कर किसे कहते हैं? (परिभाषा, विशेषताएँ व उद्देश्य), करारोपण से आप क्या समझते हैं, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर क्या हैं, भारतीय कर प्रणाली की विशेषताएं, कर प्रणाली का उद्देश्य क्या है?
कर (Tax) एक ऐसा अनिवार्य शुल्क या वित्तीय प्रभार है जो सरकार देश के नागरिकों, व्यवसायों और संस्थानों से सार्वजनिक सेवाओं और देश के विकास की गतिविधियों को संचालित करने के लिए एकत्र करती है। यह एक आवश्यक वित्तीय योगदान है जो करदाता को क़ानून के तहत चुकाना होता है।
सीधे शब्दों में कहा जाए तो, जनता से जनता के लिए, उनके हितों में कार्य करने के लिए, सरकार द्वारा निधि का प्रबंध करने के लिए ही कर (tax) लिया जाता है।
Table of Contents1.1. कर की परिभाषाएं2.1. कर के तत्व3.1 कर के प्रकार3.1.1. प्रत्यक्ष कर (direct tax)3.1.2. अप्रत्यक्ष कर (indirect tax)
कर का अर्थ (Tax ka arth) | करारोपण का अर्थ
कर, मुद्रा के रूप में एक अनिवार्य अंशदान है। जिसे नागरिकों के सामान्य हितों एवं कल्याण के लिए सरकार द्वारा नागरिकों से वसूला जाता है।
सार्वजनिक आय का मुख्य स्रोत कर है। कर एक अनिवार्य भुगतान है जिस देश के लोगों द्वारा सरकार को दिया जाता है। ताकि वह जनता के हितों के लिए धन ख़र्च कर सके। करदाता सरकार से प्रत्यक्ष रूप में किसी प्रकार के लाभ की संभावना नहीं करते। लेकिन यदि कोई व्यक्ति उस पर लगाए गए कर को नहीं चुकाता है तो उसे क़ानून के अनुसार दंड दिया जा सकता है।
दरअसल सरकार को इसे बलपूर्वक वसूल करने का क़ानूनी अधिकार होता है। इसलिए करारोपित आर्थिक इकाईयों का यह क़ानूनी दायित्व रहता है कि वे सरकार द्वारा आरोपित उगाहियों का सरकार को भुगतान करे। भारतीय कर प्रणाली, जिसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय नगर निकाय शामिल होते हैं, अच्छी तरह से संरचित होती है।
कर की परिभाषाएं (definitions of tax)-
कर की कुछ प्रमुख परिभाषाएं निम्न हैं -
सेलिगमैन के अनुसार - " कर व्यक्ति द्वारा सरकार को अनिवार्य अंशदान के रूप में सार्वजनिक हित के कार्यों पर व्यय करने के लिए दिया जाता है। तथा इसके बदले में कोई विशेष लाभ नहीं दिया जाता।"
बेस्टेबल के अनुसार - "कर व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के समूह के धन में से दिया गया एक अनिवार्य अंशदान है, जो सार्वजनिक सत्ताओं की सेवाओं के बदले में दिया जाता है।"
टेलर के अनुसार - "कर वे अनिवार्य भुगतान हैं जो करदाता द्वारा सरकार को बिना किसी प्रत्यक्ष लाभ की आशा के दिए जाते हैं।"
भारत में कर संरचना तीन स्तरीय संघीय संरचना है, केंद्र सरकार, राज्य सरकारें और स्थानीय नगर निकाय।
संविधान के अनुच्छेद 256 के अनुसार, "क़ानून के अधिकार के बाहर कोई भी कर नहीं लगाया जा सकता या एकत्र किया जा सकता है।"
इसलिए एकत्र किए गए प्रत्येक कर को एक साथ क़ानूनी समर्थन देने की आवश्यकता होती है।
सरकार कर कानूनों और नियमों को लागू करने के लिए कर विभागों और एजेंसियों का गठन करती है।
भारत में कर वसूली का प्रावधान भारतीय संविधान के तहत किया गया है। संसद और राज्य विधानसभाएं कर लगाने के अधिकार रखती हैं।
कर की विशेषताएँ (Characteristics of a Tax)
कर की प्रमुख विशेषताएँ (Tax ki pramukh visheshtayen) निम्नलिखित होती हैं-
(1) अनिवार्यता -
सरकार द्वारा लगाये गये कर का भुगतान प्रत्येक व्यक्ति को किसी न किसी रूप में करना पड़ता है। देश में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिस पर कि कर न लगता हो। प्रत्यक्ष कर तो समाज के कुछ व्यक्तियों को ही देना पड़ता है। किन्तु अप्रत्यक्ष या परोक्ष कर हम सभी को वस्तु ख़रीदते समय देना पड़ता है। कर का भुगतान न करने पर या कर की चोरी पर व्यक्तियों को दण्डित भी किया जा सकता है।
(2) कर की आय का उपयोग सामान्य हित पर -
कर से प्राप्त होने वाली आय को सरकार किसी व्यक्ति विशेष अथवा वर्ग की आवश्यकताओं पर व्यय न करके, सार्वजनिक तौर पर सभी नागरिकों की सामूहिक आवश्यकताओं पर व्यय करती है।
(3) कर के बदले लाभ नहीं -
करदाता को कर का भुगतान करने के बदले में किसी सरकारी सेवा या सुविधा से लाभान्वित होने का अधिकार नहीं मिलता। हालांकि समाज के सदस्यों को राज्य-सेवाओं से लाभान्वित होने का अधिकार राज्य द्वारा अपनाई गई अन्य कसौटियों के आधार पर ही मिलता है।
(4) व्यक्तिगत उत्तरदायित्व -
कर देना व्यक्तिगत उत्तरदायित्व होता है। इसका अर्थ है कि यदि किसी व्यक्ति पर कर लगा है तो यह उसका कर्त्तव्य है या दायित्व है कि उसे अनिवार्यतः अदा करे। किसी भी दशा में वह उससे बचने की कोशिश न करे, अन्यथा वह क़ानून के तहत दंडित भी किया जा सकता है।
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कर के तत्त्व (Elements of Tax)
कर के प्रमुख तत्त्व (tax ke pramukh tatva) निम्नलिखित हैं-
(1) कर एक अनिवार्य अंशदान है।
(2) कर केवल सरकार द्वारा लगाये जाते हैं।
(3) कर के भुगतान में त्याग की भावना निहित होती है।
(4) कर सम्पूर्ण समाज के कल्याण के उद्देश्य से लगाया जाता है।
(5) कर के बदले में सरकार करदाता को कोई विशेष लाभ प्रदान करने का वचन नहीं देती है।
(6) कर सेवा का लागत मूल्य नहीं है।
(7) कर आय पर और पूँजी पर लगाये जा सकते हैं, परन्तु उनका भुगतान आय से ही किया जाता है।
(8) कर व्यक्ति, सम्पत्ति या वस्तु किसी पर भी लगाये जा सकते हैं, परन्तु उनकी अदायगी व्यक्तियों द्वारा ही की जाती है।
कर के उद्देश्य (Objectives of Taxation)
करारोपण के प्रमुख उद्देश्य (tax ke pramukh uddeshaya) निम्नलिखित होते हैं-
(1) आय प्राप्त करना -
कर (tax) का प्रमुख उद्देश्य सार्वजनिक आय प्राप्त करना है। सरकार के बढ़ते कार्यों को पूरा करने के लिए कर लगाए जाते हैं। दूसरे शब्दों में, नागरिकों की सामूहिक आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य से ही सरकार कर लगाती है।
(2) आर्थिक विषमता को कम करना -
करारोपण का एक उद्देश्य अर्थव्यवस्था में आय व धन की असमानताओं को कम करना है। इस उद्देश्य से धनी वर्ग पर ऊँची दर से कर लगाये जाते हैं तथा निम्न आय वर्ग पर नीची दर से कर लगाये जाते हैं या उन्हें कर की छूट दी जाती है। इसके अतिरिक्त धनी वर्ग से करों द्वारा प्राप्त धन को सामाजिक लाभ या सेवाओं पर व्यय किया जाता है।
(3) नियमन व नियन्त्रण -
करारोपण (कर) का उद्देश्य अर्थव्यवस्था का नियमन व नियन्त्रण करना भी होता है। उदाहरणार्थ, शराब पर ऊँची दर से कर लगाने का उद्देश्य उसके उपभोग को नियन्त्रित करना है। इसी प्रकार विदेशी वस्तुओं के आयात पर ऊँची दर से कर लगाने का उद्देश्य, देश में चल रहे उद्योगों को विदेशी प्रतियोगिता से बचाना है अथवा आयात की जाने वाली वस्तु के उपभोग को कम करना होता है।
(4) मुद्रा स्फीति पर नियन्त्रण -
जब एक ओर विनियोग व आय में वृद्धि हो तथा दूसरी ओर उत्पादन में उस अनुपात में वृद्धि हो तो मुद्रा स्फीति की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। उसे नियन्त्रित करने के लिए भी कर लगाये जाते हैं। मुद्रा स्फीति में कर नीति ऐसी बनायी जाती है जो लोगों की अतिरिक्त क्रय-शक्ति को कम कर सके तथा ऐच्छिक बचतों को बढ़ावा मिले।
(5) राष्ट्रीय आय में वृद्धि -
कर (taxation) का एक उद्देश्य राष्ट्रीय आय में वृद्धि द्वारा देश का आर्थिक विकास तीव्र करना है। इस दृष्टि से कर प्रणाली इस प्रकार बनायी जाती है कि देश में उत्पादन में अधिक से अधिक वृद्धि की जा सके। अतः करारोपण इस प्रकार किया जाता है कि व्यक्तियों की काम करने की क्षमता एवं इच्छा, बचत एवं विनियोग की क्षमता एवं इच्छा पर अच्छा प्रभाव पड़े।
(6) पूँजी निर्माण की दर में वृद्धि करना -
कर नीति द्वारा वर्तमान उपभोग में कटौती करके बचतों में वृद्धि की जा सकती है। इसके अतिरिक्त करों द्वारा विभिन्न उत्पादक एवं अनुत्पादक क्षेत्रों में पुनर्वितरण करके पूँजी निर्माण को बढ़ाया जा सकता है।
कर के प्रकार (Types of tax)
कर के प्रकार (tax ke prakar) निम्नलिखित हैं -
1. प्रत्यक्ष कर (Direct Tax)
प्रत्यक्ष कर वे कर होते हैं जिन्हें व्यक्ति प्रत्यक्ष रूप से अदा करता है। तथा उनका भार उस पर ही पड़ता है। किसी अन्य व्यक्ति पर इनका भार नहीं पड़ता है।
प्रो. सैम्युल्सम के अनुसार, "प्रत्यक्ष कर, लोगों पर प्रत्यक्ष रूप से लगाए जाते हैं।"
प्रत्यक्ष कर के अंतर्गत आयकर, उपहार कर, निगमकर, संपत्ति कर आदि शामिल किए जाते हैं जिन्हें उस व्यक्ति द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुकाया जाता है जिस व्यक्ति पर इस कर का भार दिया जाता है।
2. अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax)
अप्रत्यक्ष कर वे कर होते हैं जिनका प्रारंभिक भार एक व्यक्ति पर पड़ता है किंतु उस भार को वह दूसरों पर टालने में सफल हो जाता है।
प्रो. सैम्युल्सम के अनुसार, "अप्रत्यक्ष कर मुख्यतः वस्तुओं तथा सेवाओं पर लगाए जाते हैं, अतः ये लोगों पर अप्रत्यक्ष रूप से लगाए जाते हैं।"
अप्रत्यक्ष कर के अंतर्गत बिक्री कर, उत्पादन कर, सीमा शुल्क, कस्टम ड्यूटी, जीएसटी आदि शामिल किए जाते हैं। जिन्हें अप्रत्यक्ष रूप से किसी अन्य को चुकाने के लिए मजबूर किया जा सकता है।
दरअसल जिन करों का भार लोगों पर प्रत्यक्ष रूप से नहीं पड़ता, वे उत्पादित वस्तुओं की क़ीमत में ही निहित होते हैं। जिस कारण प्रारंभ में तो इन करों का भार उत्पादकों पर पड़ता है, किंतु बाद में उपभोक्ताओं को वहन करना पड़ता है।
टीप : जिस व्यक्ति पर सर्वप्रथम कर लगाया जाता है उस पर कराघात होता है, परन्तु संभव है कि यह व्यक्ति इस कर को अन्य व्यक्तियों पर विवर्तित कर कर दे। अतः जो व्यक्ति वास्तव में या अंतिम रूप से कर अदा करता है उस पर करापात होता है।
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