अर्थव्यवस्था का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning & definition of economy in hindi)
इस अंक में आज हम अर्थव्यवस्था के विषय में पढ़ेंगे। अर्थात "अर्थव्यवस्था= अर्थ + व्यवस्था।" जहां अर्थ यानि कि धन, सम्पत्ति अथवा मुद्रा। और व्यवस्था यानि कि कार्यप्रणाली, जिसमें विभिन्न चरणों मे ऐसी प्रक्रियाएँ जिसमें धन अर्थात लोगों की आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु की जाने वाली सामाजिक व्यवस्था।
जिस प्रकार मानव शरीर के लिए भोजन, पाचन प्रक्रिया तथा परिश्रम आवश्यक होता है, ठीक उसी प्रकार अर्थव्यवस्था (arthvyavastha) को सुचारू रूप से चलायमान रखने के लिये उत्पादन, उपभोग, विनियोग एवं वितरण जैसी प्रक्रियाएँ आवश्यक होती हैं। सीधी भाषा में कहें तो अर्थव्यवस्था उत्पादन, वितरण एवं खपत संबंधी एक सामाजिक व्यवस्था है।
• अर्थव्यवस्था का अर्थ एवं परिभाषा • अर्थव्यवस्था के प्रकार - पूंजीवादी, समाजवादी व मिश्रित अर्थव्यवस्स्था • पूंजीवादी अर्थव्यवस्था • पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की विशेषताएं • समाजवादी अर्थव्यवस्था• समाजवादी अर्थव्यवस्था की विशेषताएं • मिश्रित अर्थव्यवस्था
• मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताएं
• मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताएं
अर्थव्यवस्था का अर्थ एवं परिभाषा (Arthvyavastha ka arth evam paribhasha)
अर्थव्यवस्था (arthvyavastha) एक ऐसी प्रणाली है जो लोगों को जीविका प्रदान करती है। अर्थव्यवस्था में उत्पादन, विनिमय, वितरण आदि क्रियाओं के सम्मिलित होने के कारण लोगों की आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता मिलती है। इन्हीं उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन किया जाता है ताकि लोगों की अधिकतम आवश्यकता को संतुष्ट किया जा सके।
इस प्रकार अर्थव्यवस्था के अंतर्गत उन सभी इकाइयों को शामिल किया जाता है जो विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन में सहायक होती है। चाहे वे इकाइयाँ बड़े पैमाने की हों अथवा छोटे पैमाने की, ग्रामीण क्षेत्रों में हों या शहरी क्षेत्रों में, निजी क्षेत्र की हों या सार्वजनिक क्षेत्र की।
दूसरे शब्दों में, "अर्थव्यवस्था उत्पादन इकाइयों का समूह होती है जो कि एक निर्धारित भौगोलिक क्षेत्र में स्थित है।" एक देश की अर्थव्यवस्था में कृषि, उद्योग, व्यापार, सेवा आदि क्षेत्र मिलकर राष्ट्रीय उत्पादन का निर्माण करते हैं।
प्रो. ए. जे. ब्राउन के अनुसार, "अर्थशास्त्र से अभिप्राय, एक ऐसी प्रणाली से है जिसके द्वारा लोग जीविका प्राप्त करते हैं।"
प्रो. डब्ल्यू. एन. लुक्स के अनुसार, अर्थशास्त्र में उन सभी संस्थाओं को शामिल किया जाता है, जिन्हें व्यक्ति, राष्ट्र या राष्ट्रों के किसी निश्चित समूह ने ऐसे साधनों के रूप में चुना है, जिनके द्वारा संसाधनों का उपयोग मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ती करने के लिए किया जा सके।
इस प्रकार, उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि अर्थव्यवस्था एक ऐसी प्रणाली है जिसमें सभी प्राकृतिक, मौलिक एवं मानवीय संसाधनों का प्रयोग करके विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन किया जाता है। ताकि समाज के सभी लोग अपने जीवन में मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति भलीभांति कर सकें। साथ ही इस व्यवस्था या प्रक्रिया से जीविका प्राप्त कर सकें।
अर्थव्यवस्था के प्रकार (Types of Economy in hindi)
सामान्यतया अर्थव्यवस्था तीन प्रकार की होती हैं-
1) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था (Capitalist Economy)
2) समाजवादी अर्थव्यवस्था (Socialist Economy)
3) मिश्रित अर्थव्यवस्था (Mixed Economy)
(1) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था (Capitalist Economy in hindi)
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का प्रारम्भ 18वीं शताब्दी में इंग्लैंड में हुई औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप हुआ माना जाता है। इस अर्थव्यवस्था के अंतर्गत उत्पत्ति के साधनों पर निजी स्वामित्व होता है तथा इन साधनों को लाभ अर्जित करने के उद्देश्य से विभिन्न कार्यों में प्रयोग करने की स्वतंत्रता होती है। ज़्यादातर इस व्यवस्था में उत्पादन के समस्त साधनों पर निजी स्वामित्व पाया जाता है। अन्य शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि पूँजीवाद एक ऐसी आर्थिक पद्धति है जिसके अंतर्गत पूँजी के निजी स्वामित्व, उत्पादन के साधनों पर व्यक्तिगत नियंत्रण, स्वतंत्र औद्योगिक प्रतियोगिता और उपभोक्ता द्रव्यों के अनियंत्रित वितरण की व्यवस्था होती है।
अर्थात यह निजीकरण जैसा ही है, जिसके अंतर्गत चहुँओर पूंजीवादी अर्थव्यवस्था (punjivadi arthvyavastha) को पुरज़ोर बढ़ावा मिल रहा है। यह व्यवस्था पूर्ण रूप से पूंजीपतियों की पक्षधर है। इस पूँजीवादी व्यवस्था में पूंजीपतियों को सम्पूर्ण अधिकार प्राप्त होते हैं। वे स्वतंत्र रूप से अपने अपने अधिकारों का प्रयोग एवं नीति नियम लागू कर सकते हैं। ताकि अधिकतम लाभ अर्जित कर सकें।
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ (Characteristics of Capitalist economy in hindi)
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ (punjivadi arthvyavastha ki visheshtaen) निम्नलिखित हैं-
(1) निजी संपत्ति का अधिकार- इस अर्थव्यवस्था में निजी संपत्ति का अधिकार होता है। प्रत्येक व्यक्ति को संपत्ति प्राप्त करने, रखने, प्रयोग करने तथा उसका क्रय विक्रय करने का पूर्ण अधिकार होता है। वह इस निजी संपत्ति को अपने उत्तराधिकारियों को हस्तांतरित भी कर सकता है।
(2) आर्थिक स्वतंत्रता- पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में प्रत्येक व्यक्ति को पूर्ण स्वतंत्रता होती है। ताकि वह व्यक्ति अपने इच्छानुसार किसी भी व्यवसाय को चुन सके। व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वतंत्र होता है अपने अनुसार किसी भी काम को करने के लिए।
(3) लाभ का प्रमुख उद्देश्य- पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में लाभ का उद्देश्य प्रमुख होता है। व्यक्ति केवल उन कार्यों को संपादित करता है। जिसमें उसे अधिकतम लाभ की प्राप्ति हो सके।
(4) क़ीमत यंत्र- पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का संचालन एवं समन्वय क़ीमत यंत्र द्वारा ही होता है। अर्थात उत्पादन, उपभोग एवं विनियोग सभी कीमतों द्वारा ही निर्धारित होते हैं।
(5) उपभोक्ता की सार्वभौमिकता- पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में प्रत्येक उपभोक्ता को सार्वभौमिक सत्ता प्राप्त होती है, ताकि उपभोक्ता अपनी आय को इच्छानुसार अपनी मनपसंद वस्तुओं पर व्यय कर सके।
(6) स्वतंत्र प्रतियोगिता- पूँजीवादी अर्थव्यवस्था स्वतंत्र प्रतियोगिता पर आधारित होती है। इस अर्थव्यवस्था में क्रेता, विक्रेता, उत्पादक और श्रम पर्याप्त संख्या में होते हैं तथा वे आपस में स्वतंत्र रूप से एक दूसरे से प्रतियोगिता करते हैं।
(2) समाजवादी अर्थव्यवस्था (Socialist Economy in hindi)
ऐतिहासिक विकासक्रम में समाजवादी अर्थव्यवस्था का स्थान पूँजीवाद के बाद आता है। सोवियत रूस में 1917 की क्रांति के बाद सर्वप्रथम समाजवादी अर्थव्यवस्था Samajvadi arthvyavastha को अपनाया गया। इस अर्थव्यवस्था के अंतर्गत उत्पादन के साधनों का समाजीकरण, आय का समान वितरण तथा व्यक्तियों में कुछ सीमा तक आधारभूत स्वतंत्रताएँ पायी जाती हैं।
वैसे तो समाजवाद की परिभाषा बता पाना कठिन है। यह सिद्धांत तथा आंदोलन, दोनों ही है और यह विभिन्न ऐतिहासिक और स्थानीय परिस्थितियों में विभिन्न रूप धारण करता रहता है। मूलत: यह वह आंदोलन है जो उत्पादन के मुख्य साधनों के समाजीकरण पर आधारित वर्ग विहीन समाज स्थापित करने के लिए प्रयत्नशील है और जो मजदूर वर्ग को इसका मुख्य आधार बनाता है, क्योंकि वह इस वर्ग को शोषित वर्ग मानता है जिसका ऐतिहासिक कार्य वर्ग व्यवस्था का अंत करना है।
समाजवादी अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ (Characteristics of Socialist economy in hindi)
आइये अब समाजवादी अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं (samajvadi arthvyavastha ki visheshtaen) को समझने का प्रयास करते हैं जो निम्नलिखित हैं-
(1) उत्पादन के साधनों पर समाज का स्वामित्व- समाजवादी अर्थव्यवस्था में उत्पत्ति के साधनों पर समाज का स्वामित्व होता है। अतः उत्पादक संपत्ति, जैसे- भूमि, पूँजी आदि का प्रयोग निजी लाभ के लिए न करते हुए सामाजिक उद्देश्य के लिए किया जाता है।
(2) उत्पादन संबंधी निर्णय सरकार द्वारा- समाजवादी अर्थव्यवस्था में उत्पादन सम्बन्धी सभी निर्णय सरकार द्वारा लिए जाते हैं। अर्थात समाजवादी अर्थव्यवस्था में आर्थिक स्वतंत्रता का अभाव होता है।
(3) क़ीमत-यंत्र का महत्वपूर्ण स्थान नहीं- समाजवादी अर्थव्यवस्था में क़ीमत यंत्र का महत्वपूर्ण स्थान नहीं होता, केवल वस्तुओं के वितरण एवं आर्थिक लेखांकन में ही इनका सहारा लिया जाता है।
(4) आर्थिक नियोजन का महत्वपूर्ण स्थान- समाजवादी अर्थव्यवस्था में आर्थिक नियोजन का महत्वपूर्ण स्थान होता है। योजना आयोग ही उत्पादन संबंधी सभी निर्णय लेता है।
(5) प्रतियोगिता का अभाव- समाजवादी अर्थव्यवस्था में उत्पादन के साधनों पर सरकार का नियंत्रण होने के कारण प्रतियोगिता का अभाव पाया जाता है।
(6) आर्थिक समानता का पाया जाना- समाजवादी अर्थव्यवस्था में उत्पादन साधनों पर सामाजिक स्वामित्व के कारण आर्थिक समानतायें पायी जाती हैं। धन व आय के वितरण में जो भी थोड़ी बहुत असमानताएं होती हैं वह अपनी कुशलता के गुण के कारण ही होती हैं।
(3) मिश्रित अर्थव्यवस्था (Mixed Economy in hindi)
आधुनिक समय में एक नई अर्थव्यवस्था का विकास हुआ है, जो मिश्रित अर्थव्यवस्था के नाम से जानी जाती है। भारत के साथ साथ अन्य विकासशील अर्थव्यवस्थाओं ने इस प्रणाली को अपनाया है। मिश्रित अर्थव्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जो अलग अलग बाज़ार एवं विभिन्न योजनाओं का मिश्रण है। इसमें निजी क्षेत्र तथा सरकार का हस्तक्षेप होता है। अर्थात ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमे सार्वजनिक स्वामित्व तथा निजी स्वामित्व का मिश्रण हो।
मिश्रित अर्थव्यवस्था के अंतर्गत पूंजीवाद एवं समाजवाद दोनों के दोषों को दूर करने का प्रयत्न करके इन दोनों के बीच के रास्ते को अपनाया जाता है। वास्तव में मिश्रित अर्थव्यवस्था एक ऐसी प्रणाली है जिसमें निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्र दोनों का सह-अस्तित्व होता है।
दोनों के कार्य करने के क्षेत्र निर्धारित कर दिए जाते हैं और दोनों की कार्य करने की प्रणाली इस प्रकार होती है, जिससे देश के सभी वर्गों के आर्थिक कल्याण में वृद्धि हो तथा आर्थिक विकास की गति तीव्र हो जाये। भारत मिश्रित अर्थव्यवस्था (mishrit arthvyavastha) का एक अच्छा उदाहरण है।
• अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याओं की विवेचना कीजिये। What are the central problems of the economy?
मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ Characteristics of Mixed economy in hindi)
मिश्रित अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ (mishrit arthvyavastha ki visheshtaen) निम्नलिखित हैं-
(1) निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र का सह अस्तित्व- मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र का पर्याप्त मात्रा में साथ-साथ पाया जाना है।
(2) लाभ उद्देश्य एवं कीमत यंत्र- मिश्रित अर्थव्यवस्था में लाभ उद्देश्य तथा कीमत-यंत्र को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त होता है।
(3) आर्थिक स्वतंत्रता का पाया जाना- मिश्रित अर्थव्यवस्था में आर्थिक स्वतंत्रता पायी जाती है, लेकिन यह पूंजीवाद की तुलना में कम होती है। व्यक्ति अपना व्यवसाय चुनने के लिए स्वतंत्र होता है।
(4) आय व संपत्ति का अधिक वितरण- मिश्रित अर्थव्यवस्था में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की तुलना में आय व संपत्ति का अधिक समान वितरण होता है।
(5) आर्थिक नियोजन का अपनाया जाना- मिश्रित अर्थव्यवस्था में आर्थिक नियोजन को अपनाया जाता है।
अर्थात, इस अंक में हमने यह जाना कि "अर्थव्यवस्था चाहे पूँजीवादी हो, समाजवादी हो अथवा मिश्रित हो। इन सभी व्यवस्थाओं के अंतर्गत आर्थिक गतिविधियों का ही संचालन किया जाता है।"
ताकि मनुष्य अपने अनुरूप अपनी जीविका के संचालन की व्यवस्था कर सके। हमारे देश की अर्थव्यवस्था एक विकासशील अर्थव्यवस्था है। जो निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर है। उत्पादन, उपभोग व निवेश अर्थव्यवस्था के आधारभूत स्तंभ हैं। जिनका संचालन मनुष्यों द्वारा किया जाता है। साधारण शब्दों में अर्थव्यवस्था, मनुष्यों द्वारा, मनुष्यों की आर्थिक उन्नति के लिए की जाने वाली व्यवस्थित कार्यप्रणाली ही मानी जा सकती है। जिसमें समुचित आर्थिक विकास का ख्याल हो।
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