योजना अवधि के दौरान औद्योगिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक को ही अग्रणी भूमिका क्यों सौंपी गई? | भारत में सार्वजनिक उपक्रमों का औद्योगिक विकास में क्या योगदान है?

नियोजन काल के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र को मुख्य भूमिका क्यों सौंपी गई? | भारत में सार्वजनिक क्षेत्र का क्या महत्व है?




भारत में आर्थिक नियोजन (arthik niyojan) की प्रक्रिया पूर्ण रूप से सरकार द्वारा ही संपन्न कराई गई थी। इसलिए सरकार द्वारा आर्थिक नियोजन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्रों के विकास पर अधिक ज़ोर दिया गया था जिसके मुख्य कारण निम्न थे -

1. भारतीय जनता की निर्धनता एवं पिछड़ापन -
भारत की अधिकांश जनता निर्धन एवं पिछड़ी हुई थी। जिनका उत्थान निजी क्षेत्रों के द्वारा किसी भी क़ीमत पर संभव नहीं हो सकता था। इस समस्या का समाधान केवल सार्वजनिक क्षेत्रों द्वारा ही संभव हो सकता था।

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2. प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग करना -
निजी क्षेत्र, देश के प्राकृतिक संसाधनों का सही सही इस्तेमाल करने के बजाय अपनी आवश्यकता के अनुसार इनका दुरुपयोग भी कर सकते थे। अतः प्राकृतिक संसाधनों के उचित विदोहन के लिए सार्वजनिक क्षेत्र को यह दायित्व सौंपना अत्यंत आवश्यक था। ताकि इन समस्त संसाधनों का देश के विकास के लिए सदुपयोग किया जा सके।

3. निजी क्षेत्र के सामर्थ्य से बाहर होना - 
देश में कई क्षेत्र ऐसे भी थे जिनका विकास करना, उन क्षेत्रों के लिए विशेष योजनाओं को लागू करना आदि, निजी क्षेत्रों के सामर्थ्य से बाहर था। अतः ऐसे क्षेत्रों के विकास के लिए सार्वजनिक क्षेत्रों का विस्तार करना आवश्यक था। 

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4. धन की असमानता को दूर करना -
चूंकि निजी क्षेत्र, देश की जनता के बीच धन की असमानता को कम करने के बजाय बढ़ाने का काम ही कर सकते थे। उनके लिए यह कार्य संभव ही नहीं था। इसलिए सार्वजनिक क्षेत्रों के हाथों में यह कार्य सौंपा गया। क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र बहुत हद तक देश की जनता के बीच धन की इस असमानता को दूर करने में सक्षम थे।

5. रोज़गार के अवसरों में वृद्धि -
देश के नौजवानों को समान रूप से रोज़गार के अवसर प्रदान करना सार्वजनिक क्षेत्र के द्वारा ही संभव हो सकता था। देश के विभिन्न क्षेत्रों के श्रमिकों को समान रूप से रोज़गार के अवसर देने का कार्य सार्वजनिक क्षेत्रों के द्वारा योजनाकाल में बहुत हद तक किया गया। 


6. मज़बूत औद्योगिक आधार बनाना -
चूंकि निजी क्षेत्रों के द्वारा औद्योगिक विकास तो किया जा सकता था लेकिन इस विकास में केवल निजी तौर पर लाभ पहुंचाने वाले उद्योगों पर ज़ोर दिया जाता। लघु एवं कुटीर उद्योगों अर्थात देश के ग्रामीण स्तर पर कार्य कर रहे छोटे उद्योगों को दरकिनार कर दिया जाता। अतः देश में एक मज़बूत औद्योगिक आधार बनाने का कार्य सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा ही संभव हो सकता था।

देश के आर्थिक विकास और औद्योगिकीकरण में विशेष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है। आर्थिक विकास के लिए आधारभूत ढांचा तैयार करने में सार्वजनिक क्षेत्र का विशेष योगदान होता है। सार्वजनिक क्षेत्र ही निवेश को प्रोत्साहन, बचत बढ़ाने, विदेशी मुद्रा अर्जित करने, उचित मूल्य पर आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराने, स्वास्थ्य और शिक्षा पर जोर देने जैसा कार्य अच्छी तरह करने में सक्षम है।


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