाणिक मुद्रा (Standard money)
ऐसी मुद्रा जिसके द्वारा किसी देश में वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य आंका जाता है। तथा जिसका मुद्रा मूल्य उसमें लगी हुई धातु के मूल्य के बराबर होता है। प्रामाणिक मुद्रा (standard money in hindi) कहलाती है। यह देश की प्रधान मुद्रा (pradhan mudra) कहलाती है। यह असीमित विधिग्राह्य मुद्रा होती है जिसकी स्वतंत्र ढलाई की जाती है।
सरल शब्दों में हम प्रामाणिक मुद्रा का अर्थ (Pramanik mudra ka arth) जानें, तो देश की ऐसी प्रधान मुद्रा जिसका अंकित मूल्य उसके वास्तविक मूल्य के बराबर होता है। तथा जो असीमित विधिग्राह्य मुद्रा होती है और जिसकी ढलाई स्वतंत्र मुद्रा के रूप में होती है। ऐसी मुद्रा को प्रामाणिक मुद्रा (pramanik mudra) कहा जाता है। यह मुद्रा सोने अथवा चांदी की बनी होती है।
2. सांकेतिक मुद्रा (Token money)
ऐसी मुद्रा जिसका अंकित मूल्य उसके वास्तविक मूल्य (धात्विक मूल्य) से अधिक होता है। इसका प्रयोग सहायक मुद्रा के रूप में किया जाता है। यह सीमित विधिग्राह्य मुद्रा होती है। ऐसी मुद्रा को सांकेतिक मुद्रा (sanketik mudra) कहा जाता है।
सांकेतिक मुद्रा (token money in hindi) में वस्तुओं एवं सेवाओं का मूल्य निर्धारित नहीं होता है। यह मुद्रा प्रायः घटिया एवं हल्की क़िस्म की धातु से निर्मित की जाती है। सामान्य शब्दों में जानना चाहें तो यही सांकेतिक मुद्रा का अर्थ (Sanketik mudra ka arth) है।
प्रामाणिक मुद्रा और सांकेतिक मुद्रा में अंतर (Pramanik mudra aur Sanketik mudra me antar)
धातु मुद्रा के प्रकार, प्रामाणिक मुद्रा तथा सांकेतिक मुद्रा में अंतर (pramanik mudra tatha Sanketik mudra me antar) निम्नलिखित है -
प्रामाणिक मुद्रा | सांकेतिक मुद्रा |
---|---|
1. प्रमाणिक मुद्रा देश की प्रधान मुद्रा होती है। | 1. सांकेतिक मुद्रा देश की सहायक मुद्रा होती है। |
2. इस मुद्रा का अंकित मूल्य एवं वास्तविक मूल्य समान होता है। | 2. इस मुद्रा का अंकित मूल्य इसके वास्तविक मूल्य से अधिक होता है। |
3. यह असीमित विधिग्राह्य होती है। | 3. यह सीमित विधिग्राह्य होती है। |
4. प्रामाणिक मुद्रा की ढलाई स्वतंत्र रूप से होती है। | 4. सांकेतिक मुद्रा का टंकण सीमित मात्रा में होता है। |
5. प्रामाणिक मुद्रा में वस्तुओं एवं सेवाओं का मूल्य निर्धारित होता है। | 5. सांकेतिक मुद्रा में वस्तुओं एवं सेवाओं का मूल्य निर्धारित नहीं होता है। |
6. प्रामाणिक मुद्रा को सोना, चांदी या इनके मिश्रण से निर्मित किया जाता है। | 6. सांकेतिक मुद्रा प्रायः घटिया या हल्की क़िस्म की धातु से निर्मित किया जाता है। |
(ख) पत्र मुद्रा (Paper money in hindi)
पत्र मुद्रा एक विशेष प्रकार के काग़ज़ पर छापे हुए नोट होते हैं, जो सरकार अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा निर्गमित किए जाते हैं। इन पर सरकार की गारंटी होती है। ये असीमित विधिग्राह्य होते हैं। एक विशेष बात यह है कि इस मुद्रा का अपना स्वयं का कोई मूल्य नहीं होता है। पत्र मुद्रा क्या है? पत्र मुद्रा के गुण व दोष क्या है? आप इसे क्लिक कर पढ़ सकते हैं।
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